सरिता एक ऐसे संयुक्त परिवार की आदर्श बहू थी, जिसमें महज 8 लोग एक साथ रहते थे। साधारण शब्दों में आप यूं मान लें कि वह एक ऐसी अव्वल दर्जे की भारतीय गृहिणी थीं, जो सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार के लिए हमेशा एक पैर पर खड़ी रहती थी। चाहे इसके लिए उसे अपनी ज़रुरतों का त्याग ही क्यों न करना पड़े। इसके एवज में उसके ससुराल के लोग भी उससे बेहद प्यार करते थे। अगर सरिता न होती, तो शायद सिंह परिवार अब तक अलग-थलग पड़ गया होता। पर संयुक्त परिवार में सभी लोगों के लिए खास बनना भी इतना सरल नहीं है, जितना कि सुनने में लगता है। अहले सुबह जग जाना, घर के सारे कामकाज करने के बाद एक-एक सदस्य के लिए पसंदीदा खाना तैयार करना सरिता की एक दिनचर्या बन गई थी।
अपने काम के प्रति हमेशा सजग रहने वाली इस आदर्श बहू के अलावा घर की महिलाओं में सरिता से छोटी उसकी लापरवाह देवरानी राशि और स्वभाव से बहुत ही सख्त घर की मालकिन निर्मला मौजूद थीं। घर में उनकी चलती को मान लेने में ही भलाई है। यहीं कारण है कि वह इतनी कम उम्र में सिर्फ एकमात्र बेटी की मां हैं।
राशि साइकोलॉजी (Psychology) में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी। इस वजह उसे पढ़ाई के लिए देर रात तक जगना पड़ता था। वह पढ़-लिखकर अपने जीवन में एक साइकोथेरापिस्ट के रूप में मुकाम हासिल करना चाहती थी। एक सपोर्टिव भाभी होने के नाते सरिता घर के काम में राशि जो कुछ भी कर सकती थी, उसे वह सहर्ष स्वीकार कर लेती थी।
एक समय की बात है। यही कोई बसंत के दौरान सुबह-सुबह का वक्त था। निर्मला ने पूजा-पाठ करने के बाद सरिता को आवाज़ दी और बोली- “सरिता चलो हम लोग नाश्ता कर लेते हैं, यह ठंड लग रही है। हम लोग हर सुबह राशि के आने की प्रतीक्षा नहीं कर सकते।”
इसके बाद सरिता किचन में गई और प्लेट में खाना निकालने लगी। तभी एकाएक उसके दिमाग में शादी के शुरुआती दिनों के दौरान होने वाले कष्टों की यादें ताज़ा हो गईं। सरिता उस सुबह को याद कर सिहर उठी, जब उसे जगने में थोड़ी देर हो जाती थी। उन दिनों उसकी सास चुपचाप ही सही बहुत ही बुरा बर्ताव करती थीं। वह उसके साथ लंच भी नहीं कर पाती थी। अपने ख्यालों में गुम सरिता कई साल बीत जाने के बाद फिर से उन पुरानी यादों को ताज़ा कर रही थी। वह नहीं चाहती थी कि कोई और भी उसकी तरह ऐसी कष्टदायक परिस्थितियों से गुज़रे।
होश में आने के बाद सरिता ने तत्काल राशि को मैसेज टाइप किया- गुड मॉर्निंग।
मैसेज का नोटिफिकेशन बजते ही राशि अपने बिस्तर से उठ गई। वह 10 मिनट के भीतर तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर खाने के लिए पहुंच गई। टेबल पर बैठी निर्मला को देखकर वह अंदर से काफी सहमी हुई थी। उस वक्त घर में चारों तरफ शांति छाई हुई थी। निर्मला खाने में व्यस्त थी। जब उसने अपने नज़रों को उठाया, तो देखा कि सामने राशि बैठी हुई थी। उसने बड़ी ही बेरूखी से कहा- “सरिता को बोलो कि चाय बनाए और मुझे भी एक कप दे।”
राशि डाइनिंग टेबल से उठी और किचन की ओर से चली गई। थोड़ी देर बाद गर्मागर्म चाय लेकर आई और उसे टेबल पर रख कर बैठ गई। निर्मला ने कप उठाकर चाय की पहली चुस्की ली। वहीं, राशि चुपचाप उन्हें देख रही थी। तभी निर्मला अचानक से बोल पड़ी- इलायची की चाय मुझे बहुत पसंद है।
“मां.. आज राशि ने चाय बनाई है, वो भी खासकर आपके लिए। उसे मालूम है कि इलायची चाय आपकी फेवरेट है,” किचन के अंदर से सरिता बोली।
उस वक्त राशि को खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वह अपनी भावनाओं को एक पल भी रोके बिना किचन में गई और सरिता को जोर से गले लगा लिया। ‘थैंक यू… अगर आप हेल्प नहीं करतीं, तो मैं चाय नहीं बना पाती। उस वक्त अगर आपने मैसेज नहीं किया होता, तो शायद मैं अब तक सो रही होती।”
इसी बीच राशि ने अपने कंधे पर कुछ थपथपाहट महसूस की। पीछे मुड़कर देखा तो घर की मालकिन निर्मला खड़ी थी। उसके चेहरे पर एक प्यार भरी मुस्कान थी। राशि ने आज तक उनके चेहरे पर इस तरह का भाव नहीं देखा था। “थैंक यू राशि..बड़े ही सख्त स्वभाव की निर्मला का मन आखिरकार पिघल गया था।
यह देखकर सरिता का मन खुशी से खिल उठा। उसे अहसास हुआ कि अगर आपकी भावना आपके मन-मस्तिष्क को कष्ट पहुंचा सकती है, तो वह कुछ हद तक उसकी भरपाई भी कर सकती है।
अब वह उस भरपाई के लिए पूरी तरह तत्पर थी।