अन्य लोगों की तरह मैं भी काफी लोगों के साथ घिरे हुए माहौल में बड़ी हुई। चाहे फिर वे मेरे माता-पिता, मेरे भाई-बहन, मेरे मित्र अथवा घर में काम-करने वाले नौकर-चाकर ही क्यों न हो, मैं कभी-कभार ही अकेली रही। स्कूल और कॉलेज (School & College) में मित्रों की खोज का सफर शानदार रहा। मुझे हमेशा से अपने आसपास कोई न कोई मौजूद चाहिए था। हालांकि अब पिछले कुछ समय से ‘मी टाइम’ का आइडिया कुछ खास होता जा रहा है। मैं संगीत सुनना, फिल्में देखना और अपनी सुबह की दौड़ को बेहद पसंद करतीं हूं। यह मेरा ‘टाइगर टाइम’ (Tiger Time) होता है। आप समझ जाएंगे कि ऐसा क्यों है।
सामाजिक प्राणी
हम किसी का साथ पसंद करते हैं, ताकि हमें भी लोग पूछें और प्यार करें। हम परिवारों के बीच रहते हैं, मित्रों और विद्यालय के साथियों के साथ बड़े होते हैं, सहयोगियों के साथ काम करते हैं और हॉबी क्लब का भी हिस्सा बनते हैं। बातचीत करने के हमारे तौर-तरीके, टेलीफोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया का तेज़ी से विकास हुआ है और यह हमारी इस जरूरत को आसानी से पूरा कर देते हैं। हम हमेशा किसी का साथ चाहते हैं और शायद इसी वजह से इसने अनजाने में ही हमें भाईचारे का आदी बना दिया है।
बाघ से मिली एक सलाह
जब एक बाघ बूढ़ा हो जाता है तब वह अपने समूह से अलग हो जाता है। जब वह अकेला होता है, तो वह शिकार करने के लिए घात लगाना और शिकार करना सीखता है। प्रत्येक शिकार के साथ उसका हुनर निखरता जाता है। इसी तरह ‘मी टाइम’ एक ऐसा समय है, जिसका उपयोग हम खुद में निखार लाने के लिए करते हैं। इसका उपयोग आप सब कुछ या कुछ नहीं करने के लिए कर सकते हैं।
खुद के साथ, खुद के लिए
हमउम्र के लोगों के दबाव में आकर हम पॉप्युलर च्वॉइस (popular choice) की ओर ढकेले जा सकते हैं। ऐसे में ‘मी टाइम’ इसके लिए ज़रूरी हो जाता है कि हम खुद को कहीं खुद से ही न खो दें। अपनेपन की भावना महत्वपूर्ण है लेकिन आत्म विश्लेषण और स्वतंत्रता इन सबसे ऊपर है।
अकेला लेकिन तनहा नहीं
अक्सर हम अकेलेपन और एकांत को एक ही मान लेते हैं। अकेलेपन का मतलब है हम अकेले हैं और किसी का साथ चाहते हैं। दूसरी ओर ‘मी टाइम’ आपको एक मौका देता है, जिसमें आप खुद को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। यह अवस्था कभी भी आपको दुख नहीं देगा और न ही आप नाराज़ होंगे। पर्याप्त तनहा रहने से हमारा मानसिक विकास, आत्म विकास होने के साथ खुशी-शांति मिलती है और हीलिंग होती है। अपने व्यस्त समय में से यदि हम नियमित रूप से सप्ताह में एक घंटा भी तनहा में गुजारते हैं तो इसका हमारे ऊपर सकारात्मक असर पड़ सकता है।
एक भिन्न पहलू
विभिन्न विचारधाराओं में एकांत को आत्म विश्लेषण की दृष्टि से बेहद आवश्यक अभ्यास माना गया है। इस दौरान हम स्वयं पर दृष्टि डालते हैं और यह आध्यात्मिक यात्रा के लिए भी बेहद ज़रूरी होता है। अपनी खुद की संगत में ही हम स्वयं के बारे में सही मूल्यांकन कर सकते हैं।
इसलिए ध्यान लगाएं, कला का रुख करें या फिर किसी यात्रा पर निकल जाएं। खुद को एक बेहतर अनुभव हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करें। जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे कि आपने कुछ नए शिखर फतह कर लिए हैं। घबराए नहीं, एकांतता/एकाकीपन को अपनाएं।