किसी को खुश और खुशामद करने में है जमीन-आसमां का अंतर

हर समय लोगों पर मेहरबान रहना, दूसरों को खुश करने की कोशिश में समय और ऊर्जा खर्च करना व्यर्थ है। लेकिन आप इस परिस्थिति से कैसे उबर सकते हैं? सबसे पहले आप किसी को खुश करने और खुशामद करने के अंतर को समझें।

यह एक जाना-पहचाना किस्सा है।

आप अपने दोस्तों के बनाए हर एक प्लान पर हां कहते हैं। भले ही आपको उसमें कोई दिलचस्पी न हो।

आप उन रीति-रिवाजों में हिस्सा लेते हैं, जिनमें आपका विश्वास तक नहीं होता।

आप अपने उस साथी के साथ रहने लगते हैं, जिसके साथ आप कमिटमेंट के लिए तैयार नहीं होते।

रोजी-रोटी के लिए आप यात्रा करना और तस्वीरें लेने जैसे पेशे में जाना चाहते हैं, फिर भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं।

आप अपने जीवन का हर पल दूसरों को खुश करने में बिता रहे हैं और इनमें से किसी ने भी आपको खुशी नहीं दी है, दी है क्या?

हम दूसरों की खुशियों के लिए क्यों करते हैं समझौता? (Hum dusron ki khushiyon ke liye kyun karte hain samjhuta)

लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे, इस बात को लेकर हम हमेशा परेशान रहते हैं। हम पल भर भी नहीं सोचते कि ऐसा करने से हम अपने ही जीवन को प्रभावित कर रहे हैं।

हमने समाज की ज़रूरतों के हिसाब से खुद को ढालना सीख लिया है। जो हम करना चाहते हैं, उसे लेकर हम स्वयं ही आश्वस्त नहीं रहते, क्योंकि हो सकता है कि यह समाज को ठीक न लगे।

हमें लेकर दूसरों का नज़रिया ही इस बात को नियंत्रित करने लगता है कि हम क्या करें और क्या न करें। औरों को पसंद आने की उम्मीद में हम बार-बार खुद में सुधार और खुद की इच्छाओं के साथ समझौते करते रहते हैं। हर कीमत पर लोगों को खुश रखना हमारे लिए खुद खुश रहने से ज्यादा ज़रूरी हो जाता है।

सही कारणों के लिए काम कीजिए  

हमेशा औरों को खुश करने के लिए हमारा कीमती समय और ताकत खर्च करना व्यर्थ है। हमेशा सब पर मेहरबान (Merciful) होने की ज़रूरत नहीं है।

हमारे बस में जो कुछ है, वह सब करने पर भी हो सकता है शायद वे हम पर ध्यान ही न दें। ऐसे में शायद आप खुद को कमज़ोर और हारा हुआ महसूस करें।

किसी को खुश करने और खुशामद करने के बीच का अंतर समझिए। आखिरकार यह बात आप काम किस इरादे से कर रहे हैं उस पर निर्भर करता है। जैसे कि अपने प्रियजनों की ज़िद पर वह फिल्म देख लेना जो आपको पसंद न हो या थकान भरे दिन के बाद जब आप सोना चाहते हो, लेकिन अपने नज़दीकी लोगों का मन रखने के लिए फिल्म देखने जाने के लिए हामी भर देना। दोनों बातों के फर्क को आपको समझना होगा।

अपने काम को जुनून, खुशी और प्रेरणा से कीजिए। लेकिन सबसे ज़रूरी है कि आप सही कारणों के लिए ही, कोई भी कार्य कीजिए। इससे आपकी ज़िंदगी में हमेशा खुशियां रहेंगी।