घर का रास्ता

घर की ओर एक लंबा सफर

मौजूदा स्थिति से अवगत होने के बावजूद हवाई अड्डे से बाहर निकलते समय आलिया को सदमा लगने वाला था। सड़क अंधेरी और सुनसान थी। मानो शहर पर कोई उदासी छा गई हो।

जैसे ही उसने दमास्कस जाने वाली उड़ान में कदम रखा उसका दिल प्यार, गर्व और पुरानी यादों से भर गया। आलिया एक साल बाद अपने घर दमास्कस जा रही थी। वह ब्रिटेन में मेडिसिन की पढ़ाई कर रही थी। उसके माता-पिता ने बचपन से ही उसे डॉक्टर बनाने का सपना पूरा करने में उसकी सहायता की थी। अकादमिक माता-पिता की बेटी के रूप में आलिया उनके ही नक्शे कदम पर चलने के लिए दृढ़ थी। लेकिन इस उपलिब्ध की खुशी जल्द ही उसके माता-पिता के जीवन को लेकर चिंताओं के बीच खो गई। सीरिया में भयानक अस्थिरता और अशांति थी।

मौजूदा स्थिति से अवगत होने के बावजूद, हवाई अड्डे से बाहर निकलते समय आलिया को सदमा (Trauma) लगने वाला था। सड़कें अंधेरी और सुनसान थीं। मानो शहर पर कोई उदासी छा गई हो। पुलिस सड़कों पर मुस्तैदी से हर जगह तैनात थी। ‘हे भगवान! मेरे माता-पिता को कुछ हुआ तो नहीं होगा? मुझे उन्हें जल्दी से देखना होगा! मैं क्या करुं?’ ऐसे न जाने कितने ही विचार आलिया के मन को भेद रहे थे। विचारों की इस श्रृंखला को पास की ही मस्जिद से आने वाली नमाज़ की आवाज़ ने तोड़ा। इसके बाद उसे दूर से आती हुई एम्बुलेंस की आवाज़ सुनाई दी। वह सांस नहीं ले पा रही थी।

अब वह दहशत महसूस कर रही थी। उसने अभी दो दिन पहले ही मुश्किल से अपने माता-पिता से बात की थी। और अब, उनके मोबाइल फोन स्विच ऑफ थे। वह दौड़कर उनके पास घर जाना चाहती थी। हताश होकर उसने एक सैन्य अधिकारी से मदद मांगी। वह अधिकारी सहानुभूतिपूर्ण, लेकिन चिंतित दिखाई दे रहा था। उसने उसे घर ले जाने की पेशकश की, लेकिन उसने ज़ोर देकर कहा कि उसे, उससे पहले सैन्य शिविर में रुकना होगा।

डॉक्टरों और नर्सों से भरा सैन्य शिविर अस्पताल जैसा लग रहा था। आलिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। वह मेले में खोए हुए बच्चे की तरह शिविर में इधर-उधर देखने लगी। वह अधिकारी उसे एक बड़े तम्बू में ले गया, जहां मरे हुए लोगों को बॉडी बैग में रखा हुआ था। अनगिनत शवों को देखना आलिया के लिए बुरे सपने की तरह था। अधिकारी ने उसे उन मिसाइलों के बारे में बताया, जिसने पिछली रात शहर पर हमला किया था। इन मिसाइलों ने एक ही पल में परिवारों के परिवार मौत के घाट उतार दिए थे। कुछ लोग ही बच सके थे और वे अब यहां शिविर में थे।

कहानी समाप्त करते ही अधिकारी के भाव बदल गए। आलिया को एक पत्र सौंपते हुए वह झिझक रहा था। उसके झुर्रीदार हाथ थोड़े कांप रहे थे। उसने कहा, ‘तुम्हारी मां ने आखिरी सांस लेने से पहले मुझे यह दिया था। आई एम सो सॉरी’। उसकी आवाज़ थोड़ी भर आई थी। आलिया ने एक आह भरी। अपनी पूरी हिम्मत को जुटाते हुए, आलिया ने अपनी मां की आखिरी चिट्ठी खोली। उनके अंतिम शब्द थे:

मेरी प्यारी आलिया,

मुझे आशा है, जब तुम्हें यह पत्र मिलेगा तब तुम सुरक्षित और स्वस्थ होगी। यहां की तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मुझे नहीं पता कि हमारा कोई कल होगा भी या नहीं। यदि हमारा कल नहीं है तो मैं तुमसे कहना चाहती हूं कि तुम्हारे पिता और मुझे तुम पर बहुत गर्व है। हमें यकीन है कि तुम बहुत अच्छी डॉक्टर बनोगी। लेकिन इससे भी ज्यादा हमें खुशी है कि तुम एक बहुत अच्छी इंसान हो। याद रखना कि जो सही है तुम हमेशा उसके लिए डटकर खड़ी रहना। भले ही इसके लिए तुम्हें अकेले ही खड़े रहना पड़े’।

मेरी प्यारी बेटी, इस पत्र को लिखते समय मैं तुम्हारे साथ बेन जॉनसन की एक कविता साझा करना चाहती हूं। यह कविता बचपन से ही मेरे साथ रही है। जब भी तुम अपने आपको खोया हुए महसूस करो, तब तुम इसे पढ़ना। मुझे यकीन है कि यह तुम्हें चीज़ों को सही दृष्टिकोण से समझने में मदद करेगी। इसने मुझे कभी निराश नहीं किया है और मुझे यकीन है कि यह तुम्हें भी कभी निराश नहीं करेगी।

द नोबल नेचर

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मेरे प्यार और अनगिनत आशीर्वाद के साथ

तुम्हारी मां

 

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