बीच का रास्ता

परिवार में बीच का रास्ता निकालना है ज़रूरी

‘डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी’ (Dialectical behavior therapy) हमें भावनाओं को नियंत्रित कर परिवार के अंदरूनी संघर्ष को कम करना सिखाती है। यह असहमति और विवादों को दूर करने के लिए कोई बीच का रास्ता अपनाने पर ज़ोर देती है।

रिश्ते, एक ऐसा शब्द है जो मन में प्यार, हंसी, आंसू, मज़ा और खुशी जगाता है। लेकिन जहां प्यार होगा, वहां संघर्ष भी रहेगा। रिश्तों में संघर्ष स्वाभाविक है। प्यार के बावजूद रिश्तों में हम बहस करते हैं, लड़ते हैं। खासकर अपने परिजनों के साथ। यहां तक कि कहानी कहने की कला भी इसका उपयोग केंद्रबिंदु के रूप में करती है। परियों की कहानी और पौराणिक कथाओं (mythology) में बार-बार यह विषय आता है। उदाहरण के लिए सिंड्रेला और स्नो व्हाइट की बुरी सौतेली मां, महाभारत (Mahabharat) में कौरवों और पांडवों के बीच महायुद्ध और नॉर्स देवता लोकी और थोर दोनों ही एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे।

हालांकि विरासत छोड़ना या युद्ध छेड़ना आज बुद्धिमानी की बात नहीं हो सकती। तो हम तनावपूर्ण पारिवारिक संघर्षों को कैसे खत्म करें? आइए बीच का रास्ता निकालने के लिए इसे जानते हैं।

‘डायलेक्टिकल बिहेवियर थेरेपी’ या डीबीटी (Dialectical behavior therapy) लोगों को यह सिखाने के लिए नया दृष्टिकोण है। इससे कैसे अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर परिवारों में विवादों को कम किया जा सकता है। डायलेक्टिकल का मतलब दो बेहद विपरीत व्यक्ति सही हो सकते हैं; या किसी स्थिति को देखने या संभावित समाधान खोजने का एक से अधिक तरीका हो सकता है। डायलेक्टिकल का विपरीत अर्थ होगा, सब या कुछ नहीं के रूप में चीज़ों को देखना। या यह विश्वास करना कि केवल एक ही सही तरीका है। जब हम दोनों के बीच का रास्ता चुनते हैं, तब हम उन परिस्थितियों को लेकर अपना रवैया बदल लेते हैं, जिनका हम सामना करते हैं। यह परिवर्तन हमें दूसरों के प्रति और अधिक लचीला और सरल होने के लिए प्रोत्साहित करता है। बीच का रास्ता अपनाने से असहमति और संघर्ष कम हो जाता है। इससे हम दूसरों के प्रति पूर्वधारणा बनाने और आरोप लगाने से बच सकते हैं।

गलतफहमी को अभी खत्म करें

कल्पना करें कि पारिवारिक बैठक में कोई ऐसी बात जो आज कोई मायने नहीं रखती अचानक छेड़ी जाती है। ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति को कोई बात सताती है। अत: हम उनके साथ निजी बातचीत करें तो समस्या का हल और सामने वाले व्यक्ति की भड़ास निकल सकती है। ऐसे में बीच का रास्ता निकाल एक संवाद शुरू करें और बात हाथ से निकलने से पहले ही गलतफहमियों को खत्म कर लें।

इसे हावी न होने दें

यदि आपके परिवार में से किसी ने कभी आपकी कार पर गलती से खरोंच लगा दी और अब वह इसे नहीं मान रहा है। संभव है वह डर की वजह से या हर्ज़ाना न देने की वजह से इसे स्वीकार नहीं कर रहा हो। दोनों ही स्थिति में आप नाराज़ हैं और सामने वाले व्यक्ति को खरी खोटी सुनाने वाले हैं। इस स्थिति में आपका गुस्सा जायज़ है। सामने वाले का बर्ताव गलत ही है। लेकिन अगर आप इस बात पर ज़ोर देंगे तो सामने वाले से रिश्ता हमेशा के लिए खराब कर लेंगे। यह ज़रूरी है कि आप विवाद और रिश्तों को आपस में न मिलाएं। ऐसा नहीं किया तो विवाद आप पर हावी हो जाएगा। जब दो लोगों में मतभेद होता हैतो वे कई बार एक दूसरे पर आरोप लगा बेकार की बात कहते और करते हैं। ऐसे व्यक्तियों और स्थितियों को शांति और समझदारी से संभालने पर बीच का रास्ता निकाल रिश्तों को बचाया जा सकता है।

हालांकि लोग ऐसा ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं, अधिकतर यह मात्र एक समझ का मतभेद नहीं होता है। यहां समझदारी इसे अनदेखा करने में ही है।

परेशान हैं तो बात न करें

ज़रा सोचिए कि कभी भोजन की टेबल पर पारिवारिक भोज अचानक ही टीवी के एक फैमिली ड्रामे की तरह विवादास्पद हो जाता है। जो लोग कुछ देर पहले भोजन का आनंद खुशी से ले रहे थे, अब बहस कर रहे हैं। पुराने और नए मुद्दों को उठाकर एकदूसरे पर चिल्ला रहे हैं।

हालांकि परिवार के सदस्यों के साथ समस्याएं दर्दनाक हो सकती हैं, खासकर उस वक्त जब इसकी कोई उम्मीद न हो। तब ऐसी स्थितियों को शांति से सोच-समझकर हल करना ज़रूरी होता है। बीच का रास्ता निकाल विवाद को बढ़ने से रोकने की कोशिश करें, तब तक इंतजार करें जब तक सबका गुस्सा शांत न हो जाए। भावुक रहते हुए किसी भी बात पर बात करना ठीक नहीं होता। कुछ देर बाद शांति स्थापित होने पर आप विवाद के बारे में ही नए सिरे से सोच सकते हैं। जब आप गुस्से में होते हैं, तब किसी से बात करने पर भावनाएं आप पर हावी हो सकती हैं। इससे स्थिति बिगड़ सकती है। आप अगर कल तक ठहर जाएंगे तो कुछ नहीं बिगड़ने वाला। ऐसा होने पर आप अपना गुस्सा नियंत्रित कर लेंगे।

जवाब न दें

कल्पना कीजिए कि एक लंबे और थकान भरे दिन में आप 15 मिनट एकांत चाहते हैं। अचानक कोई आपको काम और जीवन में संतुलन पर लेक्चर देना शुरू कर देता है। उसका इरादा चाहे अच्छा हो, लेकिन उसने वक्त सही नहीं चुना है। क्योंकि आप तो आराम करना चाहते हैं। आपका पारा भड़क रहा है। इसका आसान हल यह है कि बीच का रास्ता निकाल आप जवाब ही न दें। सामने वाले से कहें, अभी मैं थका हूं, कल बात करें तो बेहतर होगा। जब सामने वाला देखेगा कि आप नाराज़ नहीं हो रहे हैं तो वह मान जाएगा।

कई बार ऐसा होता है कि आप अपनी परेशानियों में उलहोते हैं, तो विवाद की स्थिति पैदा होने की संभावना होती है, लेकिन अन्य दिनों में इससे बचा जा सकता है।

इसे अनदेखा करें

यहां एक और परिदृश्य है: आपके परिवार में कुछ लोग आपके जीवन विकल्पों की सराहना नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को आप अक्सर आपके पालतू जानवरों या आपकी या खर्च को लेकर बातें करते हुए सुनते हैं।

हालांकि लोग ऐसा ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं, लेकिन अधिकांश बार यह मतभिन्नता अर्थात डिफरेंस ऑफ ओपिनियन होता है। यहां समझदारी इसे अनदेखा करने में ही है। कई बार विवाद या वार्तालाप को बेवजह बढ़ाना स्थितियों को हमारी पकड़ से बाहर कर देता है।

चाहे आप इसे पसंद करें या न करें, आपका परिवार आपका हिस्सा है और आप उनका हिस्सा हैं। लोगों से अलग होना आसान है, लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, तब हम बहुत कुछ खो देते हैं। हम अपनी यादों, अपनी पहचान और एक परिवार के साथ होने का एहसास खो देते हैं। तोबीच का रास्ता निकाल अपने परिवार को मत छोड़िए, क्योंकि वे निश्चित रूप से आपको नहीं छोड़ने वाले।

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