आशा का धागा , लंबा रिश्ता

रेत का किला बनाना

जब वह बाथरूम से बाहर निकला, तो उसने खुद को कुछ खोजते हुए पाया लेकिन उसे यह याद नहीं आ रहा था कि वह क्या खोज रहा है। मानो उसका दिमाग उसके साथ आंख-मिचौली खेल रहा था और वह खेल हार रहा था।

वह बेचैनी के साथ जगा। कमरा बिल्कुल अनजान था और टिया भी उसे कहीं नहीं दिख रही थी। घबराहट में वह बिस्तर से उठा और उसने बर्फ से ठंडे फर्श पर पैर रख दिए। दरवाज़े पर लगी हाथ से लिखी पर्ची पर रुकने से पहले कुछ देर तक उसकी आंखें दीवारों का जायज़ा लेने के लिए तेज़ी से इधर-उधर भागती रही। ‘बाथरूम’ उसने पढ़ा। वह दरवाज़े की ओर गया।

बाथरूम में घुसने के बाद उसने दीवार पर लगे कुछ अनजान उपकरणों को देखा। उन उपकरणों के विषय में जानने के लिए उसने फिर से अपनी नज़र इधर-उधर दौड़ाई। ‘शावर, बाएं घुमाएं’, उसने एक बार फिर से एक और पर्ची पढ़ी। ‘‘हाल ही में, मुझे तो इस उपकरण के बारे में कुछ नहीं बताया गया? आजकल मैं बहुत भुलक्कड़ हो गया हूं।’’ ज्यों ही उसने शावर का लिवर घुमाया, उसी पल वह ठंडे पानी की बौछार से सराबोर हो गया।

जब वह कांपते हुए बाथरूम से बाहर आया तो, उसने पाया कि वह कुछ ढूंढ रहा है। लेकिन वह क्या ढूंढ रहा है, उसे यह याद नहीं आया। उसका दिमाग उसके साथ फिर खेल खेलने लगा और इसके साथ-साथ वह अपनी चेतना को भी खोता गया। निस्साहय (Helpless) होकर वह ज़मीन पर गिर गया और उसका सिर एक तरफ लुढ़ककर बॉल से जा टकराया। ज़ख्म पर नमक लगाने से जैसी पीड़ा होती है, वैसी ही वेदना उसे भी हुई। ‘‘क्या टिया ने मुझे छोड़ दिया?’’ उसने स्वयं से पूछा। यह सोचकर वह रोने लगा

कुछ समय बाद उसे अपने कंधे पर किसी अपने का स्पर्श महसूस हुआ, जिससे उसे कुछ आश्वासन मिला। वह पीछे पलटा और देखा यह तो उसकी बेटी टिया है। उसे अचानक याद आ गया कि कुछ समय पहले वह क्या ढूंढ रहा था। ‘‘मैं तौलिया तो भूल ही गया,’’ थोड़ा लज्जित होते हुए उसने कहा। ‘‘कोई बात नहीं। अब मैं यहां हूं,’’ यह कहते हुए उसने अपने पिता को अपने साथ लाए हुए तौलिये में लपेट दिया। इस गर्माहट से उसे आराम मिला और वह शांत हो गया।

पिछले कुछ वर्षों से टिया अपने पिता को अल्जाइमर के खिलाफ एक हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए देख रही थी। एक दिन शायद वह उसे भी भूल जाएंगे। और टिया के लिए यह विचार परेशान करने वाला था। उसने अपने पिता से प्रार्थना की कि वह उसे कभी न भूलें। वह जानती थी उसकी यह उम्मीद रेत का महल खड़ा करने जैसी है, लेकिन उसके पास इसके सिवाए और कोई चारा भी तो नहीं था। तभी उसके पिता फुसफुसाए: ‘‘मेरे बच्चे, मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूंगा।’’

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