अंग्रेजी के मशहूर कवि अलेक्जेंडर पोप ने अपनी एक कविता में जिक्र किया है- ‘गलतियां करना इंसानी फितरत है, क्षमा करना ईश्वरीय कृत्य।’ यह पढ़ने में आपको एक साधारण वाक्य लग सकता है, लेकिन आज यह एक जाना-माना मुहावरा बन चुका है। यह सर्वविदित है कि जीवन में हर कोई कभी न कभी गलती ज़रूर करता है, यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण भी है। सफलता और विफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। बावजूद इसके विफलता हमारे जीवन पर काफी असर डालती है। कुछ लोग अपनी सफलता की सीढ़ी के रूप में देखते हैं, तो कुछ लोग असफल होने के बाद निराश हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि अब तो उनका आगे का रास्ता ही बंद हो गया। हालांकि लोग विफलता के मायने सफलता का अभाव के रूप में लगाते हैं। लेकिन, वास्तव में देखा जाए तो इसके सही मायने आप पर निर्भर करता है कि आप इसे किस रूप में देखते हैं। कुछ लोगों के लिए छोटी-छोटी गलतियां भी विफलता की तरह लगती है, तो वहीं दूसरे किसी के लिए बड़ी-से-बड़ी घटनाएं भी उन्हें तोड़ने के लिए नाकाफी होती हैं। क्योंकि लोग इस बात को भली-भांति जानते हैं कि गलती करना तो अपरिहार्य है। हम इसे किस तरह देखते हैं, इसी से फर्क पड़ने लगता है।
हम लगातार इस डर में जीते हैं कि कोई हमारे बारे में क्या सोचता है और सामाजिक रूप से स्वीकृत एक कंफर्ट जोन से बाहर देखने से भी खुद को रोकते हैं, तो कहीं न कहीं हम अपनी क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने पर विराम लगा रहे होते हैं। हम इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि जजमेंट का डर हमें पूरी तरह से आलसी बना देगा और अंत: हमें हमारे बर्बादी के कगार पर ले जाएगा।
थॉमस अल्वा एडिसन 10,000 बार विफल होने पर भी नहीं छोड़ा प्रयास (Thomas Alva Edison 10000 bar vifal hone par bhi nahi chora prayas)
दूसरे लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे, इसका डर हमें आलोचनाओं के प्रति कमजोर बनाता है और हमारी क्रिएटिविटी को नुकसान पहुंचाता है। जब हम भीड़ को खुश करने के लिए नए-नए विचारों के साथ आगे बढ़ते हैं, तो उस वक्त हमारी सारी मौलिकता कहीं खो जाती है। हममें से लगभग सभी लोगों ने इस तरह का अनुभव ज़रूर महसूस किया होगा। इसका सबसे आदर्श उदाहरण यह है कि जब हम किसी मीटिंग में पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहने के लिए खड़े होते हैं, तो हम कुछ बोल नहीं पाते हैं और कहने के बाद हकलाने लगते हैं। कई बार ऐसा होता है कि हमारे मन में अरबों नकारात्मक विचारों में घिरे होते हैं और शरीर से पसीना छूटने लगता है और अपना मुंह खोलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा महसूस होता है कि आपको देखकर लोग फुसफुसा रहें हैं और आप दूसरों के लिए हंसी के पात्र बने हैं, जबकि ऐसा नहीं होता है।
अगर, अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन को बार-बार फेल होने के बावजूद इस बात का डर सताता कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे, तो वे बिजली के बल्ब का आविष्कार नहीं कर पाते। जिस कठिन रास्ते को उन्होंने चुना, जब इसके बारे में उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि “मैं असफल नहीं हुआ हूं। मैंने उन 10,000 तरीकों के बारे में पता लगाया है जो काम नहीं करेंगे।”
लेकिन, अगर आप कहेंगे कि हर कोई एडिसन जैसा नहीं होता, तो आप बिल्कुल सही हैं। असफल होने के बाद हममें से कई लोग इसको लेकर तैयार नहीं होते कि वे 9,999 बार कोशिश कर पाएं। याद रखें कभी-कभार आपकी सबसे बड़ी विफलता आपकी सबसे बड़ी सफलता के ठीक पहले आती है। आपको इस बात की थोड़ी भी भनक नहीं लग पाती है कि आप अपनी सफलता के कितने करीब पहुंच गए हैं। जब लोगों ने थॉमस एडिसन से उनकी ज़िद के बारे में पूछा तो उनका जवाब था “हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है कि हम हार मान लेते हैं। सफल होने का सबसे सटीक तरीका हमेशा एक बार और प्रयास करना है।”
लाख असफलताओं के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और निराशा से भरे धुंध के बीच भी उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा, जो अपने आप में असंभव वाली चीज़ थी। इसलिए जीवन में कभी भी प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए और तुम्हें भी इसे अपनाना चाहिए।
स्टीव जॉब्स: तमाम बाधाओं से निपटने के लिए खुद को किया तैयार (Steve Jobs : Tamam badhaon se nipatne ke liye khud ko kiya tyaar)
एक बात स्पष्ट है कि आज का दौर स्टार्टअप का है। स्टार्टअप के क्षेत्र में जो भी सफल कंपनियां आज दिख रही हैं, यह ऐसे लोगों की दिमाग की बदौलत हैं जिन्होंने परंपरागत बिजनेस कौशल से हटकर कुछ अलग करने का सोचा। कुछ नया करने का विचार उनके मन में तभी आया होगा, जब उन्होंने अपने डर को खत्म करने का साहस जुटाया होगा और तमाम बाधाओं से निपटने के लिए खुद को तैयार किया होगा। इस कड़ी में मुझे हम लोगों के समय के सबसे महान अन्वेषकों में से एक हैं स्टीव जॉब्स। इन्होंने अपनी दृढ़ता की बदौलत एप्पल को न सिर्फ स्थापित किया, बल्कि अपने उल्लेखनीय काम से इंटरनेट से जुड़ी पूरी दुनिया को नए सिरे परिभाषित किया।
साल 2000 की शुरुआत में हम लोगों में से किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन महज हथेली के आकार के इस गैजेट में हजारों गाने और वीडियो होंगे। स्टीव जॉब्स ने वह करनामा कर दिखाया, जिसकी कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। उन्होंने आइपॉड लांच किया। जॉब्स एक आज़ाद ख्यालों वाले विचारक थे, जिन्होंने दुनिया में क्रांति ला दी। अपने विचारों को सबके सामने रखने में उन्होंने कभी शर्म नहीं की। अगर वे इस बात से भयभीत रहते कि उनके आइडिया को लेकर साथ काम करने वाले लोग क्या सोचेंगे, तो शायद आज हमें एप्पल जैसे शानदार गैजेट का बखूबी इस्तेमाल करने का सौभाग्य नहीं मिल पाता। एक बार उन्होंने कहा था कि “यह याद रखना कि भले ही मैं जल्द ही मर जाऊंगा, लेकिन जीवन में बड़े विकल्प चुनने में मेरी सहायता करने के लिए यह सबसे अहम टूल है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि मरने के बाद लगभग सभी चीजें, हमारी बाहरी उम्मीदें, हमारा अहंकार, शर्मिंदगी या फेल होने डर, सब कुछ अपने आप खत्म हो जाता है। लोगों के बीच शेष रह जाता है, जो-जो वास्तव में महत्वपूर्ण है।
अपने डर को दूर करें (Apne dar ko dur karen)
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री सर विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहा था, “सफलता अंतिम नहीं है, असफलता घातक नहीं है, यह जारी रखने का साहस है जो मायने रखता है।” महान से महान शख्सियत कई बार असफल ज़रूर हुए हैं। यदि उन्होंने जीवन में हार के सामने अपने घुटने टेक दिए होते तो वे कभी महान नहीं बन पाते। डर भी ऐसी भावना है जैसी खुशी होती है। कभी-कभार डर को भगाने के लिए उसे अपने गले भी लगाना पड़ता है। जीवन में अगर कुछ बड़ा मुकाम हासिल करना है, तो असफलता को भी गले लगाएं और उसे स्वीकार करें। मगर, याद रखें असफलता को आप दोहरा भी सकते हैं, लेकिन आप उन चीज़ों की कभी पुनरावृत्ति या बदलाव नहीं कर सकते, जिसके लिए आपने कभी प्रयास ही नहीं किया हो। अगर आप प्रयास ही नहीं करते हैं या आसानी से हार मान लेते हैं, तो आपको हमेशा हैरान होंगे कि और क्या कर सकते थे। अधिकांश लोगों को इस बात का मलाल रहता है कि वे बच-बचकर खेल रहे थे या शायद एक या दो बार प्रयास करने के बाद ही उन्होंने अपनी हार मान ली।
हमेशा मुखर रहें और खुद को इस बात का अहसास कराते रहें कि आपके प्रयास का नतीजा जो भी हो, वह आपको प्रभावित नहीं कर सकता है। मगर असली खुशी कोशिश करते रहने में और अपना 100 फीसदी देने में ही है। कभी-कभार ज़िंदगी में सबसे बड़ी कामयाबी विफलता की चट्टान से टकराने के बाद भी ‘चलो एक बार और कोशिश करते हैं’ कहने से मिलती है।
ऐसा न हो कि कहीं देर हो जाए, आप उस ज़द से बाहर निकलें और विचार करें कि क्या होगा अगर मेरे विचार से दुनिया का भाग्य ही बदल जाए?