पुराने और नए का मिश्रण

नए और पुराने का मेल

किसी भी संस्थान में पुराने लोग सेना के जवान के समान होते हैं। उन्हें हर परिस्थिति से निपटने और जूझने का अच्छा-खासा अनुभव होता है।

भारत, खासकर भारतीय कॉर्पोरेट वर्ल्ड बड़ी ही तेज़ गति से एक बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। लगभग 10 साल से मौजूद व्यापारिक संस्थानों और कंपनियों ने अचानक एक नए ढंग से कारोबार करने का तरीका इजाद किया है।

टेक्नोलॉजी, कनेक्टिविटी, ग्लोबलाइजेशन : इन सभी का कारोबार करने के तरीके पर काफी प्रभाव पड़ा है। मगर, सबसे अहम बदलाव यंग वर्कफोर्स पर पड़ा है, जो कारोबार को बढ़ाने के लिए फैसले लेने वाली टीमों का हिस्सा बन रहा है। पुराने लोग अपने तजुर्बे से, तो युवा पीढ़ी अपनी नई सोच और फूर्ति के बूते एक शानदार संगठन का निर्माण कर सकते हैं।

चाणक्य बताते हैं, “सेना में तुरंत शामिल होने वाले नए जवान और एक लंबी दूरी तय कर अपने एक खास मुकाम पर पहुंचने वाले जवानों के बीच काफी अंतर होता है। नए जवान जंग में अच्छी तरह तभी लड़ सकते हैं, जब वे उस क्षेत्र से भली-भांति वाकिफ होंगे या पुराने जवानों के साथ अच्छी तरह से घुलेगे-मिलेंगे।”

किसी भी संस्थान में पुराने लोग सेना के जवान के समान होते हैं। उन्हें हर परिस्थिति से निपटने और जूझने का अच्छा-खासा अनुभव होता है। वे अपने कार्यक्षेत्र (मार्केट और कस्टमर ) को बेहतर तरीके से जानते हैं। इसीलिए, चाणक्य ने सुझाया है कि सेना में पहुंचे वाले नए जवान (नए प्रबंधक) बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, अगर वे अपने पुराने साथियों के अनुभव से सबक लेते हैं।

यहां दिए गए कुछ उपायों को अपनाकर आप अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

बदलाव के लिए विचारों की खिड़की खोलकर रखें

भले ही किसी काम को करने के लिए आपका कोई तरीका हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस काम को करने के लिए वही एकमात्र उपाय है और कोई अन्य तरीका है ही नहीं। अपने काम में हुनरमंद लोगों को भी किसी भी तरह के बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। आप देख ही रहे होंगे कि आज युद्धों में कैसे अस्त्र-शस्त्र बदल रहे हैं। सेना की तो और ही बात है। इसलिए उसी के अनुरूप अपनी अलग योजनाएं बनानी होगी। हालांकि, सबसे बेहतरीन तरीका है कि आप युवा पीढ़ी से सीखें। युवा पीढ़ी आज के आधुनिक हथियार जैसे-कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल-तकनीक के मामले में काफी जानकार है। इन चीज़ों में ये पीढ़ी काफी बेहतर है।

सीखने के लिए हमेशा तैयार रहें

युवा पीढ़ी के लिए भी यह ज़रूरी है कि वे अपने सीनियर और बड़े-बुजुर्ग के अनुभवों और गलतियों से सीखें। आज हम लोग जिस मुकाम तक पहुंचे हैं, वह हमारी पिछली पीढ़ियों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है। हम लोगों के पास एक से बढ़कर एक नए विचार और हुनर हो सकते हैं, मगर बड़े-बुजुर्गों के अनुभव हमारे लिए बेशकीमती हैं। सिर्फ बड़े-बुजुर्गों की संगत में रहने, उनकी कहानियों और परेशानियों को सुनने मात्र से ही कई चीज़ों को बेहतर ढंग से निपटने का तरीका सीख लेते हैं। इस तरह हमारा दृष्टिकोण भी बदल जाएगा।

दो पीढ़ियों के बीच समन्वय

दो पीढ़ियों के बीच अच्छे समन्वय ने एक शानदार संस्थान नींव रखी है। कुछ बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले संस्थानों ने इसे बखूबी साबित भी किया है। टॉप आईटी और कंसल्टिंग कंपनियां, जो अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए बेहतर सोल्यूशन और आइडिया प्रदान करती हैं। ये कंपनियां तकनीकी रूप से दक्ष युवा पीढ़ी और अनुभवी कर्मचारियों के बीच आपसी समन्वय की बदौलत ही बेहतरीन सेवाएं मुहैया करा पाती हैं।

जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के जैक वेल्च ने एक बार देखा कि स्कूल में पढ़ने वाले छोटे बच्चे कंप्यूटर के मामले में काफी फ्रेंडली थे। एक समय वो भी था, जब पहली बार पर्सनल कंप्यूटर आया था। जैक वेल्च और उनकी पीढ़ी के लोगों के लिए कंप्यूटर की कार्यप्रणाली को समझना बेहद मुश्किल काम लग रहा था। तब वेल्च के मन में विचार आया। उन्होंने अपने सीनियर मैनेजर को सिखाने के लिए बतौर शिक्षक के रूप में छोटे बच्चों को चुना। इस तरह जनरल इलेक्ट्रिक के लिए पहले कंप्यूटर गुरु कॉर्पोरेट ट्रेनर नहीं थे, बल्कि स्कूली बच्चे थे।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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