हम यह कैसे जानते हैं कि मानव जीवन हज़ारों साल पहले अस्तित्व में था? इसका एक स्पष्ट उत्तर है, ‘इतिहास’। राजाओं, रानियों और आम लोगों द्वारा समान रूप से कहानियां सुनाई और बताई गई हैं। ये कहानियां पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। यह बात कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कहानी सुनाने का प्रचलन मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। युद्ध, विजय, अन्वेषण और खोज, प्रेम, हानि और जीवन की कहानियों ने गुफाओं और मंदिरों की दीवारों पर पत्थर की मूर्तियों की तरह ही इतिहास के पन्नों को भी सजाया है। हम सभी के पास बताने के लिए कहानियां हैं और हम सभी में कहीं न कहीं एक कहानीकार है। लेकिन मास्टर कहानीकार (The Storyteller) बनने के लिए क्या-क्या करना होता है, इसका पता कम ही लगाया गया है। एक ईमेल साक्षात्कार में सिंगापुर स्थित कहानीकार और लेखिका रोजमेरी सोमैया बताती हैं कि कहानी कहने की कला की सूक्ष्मताओं और एक अच्छी कहानीकार होने के लिए वह क्या-क्या करती हैं।
क्या आप कहानी कहने की कला का वर्णन कर सकती हैं? (Kya aap kahani kahne ki kala ka varnan kar sakti hain?)
कहानी कहने की कला सबसे प्राकृतिक, सहज ज्ञान युक्त मानवीय कौशलों में से एक है। यह एक व्यक्ति द्वारा कही गई कहानी के माध्यम से दूसरे के साथ संबंध बनाने के बारे में है।
क्या आप हमें कहानी कहने की उत्पत्ति के बारे में बता सकती हैं? (Kya aap hame kahani kahne ki utpatti ke bare mein bata sakti hain?)
मैं निश्चित तौर से इस बारे में बताने के लिए न तो कोई वैज्ञानिक हूं और न ही कोई शैक्षिक(अकादमिक) क्षेत्र से, लेकिन मैं यह बता सकती हूं कि पर्याप्त शोध हैं जो दर्शाते हैं कि मानव मस्तिष्क एक कहानी के लिए यंत्रस्थ है। इसी के माध्यम से हम दुनिया में चारों ओर क्या हो रहा है उसको अपने अंदर समेटते हैं। फिर हम अपने अनुभवों को कहानी के उपहार के रूप में उन लोगों के साथ बांटते हैं, जिन्हें हम प्यार करते हैं या जिनके साथ हम रहते हैं, उन्हें जीवन की जटिलताओं को समझने में सक्षम बनाते हैं। इसलिए शोधकर्ता यह कह सकते हैं कि भले ही यह गुफा में चित्रों, इशारों, घुरघुर और गुर्राना जैसे शब्दों या भाषाओं के साथ हज़ारों साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन, आज भी कहानियों को बताने का मुख्य उद्देश्य यही है कि हम जीवन में जो अनुभव करते हैं, उससे अर्थ प्राप्त करें और इसे लोगों को प्रदान करें।
कहानीकार के रूप में कहानी सुनाते समय आप क्या अनुभव करती हैं? (Kahanikar ke roop mein kahani sunate samay aap kya anubhav karti hain?)
जब मैं एक कहानी सुनाती हूं तो मैं दर्शकों के साथ अपना एक हिस्सा बांटती हूं कि मैं कौन हूं – मेरी आशाएं, मेरे सपने, मेरे डर और मेरी सच्चाई क्या हैं। हालांकि अंतरंगता का यह कार्य इस तथ्य से परिभाषित है कि एक कहानी या कथा तथ्यों, विचारों और दृष्टिकोणों को दर्शाने का एक कुशल उपकरण है। हालांकि, हर किसी को तथ्य और कल्पना, सच्चाई और कहानी के बीच के अंतर को समझना चाहिए।
यह कहा जाता है कि कहानी सुनाना चिकित्सीय है। क्या आप हमें इसके बारे में कुछ बता सकती हैं? (Yah kaha jata hai ki kahani sunna chikitsakiye hai. kya aap hame iske bare mai kuch bata sakti hain?)
सुनने वाले दर्शकों को कहानी सुनाना मनुष्यों के बीच संबंध और जुड़ाव उत्पन्न करना है। कहानीकार अपने स्वयं के दृष्टिकोण को फिर से परखता है और श्रोताओं को या तो उन चीज़ों की याद दिलाई जाती है, जिन्हें वे पहले से जानते हैं या फिर नए तथ्यों या दृष्टिकोणों को उनके सामने रखा जाता है।
जब मैं एक कहानी पेश करती हूं तो मैं उम्मीद करती हूं कि वह बदले में एक और कहानी सुनाएंगे। मुझे दूसरे लोगों की कहानियां सुनना बहुत पसंद है। किसी कहानी का उज्ज्वल और रोमांचक प्रदर्शन ही नहीं है, जो मुझे आकर्षित करता है। मैं वास्तव में जिनमें दिलचस्पी रखती हूं वे शांत, अनकही कहानियां हैं जो उन लोगों द्वारा सुनाई जाती हैं जो स्वयं भी ये नहीं जानते हैं कि उनकी कहानियां कितनी महत्वपूर्ण हैं। हर किसी के पास अपनी कहानी को सुनाने के लिए कोई न कोई होना चाहिए। यही कहानी को चिकित्सीय बनाता है। लोग अक्सर अपनी खुद की समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं। इसके लिए उन्हें बस ज़रूरत है किसी सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति की जो समझ सके कि वो जो करते हैं वे ऐसा क्यों करते हैं।
बड़ी उम्र के लोग भी अच्छी कहानी का उतना ही आनंद लेते हैं जितना कि बच्चे। क्या आप विभिन्न आयु समूहों के साथ कहानी कहने के अनुभव बता सकती हैं?
कहानियां मनुष्य के लिए हैं। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ें- प्यार, शांति, खुशी, सुरक्षा- सभी उम्र के लिए समान हैं। महत्वपूर्ण प्रश्न है कि चीज़ें जिस तरह से होती हैं वैसी ही क्यों बनी रहती हैं। एक कहानीकार सरल भाषा का उपयोग करता है जो प्रभावशाली भी हो। अगर मुझे अपने दर्शकों के बारे में पहले से कुछ जानने का मौका दिया जाए तो मैं उनके लिए, उनके हिसाब से अपनी कहानी की पेशकश को आकार दे सकती हूं। मुझे अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को कहानियां सुनाने में मज़ा आता है।
किसी कहानी को अच्छी तरह से कहना एक जन्मजात गुण है। क्या आपको लगता है कि यह ऐसा कौशल है, जिसे कोई भी प्राप्त कर सकता है?
निश्चित रूप से। चूंकि यह पहले से ही एक जन्मजात गुण है, इसलिए आपको बस ज़रूरत है एक अच्छे गुरु की जो आपको आपकी खुद की कहानी कहने की शैली को विकसित करने में मदद करेगा और उसे फलने-फूलने देगा। मैं कई वर्षों से सभी उम्र के लोगों को प्रशिक्षित कर रही हूं और उनमें से कई उत्कृष्ट कहानीकार बन गए हैं।
क्या आप कहानियों को बताने के लिए किसी तकनीक का उपयोग करती हैं?
मेरे पास जो भी कौशल है जैसे आवाज़, शरीर, हाव-भाव, दर्शकों से जुड़ने की क्षमता, दर्शकों की भागीदारी, सरल और प्रासंगिक प्रौप जो भी तकनीक आवश्यक है मैं उसका उपयोग करती हूं। मैं सभी शैलियों के अन्य कलाकारों के साथ नियमित रूप से काम करती हूं। यह मुझे मेरे और दर्शकों, दोनों के लिए मेरे काम को ताज़ा और रोमांचक बनाए रखने में मेरी मदद करता है।
प्राचीन काल से मनाई जाने वाली एक मौखिक परंपरा, कथाकारी पिछले कुछ वर्षों से अस्तित्व क्यों खो रही है?
जैसा कि विलियम शेक्सपियर ने जूलियस सीज़र में कहा था, “मनुष्य के कार्यों में एक तूफान है…” कहानियां समस्याओं और उनके समाधानों के बारे में है। राजनीति, अर्थव्यवस्था, सामाजिक जीवन, प्रौद्योगिकी आदि में नई रणनीतियों का पता लगाने के लिए लोगों और समुदायों के लिए चीज़ों को न समझना और अलग प्रतीत होने वाले नए विचारों की ओर रुख करना स्वाभाविक है। तथ्य यह है कि कहानी कहने की कला का पुनरुत्थान होना यह दिखाता है कि महत्वपूर्ण चीज़ें बदलती नहीं समान रहती हैं। हम नए को अपनाते हैं और परीक्षण करते हैं कि क्या यह हमारे जीवन में वह वापस लाएगा, जिसे हम सबसे अधिक मूल्य देते हैं।