नए दोस्त कैसे बनाएं

नया शहर छीन लेता है पुराने दोस्त: कैसे करें नए शहर में दोस्ती की नई शुरुआत?

नया शहर आपको अकेला नहीं कर रहा, वो आपको एक नया मौका दे रहा है, फिर से रिश्ते गढ़ने का, फिर से किसी की यादों में जगह बनाने का। शुरुआत आसान नहीं होती है, लेकिन मुमकिन ज़रूर है।

जीवन के सफर में हम आगे बढ़ते रहते हैं, गांव से कस्बा, कस्बा से शहर और शहर से मेट्रो सिटी। इस दौरान हमें हर जगह सब कुछ नया मिलता है, लेकिन जो चीज़ सबसे ज़्यादा चुभती है, वो है पुराने दोस्तों की कमी, जिनके साथ बचपन के किस्से थे, कॉलेज की मस्ती थी या जिनसे हर छोटी-बड़ी बात शेयर की जाती थी। वो पुराने दोस्त अब कॉल या मैसेज तक सीमित हो जाते हैं।

नया शहर सब कुछ बदल देता है। लेकिन यही शहर, अगर हम चाहें तो एक नई कहानी भी बन सकता है। दोस्ती सिर्फ उम्र, स्कूल या मोहल्ले तक सीमित नहीं होती, ये एक एहसास है, जो नए लोगों में भी जगाया जा सकता है। शुरुआत में थोड़ी अजीब लग सकती है कि क्या बात करूं?, कैसे शुरू करूं?, कोई मुझे अपनाएगा भी?, लेकिन सच्चाई तो यह है कि हर नया शहर भी उतना ही खुला होता है, जितना हम खुद होते हैं।

कॉफी शॉप में किसी के साथ बैठना, जिम में किसी से हल्की बातचीत करना या वर्कप्लेस में किसी को लंच पर चलने को पूछ लेना, यही छोटी-छोटी बातें नए रिश्तों की नींव बनती हैं। तो चलिए इस फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) के अवसर पर हम आपको नए शहर में दोस्ती की नई शुरुआत कैसे कर सकते हैं, इसके बारे में बताते हैं।

नए शहर में दोस्ती की नई शुरुआत कैसे करें? (Naye shahar mein dosti ki nayi shuruaat kaise karein?)

खुद को थोड़ा एक्सपोज करें

नए शहर में खुद को थोड़ा एक्सपोज करना बहुत ज़रूरी है। अगर आप ऑफिस, कॉलेज या पड़ोस में किसी से हल्की-फुल्की बातचीत करेंगे, तो सामने वाला भी कनेक्ट करने में सहज महसूस करेगा। शुरुआत हमेशा एक मुस्कान या ‘हाय’ कहने से ही होती है।

कॉमन इंटरेस्ट तलाशें

अगर आपको किताबें पढ़ना पसंद है, तो लाइब्रेरी या बुक क्लब्स जॉइन करें। अगर फिटनेस पसंद है, तो जिम, योगा क्लास या रनिंग ग्रुप्स में जाएं। जहां भी लोग एक जैसी चीज़ों में दिलचस्पी रखते हैं, वहां दोस्ती जल्दी होती है।

छोटे इशारे बड़ा असर करते हैं

कभी-कभी किसी के काम में मदद करना, लंच शेयर करना या बस उनका हालचाल पूछ लेने से बड़ा फर्क पड़ता है। लोग उस इंसान को याद रखते हैं, जो सुनना जानता हो।

डर को कम कीजिए

हमें लगता है कि कहीं सामने वाला मना ना कर दे या हमें अजीब ना समझे। लेकिन ज़्यादातर लोग खुद भी दोस्ती के लिए तरस रहे होते हैं, बस कोई पहल करने वाला चाहिए होता है। क्या पता आपकी पहल ही किसी की ज़िंदगी आसान बना दे।

पुराने दोस्तों को छोड़े नहीं

नए रिश्ते बनाने का मतलब ये नहीं कि पुराने दोस्तों को भूल जाएं। उनका साथ और बातें अब भी आपके लिए एक सहारा है। पर ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए नए रिश्तों को भी जगह देनी होती है।

रिश्ते जगह देखकर नहीं, दिल से बनते हैं (Riste jagah dekh kar nahi, dil se bante hain)

नया शहर आपको अकेला नहीं कर रहा, वो आपको एक नया मौका दे रहा है, फिर से रिश्ते गढ़ने का, फिर से किसी की यादों में जगह बनाने का। शुरुआत आसान नहीं होती है, लेकिन मुमकिन ज़रूर है। थोड़ी हिम्मत, थोड़ा धैर्य और थोड़ा अपनेपन से आप नए शहर में दोस्ती की एक खूबसूरत शुरुआत कर सकते हैं।

फ्रेंडशिप डे के अवसर पर इस आर्टिकल में हमने यह बताने की कोशिश की है कि आप नए शहर में कैसे लोगों से दोस्ती कर सकते हैं और अपने जीवन को एक दिशा दे सकते हैं। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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