इमोशनल लेवल पर लड़ रहे हैं, तो जाने उबरने के तरीके

हममें से अधिकांश लोग भावनात्मक बोझ (Emotional Burden) के साथ संघर्ष करते रहते हैं। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो किसी भी स्थिति में आगे बढ़ जाते हैं। ऐसा क्या है जो इन लोगों के पास है और आपके पास नहीं है? जवाब है, भावानात्मक बोझ का समापन।

जीवन में हर कोई एक बोझ लिए घूम रहा है। यह बोझ किसी अपने को खोने का हो सकता है या धोखा खाने का। दिल टूटने या किसी व्यक्तिगत चोट का बोझ भी हो सकता है। हममें से कई लोग जब भावनात्मक स्तर (Emotional Level) पर लड़ रहे होते हैं, तो उनको उससे उबरने में या खत्म करने में अधिक वक्त लगता है। ऐसे में यह मुद्दे हमारी ज़िंदगी पर हावी होने लगते हैं। उनके बगैर हम अपनी ज़िंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते। पर कुछ लोग हैं, जो इस बोझ की गठरी को उठाते हुए भी अपनी ज़िंदगी आराम से बसर करते हैं।

तो उन लोगों के पास ऐसा क्या है, जो आपके पास नहीं है? जवाब बहुत ही आसान है- समापन।

समापन का अर्थ है, वह सब कुछ समाप्त करना जो कभी आपके साथ हुआ था। कुछ लोग अपने दर्द से उबर नहीं पाते हैं। इसका दर्द की मात्रा से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह हमारे साथ वैसा ही बर्ताव करेगा, जैसा हम इसके साथ करेंगे। यह मान लेना कि हमारे पास दर्द है ही नहीं, ज्यादा घातक साबित होगा। कठोर होने का दिखावा करने से भी काम नहीं बनेगा और खुद के लिए दुखी होने से काम और भी बिगड़ जाएगा। जब हम ये तरीका अपनाते हैं, तो कुछ समय के लिए तो दर्द गायब हो जाता है, पर फिर बिना चेतावनी के यह दर्द ज्यादा आक्रामक रूप लेकर वापस आ जाता  है।

अत: समापन एक ऐसी स्थिति है जहां तक हमें खुद ही पहुंचना है। तो, आइए हम समापन को समझने की कोशिश करते हैं।

अपनी भावनात्मक गठरी (Emotional Baggage) को खोलिए

‘कुछ लोग समझते हैं कि कठिन परिस्थितियों में डटे रहना और लड़ते रहना सहनशील होने की निशानी है। हालांकि, एक वक्त ऐसा भी आता है कि हमें यह समझने में ज्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है कि ब हम इन भावात्मक बोझ को छोड़ पाएंगें’ – एन लेन्डर्स, अमेरिकी लेखक।

ऐसे में आत्म स्वीकृति इस गठरी से पीछा छुड़ाने के लिए बहुत लाभदायक होती है। आपके साथ जो हुआ उसे स्वीकार कीजिए। यह शर्मनाक, अजीब या दुखद हो सकता है। लेकिन जब एक बार आप खुद को समझा लेंगे, तो आप बेहतर महसूस करेंगे। आप जितना इंतजार करेंगे, यह गठरी उतनी ही भारी हो जाएगी। पर जब आप स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं, तो आप उस दर्द से खुद को अलग कर लेते हैं। अत: सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टिकोण को परे रखकर इसे व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करें। जब आपको लगता है कि आपने खुद को इस गठरी के भार से मुक्त कर लिया है, तो आप इस भाव को बनाए रखें और इस गठरी का भार न बढ़े यह लगातार कोशिश करते रहें।

भावनाओं को मत दबाइए

भावनाओं (Emotions) को दबाइए मत बल्कि उनको अनुशासित कीजिए। अगर आपका मन रोने का करे तो रोइए और चीखने का करे तो चीखिए। अपना वक्त लीजिए। अगर कोई आपसे कहता है कि इस दर्द से जल्दी से छुटकारा पाइए, तो उसकी बात को नजरअंदाज करें।

किसी भी झटके से उबरने या समापन  का कोई पूर्व निर्धारित तरीका या अवधि तय नहीं होती। आपको अपना ही वक्त लेकर घाव को भरने देना होगा। आप किसी घटना को इतना दिल से न लगाएं कि यह दर्द आपके गले की हड्डी बन जाए।

मन की कसक भविष्य को खराब करने का कारण बन सकती है। खुद पर भरोसा करने की क्षमता, ईमानदार होना, खुद को पहचानना एक नए और स्वस्थ रिश्ते बनाने या नई स्थिति का सामना करने के लिए बेहद आवश्यक गुण होते हैं। आगे बढ़ने से पहले पिछली भावनाओं को नियंत्रित करना या व्यक्त कर उन्हें सुलझा लेना बेहद आवश्यक है।

इसके लिए आप जो महसूस करते हैं, उसे लिख सकते हैं। आपकी डायरी आपको कभी नीचा नहीं दिखाएगी या फिर अपने भरोसेमंद साथियों, रिश्तेदारों से बात करें। आप किसी विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकते हैं। चुप्पी की जगह बातचीत को चुनिए, बदलाव ज़रूर होगा।

योजना बनाकर आगे बढ़ें

अपने वर्तमान और भविष्य के लिए एक उचित योजना का होना आवश्यक है। सिर्फ मौखिक योजना न बनाएं, बल्कि एक ठोस योजना बनाकर उस पर अमल करें। योजना ऐसी हो, जिस पर अमल करते वक्त आपको मजा आए। कुछ करने में मजा आने पर ही बात बनेगी। यह सोचें कि आप आगे कैसे बढ़ सकते हैं। अपनी-अपनी प्राथमिकताओं को तय कर अलग-अलग अवसरों की जानकारी हासिल करें। आपको जिसमें दिलचस्पी है, वह कार्य शुरू करें- मसलन पेंटिंग (Painting), संगीत, नृत्य आदि या फिर कुछ भी ऐसा कीजिए जो आपको खुशी देता हो। अपने आप को रोक कर न रखें। अपने दिल की भावनाओं के लिए योजना बनाएं। कुछ ऐसा करें कि अगर वह योजना आपके तय रास्ते पर नहीं भी चलती दिखे तब भी आपको योजना पर काम करते वक्त कुछ नया और महत्वपूर्ण सीखने को मिले।

जीना बंद न करें

‘‘आप इस बात से खुश या नाखुश नहीं होते हैं कि आप कौन हैं, आप क्या हैं, आप कहां हैं और आपके पास क्या है, बल्कि आप उन चीजों के बारे में अपनी सोच से खुश या नाखुश होते हैं।’’- डेल कार्नेगी।

समापन (Closure) का मतलब है कि जो भी अच्छा या बुरा हुआ है उसे पूरी तरह स्वीकार करना। आपको खुद को उस परिस्थिति का आदर करना होगा जो आपके सामने है। एक बात ध्यान में रखें कि आपकी मदद आप ही कर सकते हैं। खुद से बात करें। स्वयं संवाद का सबसे अच्छा पहलू यह है कि इसमें सवाल भी आपके ही हैं और जवाब भी आपको ही देना है। इस दौरान जो जानकारी बाहर निकले उसे महत्वपूर्ण मानकर उस पर काम करें।

लेकिन, समापन के रास्ते पर खुद को न भूलें और वह करते रहें, जिनमें आपका दिल लगता हो। यदि आप जो कर रहे हैं, उसमें आपको खुशी मिल रही है तो वह करते रहें, लेकिन इन बातों से मिले अनुभव का उपयोग मन को शांत करने के लिए करें। समय हर घाव को भर देता है। घाव का निशान तो रहता है, लेकिन वक्त के साथ घाव भर ही जाता है।

खैर, यदि कोई भी उपाय आपके लिए काम न करे तो इतना याद रखें, जैसा भी हो, अच्छा या बुरा वक्त गुजर ही जाता है।