अक्सर ऐसा माना जाता है कि पहली नज़र में ही प्रेम की लौ जल जाती है। इधर, हॉल के भीतर आपस में नज़रें टकराई नहीं कि दूसरी तरफ दिमाग में हलचल शुरू हो जाती है। प्यार भरी घबराहट के साथ ही बातचीत की शुरुआत होती है। आगे जाकर यही प्यार में बदल जाता है। समय के साथ एक-दूसरे के करीब आने पर हर किसी को सहज महसूस लगने लगता है और इस तरह उनके बीच दोस्ती शुरू हो जाती है। वे आपस में अपने विचारों, भावनाओं और राय को एक-दूसरे के सामने जाहिर करने लगते हैं। साथ ही एक-दूसरे की बातों में रुचि लेने लगते हैं। दरअसल, किसी भी रोमांटिक रिश्ते के स्थायित्व के लिए मेंटल अट्रैक्शन पहली शर्त है।
वैलेंटाइन डे के इस मौके पर सोलवेदा पर जानें मेंटल अट्रैक्शन के पहलुओं और रोमांटिक रिलेशनशिप में इसकी भूमिका के बारे में।
दो लोगों के मन के बीच प्रेम की लौ (Flame of love) तभी पैदा हो सकती है, जब वे शारीरिक रंग-रूप और वेशभूषा को दरकिनार कर एक-दूसरे से विचारों को साझा करते हैं। मेंटल अट्रैक्शन के लिए एक-दूसरे को बेइंतहा सम्मान देने की भी ज़रूरत है। हमारे मन में किसी के प्रति आकर्षण है तो कैसे बताएं? साइकोलॉजिस्ट वाणी सुब्रमण्यम के अनुसार, जब हम बगैर किसी शारीरिक हाव-भाव के किसी इंसान के नज़रिए और उसकी सोच के प्रति आकर्षित होते हैं। तब जाकर हमें पता चलता है कि उसके प्रति कितना स्पार्क है। इस तरह का अट्रैक्शन दूसरे व्यक्ति के ज्ञान, परिपक्वता, करुणा और गुणों की वजह से होगा।
जब दो इंसान के विचार विभिन्न स्तर पर मेल खाने लगते हैं। तब उनका रिश्ता स्वस्थ, लंबा चलने वाला और स्थायी हो जाता है। सुब्रमण्यम आगे बताते हैं, ‘रिश्ते कई ज़रूरतों को पूरा करते हैं, फिजिकल इंटिमेसी उनमें से एक है। साहचर्य और सुरक्षा के लिए कुछ हद तक परिपक्वता और उचित माहौल की जरूरत पड़ती है। ये दोनों चीज़ें तभी मिल सकती हैं जब दोनों व्यक्ति के वेवलेंग्थ समान रूप से मिलते-जुलते रहे हों।’ वास्तव में जब दो व्यक्ति समान स्तर पर सोचते और भाव रखते हैं, तब किसी विवाद या मनमुटाव की गुंजाइश कम हो जाती है। यहीं से दो इंसान के बीच प्रेम की लौ की शुरुआत होती है।
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया और डेटिंग साइट्स पर ‘सैपियोसेक्शुअल’ शब्द का इस्तेमाल काफी होने लगा है। ऐसे लोग जो इंटेलीजेंस की तरफ आकर्षित होते हैं, वे खुद को ‘सैपियोसेक्शुअल’ कहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह का अट्रैक्शन मेंटल ही नहीं फिजिकल भी होता है। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में किए गए वर्ष 2017 के एक अध्ययन में कहा गया है कि हाई लेवल की इंटेलीजेंस का मतलब खुद के संभावित अस्तित्व और माता-पिता और पार्टनर के हितों तक सीमित रखना ही नही है। इसका उद्देश्य कुछ हद तक खास सेक्सुअल अट्रैक्शन को बढ़ावा देना भी है। कुछ लोगों के लिए हाई लेवल की इंटेलीजेंस के मायने इतने महत्वपूर्ण हैं कि यह किसी भी अन्य विशेषता की तुलना में अधिक तेज़ी से प्रेम की लौ जला सकती है।
जबकि, एक संतोषजनक रिश्ते के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के आकर्षण का होना काफी अहम है। क्योंकि यही चीज़ इंसान के भीतर इमोशनल कमपैटबिलिटी को ज़िंदा रखने में मदद कर सकती है। आखिरकार जब रिश्तों में कोई खटास आ जाता है, तब हम सभी को किसी ऐसे इंसान की ज़रूरत होती है, जो हमें समझे और हमारा सपोर्ट कर सके। यहीं पर इमोशनल इंटेलीजेंस और मैच्युरिटी काम आती है। द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंडियन साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ‘जो लोग गहरी समझ रखते हैं, वे सहानुभूति और अपनी भावनात्मक ज़रूरतों के बारे में भली भांति जानते हैं। उनमें दूसरों के करीब आने और अंतरंग संबंधों को साझा करने की चाह अधिक हो सकती है।’ अध्ययन में आगे बताया गया है कि जब ऐसे लोग अपने पार्टनर के साथ आपसी विश्वास और विचार साझा करते हैं, तब उनके रिश्ते काफी स्वस्थ और काफी लंबे हो सकते हैं। साथ ही प्रेम की लौ जल उठती है।
कभी-कभी किसी कपल के संबंधों में स्पष्टता नहीं होने पर भी रिश्ता काफी लंबे समय तक चल जाता है। बौद्धिक या उचित भावनात्मक माहौल नहीं होने पर भी कपल वर्षों तक एक साथ रह सकते हैं। मिसाल के तौर पर बेंगलुरु की एक कलाकार आशा रवींद्रन को ही देख लें। उनकी शादी हुए ढाई साल हो चुके हैं। करीब एक साल तक पति-पत्नी के बीच विवाद और रिश्तों में कड़वाहट के बाद उन्होंने लगभग तलाक लेने का फैसला कर लिया था। ‘मैं और मेरे पति हर मायने में अलग-अलग हैं। मैं सपने देखने में विश्वास रखती हूं और वो एक यथार्थवादी हैं। मैं बहुत आध्यात्मिक हूं, तो वह काफी प्रैक्टिकल हैं। एक समय तो मुझे ऐसा लगा कि हम एक साथ बिल्कुल भी नहीं रह सकते हैं। इतना होने पर भी हमने अपने आपसी मूल्यों और नैतिकता को याद किया। हमने उन समस्याओं के बारे में सोचा और उनसे कैसे निपटा जा सकता है, दोनों लोगों ने मिलकर काम किया। इसके बाद हमने एक-दूसरे के साथ कुछ मसलों पर आपसी समझौते के आधार पर उसका हल निकाला। इस तरह आज साथ रहते हुए एक-दूसरे को समझने के लिए काफी मौका दे रहे हैं। इस समझदारी ने प्रेम की लौ को एक बार फिर जला दिया है।
आज के पॉपुलर कल्चर के दौर में इस्तेमाल होने वाले ‘अपोजिट अट्रैक्शन’ के बारे में हम सभी लोग परिचित हैं। हमने कई स्मार्ट, सुखी-संपन्न महिलाओं को किसी गरीब और अशिक्षित व्यक्ति से प्यार करते देखा है। जमीन से जुड़े और एक व्यावहारिक उद्यमी अपनी ड्रीम गर्ल को पाने के लिए काफी सपने बुनता है। भले ही इंसानों के बीच किसी भी प्रकार की समानता और उचित माहौल नहीं है, फिर भी हमें बताया गया है कि वे कैसे खुशी-खुशी एक साथ रहते हैं।
हम सोच सकते हैं कि ऐसी बातें सिर्फ और सिर्फ किसी फिक्शन में ही होती हैं, लेकिन वे वास्तविक जीवन में भी करते हैं और कर सकते हैं। आशा और उसके पार्टनर काफी मतभेदों के बाद भी अपने साझा मूल्यों की मज़बूत नींव के आधार पर प्रेम की लौ को फिर से जलाया है।
सुब्रमण्यम बताते हैं, ‘जब सोच के विपरीत इंसान से कुछ हद तक अट्रैक्शन्स होते हैं, तो वह दिलचस्प बहस के एक तरह से खुराक का काम करता है। मेंटल अट्रैक्शन तभी काम आ सकती है, जब आप दूसरे व्यक्ति के कोर वैल्यू को स्वीकार करते हैं। यदि आप एक-दूसरे के मूल सिद्धांतों के साथ आमने-सामने हैं, तो ऐसे में एक-दूसरे के हित लंबे समय तक बरकार नहीं रह सकते। आप दोनों किसी तरह के पूर्वाग्रह से घिर जाते हैं। कहने का मतलब यह है कि अलग-अलग बैकग्रांउड के लोगों के बीच मेंटल अट्रैक्शन हो सकता है और संबंधों को अच्छे से निभा भी सकते हैं। बशर्ते, वे एक-दूसरे से बिना किसी पूर्वाग्रह के मिले और एक-दूसरे के अनुभवों से सीख लेकर एक लंबा रास्ता तय करने का पूरा प्रयास करें।
इसमें कोई शक नहीं है कि मेंटल और फिजिकल अट्रैक्शन (Mental and physical attraction) दो लोगों के बीच प्रेम की लौ जला सकता है। जैसे-जैसे समय बीतता है उसी तरह आपसी प्रयास और समझ के बल पर ही व्यक्ति उस अट्रैक्शन को लंबे समय तक बरकार रख सकता है। इसके जरिए ही दोनों इंसान किसी भी परिस्थिति में एक-दूसरे को समझ और सम्मान कर सकते हैं। साथ ही मौका पड़ने पर सपोर्ट कर सकते हैं। निश्चित रूप से उत्साह और रुचि पैदा करने वाली बातें हमेशा एक लचीले रिश्ते में प्रेम (Rishte mein prem) की लौ जगा सकती हैं, जो समय की कसौटी पर खरी भी उतरती है।