रीढ़ पर ध्यान केंद्रित करें

बाहर अपनी आंखें बंद कर लो और अपनी रीढ़ को आंखों के सामने लाओ। रीढ़ को एकदम सीधा, उन्नत रखो। इसे देखो, इसका निरीक्षण करो। इसके बीचोबीच एक तंतु को देखो, कमल के तंतु जैसा नाजुक, तुम्हारी रीढ़ के खंभे में से गुजर रहा है।

रीढ़ में बीचो-बीच एक रुपहला धागा  है, एक अत्यंत नाजुक मज्जा तंतु। यह शारीरिक तंतु नहीं है। अगर इसे खोजने के लिए ऑपरेशन (Opreation) करोगे, तो इसे नहीं पाओगे। लेकिन, गहरे ध्यान में इसे देखा जाता है। इस धागे के जरिए तुम शरीर से जुड़े हुए हो और उसी धागे से तुम अपनी आत्मा से भी जुड़े हो।

पहले रीढ़ की कल्पना करो। पहले तुम्हें अजीब लगेगा। तुम देख तो पाओगे, लेकिन कल्पना की तरह। तुम यदि प्रयास करते रहो, तो वह सिर्फ तुम्हारी कल्पना नहीं रहेगी वर्ना तुम अपने रीढ़ के खंभे को देख पाओगे।

आदमी अपने शरीर की संरचना (Sharir ki sanrachna) को भीतर से देख सकता है। हमने कभी कोशिश नहीं की, क्योंकि अत्यधिक डरावना हो सकता है, जुगुप्सा (निंदा) पैदा कर सकता है। जब तुम अपनी हड्डियां, रक्त, शिराएं देखोगे, तो तुम डर जाओगे। असल में हमने अपने मन को भीतर देखने से रोक रखा है। हम अपने शरीर को बाहर से देखते हैं, मानो तुम कोई और हो जो तुम्हारे शरीर को देख रहा है। तुमने अपने शरीर को भीतर से नहीं देखा है। हम देख सकते हैं, लेकिन इस डर के कारण वह एक अजीब चीज हो गई है। भीतर आओ और मकान को देखो, तब तुम भीतर की दीवारों को देखोगे। तुम अपने शरीर को बाहर से देखते हो मानो तुम कोई और हो जो तुम्हारे शरीर को देख रहा है। तुमने अपने शरीर को भीतर से नहीं देखा है। हम देख सकते हैं, लेकिन इस डर के कारण वह एक अजीब चीज हो गई है।

योग पर जो भारतीय किताबें हैं, वे शरीर के बारे में बहुत सी बातें कहते हैं जिन्हें आधुनिक वैज्ञानिक खोज ने एकदम सही पाया है; और विज्ञान इसका स्पष्टीकरण नहीं दे सकता। वे लोग कैसे जान पाए? शल्यक्रिया और मानवीय शरीर की आंतरिक संरचना के बारे में खोजें तो हाल ही में पैदा हुई हैं। वे आंतरिक नसों, केंद्रों और संस्थानों को कैसे जान पाए? वे आधुनिक खोजों के बारे में भी जानते थे, उन्होंने उनके बारे में चर्चा की है, उनपर काम किया है। योग हमेशा शरीर के संबंध में मूलभूत, महत्वपूर्ण बातों को जानता रहा है। लेकिन, वे शरीर का विच्छेदन नहीं करते थे, फिर वे कैसे जान पाए? दरअसल शरीर को देखने का एक और तरीका है -भीतर से। अगर तुम भीतर ध्यान करो, तो  अचानक तुम्हें अपना शरीर, उसके भीतर की पर्त दिखनी शुरू हो जाएगी।

अपनी आंखें बंद करो और शरीर को महसूस करो। शिथिल हो जाओ। रीढ़ के खंभे पर चित्त को एकाग्र करो। यह सूत्र बहुत सहजता से कहता है,” ऐसा करके रूपांतरित हो जाओ। तुम इसके द्वारा रूपांतरित हो जाओगे।

ओशो, दि बुक ऑफ सीक्रेट्स, # 9 से उद्धृत

ओशो को आंतरिक परिवर्तन यानि इनर ट्रांसफॉर्मेशन के विज्ञान में उनके योगदान के लिए काफी माना जाता है। इनके अनुसार ध्यान के जरिए मौजूदा जीवन को स्वीकार किया जा सकता है।