विदाई के आंसू

लव मैरिज का सपना देखने वाली भाविका ने आखिर माता-पिता की खुशियों के लिए अरेंज मैरिज कर ही ली। लेकिन परिवार को लेकर मन का डर वह कैसे निकाल पाएगी।

भाविका ने जब आंखें खोलीं, तो उसके बगल में एक गिफ्ट बॉक्स रखा था। जिस पर लिखा था, ‘शादी की 25वीं वर्षगांठ की बधाई संगिनी’। उस बॉक्स को खोले बिना ही भाविका अपने जीवन के 25 साल पीछे चली गई। जब उसने अपना एमबीए पूरा किया था और वह अपने सपनों की एक अलग ही दुनिया में रहती थी। भाविका को लव मैरिज करनी थी, उसे कभी अरेंज मैरिज करनी ही नहीं थी। इसका सबसे बड़ा कारण था, परिवार। उसका मानना था कि अरेंज मैरिज में परिवार हमेशा दोनों के बीच में आ जाता है। इसलिए उसने और उसके दोस्तों ने तय किया था कि ढंग का लड़का मिलते ही हम सब लव मैरिज करेंगे।

भाविका के सोच के हिसाब से कुछ नहीं हुआ। उसने कुछ लड़कों को डेट तो किया, लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार मां-पापा का मन रखने के लिए ही सही, उसे उनके मनपसंद लड़के से शादी करनी ही पड़ी। इस तरह से लव मैरिज करने वाली भाविका की अरेंज मैरिज हो गई। शादी के बाद जब भाविका की विदाई हुई थी, तो वह गाड़ी में बैठने के बाद बहुत रो रही थी। उसकी आंखों का काजल आंसुओं के साथ बह रहा था। तभी चेहरे के सामने एक सफेद रुमाल आता है, जो किसी और ने नहीं, बल्कि उसके पति ने उसकी तरफ बढ़ाया था। रुमाल ले कर भाविका ने आंसू पोछे। आंखों से बहा काजल उस सफेद रुमाल पर लग गया। “सॉरी! मैंने आपकी रुमाल गंदी कर दी। मैं इसे धुल दूंगी।” भाविका ने संजीव से कहा। संजीव ने उसके हाथ से रुमाल लेते हुए सिर्फ इतना ही कहा, “कोई बात नहीं।”

थोड़े ही देर में गाड़ी संजीव के घर पहुंच गई। भाविका को अब उनका ही सामना करना था, जिनके कारण वह अरेंज मैरिज नहीं करना चाहती थी। दरवाजे पर परिवार के सभी सदस्य आरती की थाली लिए नई दुल्हन का इंतज़ार कर रहे थे। भाविका का स्वागत सभी ने धूम-धाम से किया। गृह प्रवेश के बाद शादी की बची हुईं रस्मों को जल्द ही खत्म किया गया। भाविका की सास ने अपनी बेटी से कहा, “भाभी को उनके कमरे में ले जा, आराम करने दे। बहू बहुत थक गई है।” रागिनी तुरंत उठी और भाविका को उसके कमरे में ले गई, “भाभी आप यहां आराम करिए, कुछ भी ज़रूरत हो, तो मुझे बुला लेना।”

भारी लहंगे और जेवरों को उतारने के बाद भाविका फ्रेश हो कर सो गई। पांच घंटे बाद उसकी आंख खुली, तो देखा कि रात के आठ बज रहे थे। संजीव को कमरे में आता देख, वह थोड़ा सकपका गई। “अरे आराम से, ऐसे झटके से नहीं उठते हैं।” संजीव बोला। हल्की मुस्कान के साथ भाविका बोली, “लगता है कि मैं कुछ ज़्यादा ही सो गई।” तभी दरवाजे पर दस्तक के साथ भाविका की सास अंदर आते हुए बोलीं, “नहीं बेटी! शादी की थकान है चंद घंटों की नींद से थोड़े जाएगी। लो खाना खा लो और उसके बाद फिर से सो जाना।”

जब भाविका ने खाने की प्लेट देखी, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। प्लेट में उसकी पसंदीदा मटर-मशरूम की सब्जी, रोटी और मेवे की खीर थी। “मम्मी जी आपको कैसे पता कि ये मेरा पसंदीदा खाना है?” भाविका ने अपनी सास से पूछा। इतने में रागिनी पानी की बोतल लाते हुए बोली, “परिवार में सबको एक-दूसरे की पसंद पता है भाभी। इसलिए आपके आने से पहले ही आपके जानने वाले लोगों के साथ बातचीत कर के भईया और मम्मी ने आप पर पूरी पीएचडी कर ली है। अब आपको कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। हमें सब पता है कि आपको क्या पसंद है और क्या नहीं।” रागिनी की ये बातें सुनकर भाविका ने अपनी सास का हाथ चूम लिया, “थैंक यू मम्मी! मुझे इस परिवार में अपना एक अलग दर्जा देने के लिए।” उस दिन से भाविका के मन में परिवार को लेकर रहने वाला डर कहीं दूर चला गया। उसने परिवार को अपना माना और परिवार ने उसे अपनाया।

इस तरह से हंसी-खुशी रहते हुए भाविका और संजीव की शादी को आज 25 साल पूरे हो चुके थे। भाविका ने अपने अतीत से वर्तमान में आते हुए उस गिफ्ट बॉक्स को खोला, तो देखा उसमें काजल लगा हुआ वही सफेद रुमाल था। जिससे भाविका ने अपने विदाई के आंसू पोछे थे। साथ ही एक पत्र भी था, जिसमें लिखा था-

प्रिय अर्द्धांगिनी

तुम्हारे विदाई के आंसू मेरे लिए बहुत कीमती थे, जिसे मैंने हमेशा संजो के रखा था। मुझे पता था कि तुम एक परिवार छोड़ कर आ रही थी, इसलिए यहां पर हमने तुम्हारे लिए एक दूसरा परिवार तैयार कर रखा था। मेरे साथ अपना जीवन साझा करने के लिए शुक्रिया।

शादी की वर्षगांठ पर बहुत सारा प्यार

तुम्हारा संजू

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