रविवार का दिन था। सुबह-सुबह नैना अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। कल की बातों को सोचकर वह उसे फिर से ताज़ा कर रही थी। कैसे चारों ओर उसकी प्रशंसा हो रही थी। उसके कानों में अभी भी तालियों की गूंज सुनाई पड़ रही थी। एक सितार वादक की इससे बड़ी क्या चाह हो सकती है, वो भी जब आप अभी स्कूल में हों?

‘तुम अभी भी बिस्तर पर क्यों लेटी हो?’ ‘क्या तुमने अपना होमवर्क पूरा कर लिया?’ नैना की मां ने कहा। ऐसा लगा जैसे उसकी मिट्ठी यादों में किसी ने खलल डाल दिया हो। ‘उम्म… हां, मां। मैंने कन्सर्ट से पहले ही खत्म कर लिए था, नैना ने जवाब दिया। उसकी मां ने थोड़ी राहत की सांस ली और अपने काम में लग गई। इसी बीच नैना का बड़ा भाई रवि उसके कमरे में आ गया। तुमने तो कल कमाल ही कर दिया। मुझे पूरा यकीन है कि एक-न-एक दिन तुम बहुत बड़ी सितारवादक बनोगी और पूरी दुनिया तुम्हारा नाम जानेगी, यह कहते-कहते रवि का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।

‘पता नहीं क्या होगा, मैं इस बारे में कुछ कह नहीं सकती, नैना ने बुदबुदाते हुए कहा।’ ‘मां चाहती है कि मैं अपनी पढ़ाई पर फोकस करूं। क्योंकि, परीक्षा भी काफी नज़दीक है। मुझे मुश्किल से प्रैक्टिस के लिए समय मिल पाता है। तुम जो कह रहे हो उसके लिए काफी प्रैक्टिस की ज़रूरत पड़ती है।’

तुम दोनों के लिए समय निकाल सकती हो। चिंता न करो। एक-न-एक दिन ऐसा ही होगा। यह कहते हुए रवि की आंखों में विश्वास और प्यार स्पष्ट रूप से झलक रहा था। वह अपने उन दिनों को याद करने लगा, जब उसके पिता की अचानक मृत्यु हो गई थी। उसके बाद उसे डांसर बनने का सपना छोड़ना पड़ा। हालांकि, उसने एक बीपीओ में काम करना शुरू कर दिया था। फिर भी वह उन दिनों को कभी भूल नहीं सकता, कैसे स्कूल में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में उसने जीत हासिल की थी।

कुछ महीनों के बाद जब एग्जाम के रिजल्ट आए, तो नैना के चेहरे पर मिली-जुली खुशी देखने को मिली। वह इस बात से खुश थी कि उसने एग्जाम में अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन वह यह भी जानती थी कि उसे अब कॉलेज जाना पड़ेगा। दिन-ब-दिन नैना को लगा रहा था जैसे उसके सपने अब उससे दूर होते जा रहे हैं।

जब एग्जाम में बेहतर ग्रेड आने की जानकारी रवि को मिली, तो उसने नैना को बधाई देते हुए कहा- ‘मैं पहले से ही जानता था कि तुम एग्जाम में बहुत अच्छा करोगी।’

थैंक्स… भाई। लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा है कि अपने सपने को अलविदा कहने का समय आ गया है। क्योंकि पढ़ाई को और अधिक गंभीरता से लेने की ज़रूरत है, नैना ने निराश होकर कहा।

‘हां तो ठीक है। तुम एक अच्छे कॉलेज में जाओ और खूब पढ़ाई करो, लेकिन सितार भी बजाओ, रवि ने कहा। ‘आओ, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं।’ वह नैना को पकड़कर अपने कमरे में ले गया, जहां एक टेबल पर सितार पड़ा था। सितार के पास एक नोट भी पड़ा था, जिसमें लिखा था ‘नेवर स्टॉप प्लेइंग’। दरअसल, अपनी बहन को गिफ्ट में सितार देने के लिए रवि काफी दिनों से हर महीने पैसे बचा रहा था।

‘यह तुम्हारे लिए है। इस सप्ताह के बाद तुम्हारे लिए मैंने सितार सिखाने वाले की भी व्यवस्था कर दी है- रवि ने कहा।’

यह देखकर नैना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे। लेकिन उसके आंसुओं ने सब कुछ जाहिर कर दिया। रवि ने उसे गले लगाते हुए कहा- तुम मुझे अपने कन्सर्ट के फ्री टिकट देकर इन चीज़ों का भुगतान कर सकती हो। यह सुनकर नैना के चेहरे पर दृढ़ संकल्प, कृतज्ञता और प्रेम भरी मुस्कान छा गई।