बच्चों के साथ बच्चा बनने का मतलब ये नहीं है कि आप उन्हें समझाना और सही रास्ता दिखाना छोड़ दें, बल्कि बच्चों के साथ बच्चा बनने का मतलब है कि उनके साथ उसकी पसंदीदा गतिविधियों में शामिल होकर, उनके दोस्त बनकर उन्हें सही परवरिश देना।
बच्चों के साथ गहरा कनेक्शन बनाना, आज के वक्त में मुश्किल इसलिए भी है, क्योंकि हमारे व्यस्त जीवन और दिन प्रतिदिन बढ़ती आधुनिकता की वजह से हम बच्चों के साथ समय बिताने से चूक जाते हैं। जबकि बच्चों के साथ बच्चा बनकर खेलना और उनकी दुनिया में खुद को शामिल करना हमारे रिश्तों को मजबूत बनाये रख सकता है।
एक ज़माना था जब ऐसा माना जाता था कि बच्चे डांट और फटकार से ही सही रास्ते पर चल पड़ते हैं। पर अब ज़माना बहुत बदल चुका है, आज के बच्चे मां-बाप से हर चीज़ में सपोर्ट की मांग करते हैं, और चाहते हैं कि उन्हें समझा जाये। पर अगर हम बच्चों की बात सुने बिना ही पुरानी तरीके की डांट-फटकार वाली परवरिश से बच्चों को सही चीज़ें सिखाने की कोशिश करेंगे और संस्कार देने की कोशिश करेंगे तो इससे हमारे बच्चे हमसे दूर हो जायेंगे।
तो चलिए मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स देती हूं, जो आपको अपने बच्चों से गहरा कनेक्शन बनाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन, उससे पहले थोड़ी जानकारी बाल दिवस (Children’s Day) के बारे में भी लेते हैं।
बाल दिवस कैसे मनाया जाता है? (Baal Divas kaise manaya jata hai?)
भारत के पहले प्रधानमंत्री यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था, उनका मानना था कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहा करते थे। उनके इसी प्यार के चलते चाचा नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस कहा जाता है।
पर क्या आप जानते हैं, बाल दिवस कैसे मनाया जाता है? अगर नहीं। तो मैं आपको बताती हूं कि बाल दिवस के दिन स्कूलों में बच्चों को समर्पित प्रोग्राम रखे जाते हैं। जिनमें खेल प्रतियोगिता और सांस्कृतिक डांस भी शामिल हैं। बच्चों को उपहार दिए जाते हैं, और उन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मौका दिया जाता है।
कब है राष्ट्रीय बाल दिवस? (Kab hai Rashtriya Baal Divas?)
राष्ट्रीय बाल दिवस या बाल दिवस हर साल, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी के जन्मदिन पर 14 नवंबर को मनाया जाता है।
ऐसे बनाएं अपने बच्चों से गहरा कनेक्शन (Aise banayein apne bachhon se gehara connection)
ऐसे तो बाल दिवस शिक्षक और बच्चों के रिश्ते पर मुख्य रूप से आधारित है। मगर माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। इसलिए इस बार हम बाल दिवस पर बच्चों और पेरेंट्स के रिश्ते की बात करेंगे। आइये सोलवेदा के संग जानते हैं कुछ ऐसी बातें जिन्हें अपनाकर, हम अपने बच्चों से गहरा कनेक्शन बना सकते हैं।
ऐसे बनाएं बच्चों से गहरा कनेक्शन:
उनकी पसंद को समझें
बच्चे जो खेल या जो काम करना पसंद करते हैं, उन्हें उनके साथ करें। चाहे वह कोई खेल हो, ड्रॉइंग, कहानी सुनाना या कोई क्रिएटिव एक्टिविटी हो। जब आप उनकी रुचियों में शामिल होते हैं, तो वे आपको अपना साथी समझने लगते हैं।
खुलकर बातचीत करें
बच्चों से खुली और सरल भाषा में बात करें। उनसे उनके विचार, सपने, और भावनाओं के बारे में पूछें। जब वे महसूस करते हैं कि आप उन्हें समझ रहे हैं, तो आपका रिश्ता और गहरा हो जाता है।
टेक्नोलॉजी से ब्रेक लें
बच्चों के साथ समय बिताते समय फोन या अन्य गैजेट्स से दूर रहें। यह उन्हें यह दिखाने का एक तरीका है कि आप उनके लिए पूरी तरह उपस्थित हैं। साथ ही, उन्हें अपनी पुरानी यादों से जुड़े किस्से भी सुनाएं, ताकि वो आपको अपना दोस्त महसूस कर सकें।
खेलें और मस्ती करें
बच्चों के साथ खेल खेलें, दौड़ लगाएं, खूब हंसे, खुश (Happiness) रहें और मजेदार चीज़ें करें। यह ना केवल आपके बीच का बॉन्ड मजबूत करेगा, बल्कि आपको उनके नज़रिये से दुनिया देखने का मौका भी देगा।
अपने रिएक्शन पर कंट्रोल रखें
अक्सर पेरेंट्स गुस्से में आकर बच्चों से कुछ भी कह देते हैं। उनपर बुरी तरह चिल्ला देते हैं। कई बार उनसे माफी भी नहीं मांगते। याद रखें बच्चों के साथ बच्चा बनने पर ही आप उनके दोस्त बन पाएंगे। कभी भी अपने बच्चों से माफी मांगने में ना हिचकिचाएं। इससे वे भी अपनी गलतियों पर झट से माफी मांगना सीखेंगे। अपने रिएक्शन में संयम लाने की भी कोशिश करें।
तुलना कभी ना करें
कई पेरेंट्स को लगता है अगर वे अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करेंगे तो उनके बच्चे बेहतर बनेंगे। ऐसा कभी नहीं होता उल्टा बच्चे अन्य बच्चों से चिढ़ने लगते हैं और पेरेंट्स से भी दूर रहने लगते हैं। उन्हें बेहतर बनाने के लिए आप उन्हें प्रेरणादायक लोगों की कहानियां सुना सकते हैं। लेकिन, अन्य बच्चों से कभी तुलना ना करें।
उनकी राय को महत्व दें
बच्चे छोटे होते हैं लेकिन अपने उम्र के हिसाब से वे खुद को समझदार ही समझते हैं। जब भी कुछ काम करें, उनकी राय ज़रूर लें ताकि उन्हें लगे आप उन्हें भी महत्व देते हैं। गलत फैसला लेने पर उन्हें प्यार से समझाएं और सही फैसला लेने पर उनकी तारीफ करें।
उनके बेस्ट फ्रेंड बनें
मैंने तो अपने मां-पापा से कई बातें छिपाई हैं। ऐसा करने के कारण मैं कई बार परेशानी में फंसी हूं। आज मुझे एहसास होता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं अपने पेरेंट्स से डरती थी। बहुत ज़रूरी है कि आपके बच्चे आपको दोस्त मानें ताकि ज़रूरत पड़ने पर वे सबसे पहले आपके पास आएं। अगर आप चाहते हैं कि वे आपसे कोई बात शेयर करें तो आपको भी उनसे वही बात शेयर करनी होगी, तभी उन्हें लगेगा वे भी अपनी बात आपसे कह सकते हैं।
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