शाम के 6 बज चुके थे और जीवन में पहली बार अंकिता अपने जन्मदिन (Birthday) पर दुखी थी। अब तक उसका स्पेशल डे हर साल घर में धूमधाम से मनाया जाता था। केक, सेलिब्रेशन और अनगिनत उपहार। यह वह दिन होता था, जब उसे कोई कुछ नहीं कहता था। सब उससे प्यार करते थे और उनकी बातों को सुनते थे।
लेकिन इस साल यह स्पेशल डे (Special day) उसे मनहूस लग रहा था। नए शहर में वह अकेली थी। टिकट ना मिलने के कारण परिवार से मिलने का उसका कार्यक्रम रद्द हो चुका था। जितना अधिक वह इसके बारे में सोच रही थी वह उतना ही दुखी हो जा रही थी।
यह सोचते हुए मायूस अंकिता ने फैसला किया कि आज का दिन दुख में डूबोकर बिताने से बेहतर होगा सो जाना। जैसे ही वह ऐसा करने जा रही थी कि डोर बेल बज गई। यह उसकी कामवाली बाई थी, जिसके कंधे पर एक बैग टंगा हुआ था।
उसने कहा, ‘हैप्पी बर्थडे मैडम! कल मैंने आपको फोन पर रोते हुए सुना। मेरा दिल टूट गया। इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपके लिए कुछ मिठाइयां और पुडिंग बनाऊं और आपको सरप्राइज़ दूं। मुझे उम्मीद है कि आपको ये पसंद आएंगी’।
बाई के सरप्राइज़ ने अंकिता को इतना झंकझोरा कि वह फूट-फूट कर रोने लगी। लेकिन इस बार ये खुशी के आंसू थे। अंकिता ने उसके पास जाकर उसे कसकर गले से लगा लिया। उस क्षण उसके सारे दुख और उसकी निराशा कृतज्ञता और प्रेम में बदल गई थी। अपने घर न जा पाने के कारण जो उसकी उदासी थी, वह भी छूमंतर हो गई।
अपने हाउस हेल्पर (House helper) के प्यार और देखभाल में अंकिता को एक परिवार का प्यार मिला था।