शिव और शक्ति बातें करते-करते एक दूसरे को कहानियां बता रहे थे। इन कहानियों के माध्यम से वे वेद और तंत्र का आदान-प्रदान कर रहे थे। उनकी बातें कई पशु-पक्षियों, गणों और यक्षों ने सुनी। भू लोक में आकर इन सबने ये कहानियां अपनी-अपनी भाषा में मनुष्य जाति को बताई। इसी से कथासरित्सागर नामक कहानियों के संग्रह का जन्म हुआ। कहते हैं कि दुनिया की सभी कहानियां इस कथा के सागर से ही आती हैं।
नाट्यशास्त्र को पंचम वेद इसलिए कहा गया है, क्योंकि भारतीय परंपरा में यह समझ थी कि धार्मिक ज्ञान और धार्मिक संकल्पनाओं को प्रस्तुत करने के लिए कथाएं ही योग्य माध्यम है। ऋषि समझ गए थे कि मनुष्य ही वो एकमात्र प्राणी हैं, जो कहानियों के माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान करता है। पशु या वृक्ष ऐसा नहीं करते। कहानियों के माध्यम से हम अपनी दुनिया और अपने जीवन को एक रूप देते हैं। इन्हीं के जरिए हम दुनियादारी समझते हैं। इससे हमें जीवन का अर्थ और उद्देश्य का पता चलता है।
कथाएं कई प्रकार की होती हैं। उदाहरणार्थ जब कोई बच्चा आकर अपनी मम्मी को बताता है कि स्कूल में क्या हुआ, तो क्या वो तथ्य बता रहा है या कोई कथा बता रहा है? दरअसल, वह अपने अनुभवों को कहानी के माध्यम से व्यक्त कर रहा होता है। या जब पत्नी स्कूल से लौटती है और उसका पति ऑफिस से लौटता है और दोनों एक-दूसरे को पूरे दिन में घटी घटनाओं के बारे में बता रहे हैं, तो क्या वे तथ्य बयां कर रहे होते हैं या दिनभर के अपने अनुभवों को संक्षिप्त कहानी के माध्यम से बता रहे हैं? इसी तरह यदि हम टीवी पर देखें तो जो बात राजनीतिज्ञ कर रहे हैं, क्या वे तथ्य हैं या एक कथा है?
ध्यान से देखें तो पता चलता है कि समाज में कथा के माध्यम से ही रिश्ते बनते और टूटते हैं। कहानी को हम गोंद कह सकते हैं, जो एक समुदाय को जोड़ता है। जैसे बाइबिल की कहानियां ईसाई समुदाय को जोड़ती हैं। मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह ने दुनिया का निर्माण किया और उन्होंने कुरान के रूप में हमारे जीवन का मार्गदर्शन दिया। कुरान के अनुसार यदि हम नियम का पालन करते हैं (मतलब हलाल) तो हम जन्नत जाते हैं और यदि हम नियम तोड़ते हैं या गलत काम करते हैं (मतलब हराम) तो हम जहन्नुम जाते हैं। इस तरह हम देखते हैं कि वह कहानी ही है, जिसके माध्यम से जीवन को एक नक़्शा मिलता है और जिसके सहारे वह अपनी दिशा तय करता है।
हिंदू धर्म का नक्शा बहुत ही अलग है। यह पुनर्जन्म में विश्वास करता है। हिंदू धर्म की मान्यता यह है कि हम हर जन्म में पूर्व जन्मों के ऋणों को लेकर आते हैं, जिसके कारण हमारे अनुभव इन ऋणों से ही रूप लेते हैं। तो पिछले जन्मों के कर्म इस जन्म में फलस्वरूप आते हैं और इस जन्म के कर्म बीजस्वरूप आने वाले जन्मों में फल का रूप ले लेते हैं। यह भी एक कथा है। जिस कथा को हम मानते हैं, उसी से हमारी संस्कृति का निर्माण होता है।
कुछ लोगों की मान्यता कि सभी कथाएं कपोल-कल्पित हैं, लेकिन सच नहीं। जब कोई संवाददाता हमें किसी घटना के बारे में बताता है, तो वह भी कहानी बताता है। जब वह कहानी बताता है तो बोलते-बोलते एक नायक और एक खलनायक का जन्म हो जाता है। जैसे दक्षिणपंथी लोग सरकार को नायक ठहराते हैं और पत्रकारों या विरोधियों को खलनायक ठहराते हैं। वामपंथी लोग राज्य को खलनायक ठहराते हैं। तो अपनी कहानियों के माध्यम से वे एक नायक या खलनायक को जन्म देते हैं।
तो हर कहानी में इस तरह हम एक नक्शा बना देते हैं, जिसके जरिए हमें अपने जीवन में मार्गदर्शन मिलता है। नाट्यशास्त्र के अनुसार हर कथा के दो भाग होते हैं, पहला होता है उसका शरीर जो दिखाई देता है और दूसरा होता है आत्मा जो दिखाई नहीं देती। आत्मा का अर्थ है वो जो हम कहानी के माध्यम से बताना चाहते हैं, जो व्यक्त करना चाहते हैं, जो विचार हैं। लेकिन हर कहानी की एक आत्मा और एक उद्देश्य होता है। कभी-कभी उद्देश्य ना होना भी उद्देश्य हो सकता है, जैसे वे कहानियां जो केवल मनोरंजन के लिए होती हैं।
शरीर वह माध्यम है, जिससे हम कोई विचार व्यक्त करते हैं। नाट्यशास्त्र में अभिनेता और उसके किरदार को हम पात्र कहते हैं। वो पात्र अपने चरित्र से दर्शक या श्रोता के मन में रस और भाव उत्पन्न करते हैं। इन रस और भाव के माध्यम से हमारे अंदर कई विचार उत्पन्न होते हैं, कई संकल्पनाएं आती हैं और दुनिया को देखने का दृष्टिकोण आता है।
कहानी हम इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि वे रहस्यमय होती हैं। कहते हैं कि रामायण और महाभारत में रामजी और पांडवों को ऋषि-मुनि ही कहानियों के माध्यम से ब्रह्माण्ड के बारे में ज्ञान दिया करते। इसलिए भारतीय परंपरा में रामायण और महाभारत के माध्यम से ही हिंदू धर्म का प्रचार हुआ है। हम कहानी को बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं। व्रतों में भी कहानी पढ़ाई जाती है। भारतीय परंपरा में व्रत कहानी को पूजा-पाठ का एक माध्यम बनाया गया है। बाकि धर्म यह नहीं मानते। वे अपनी कहानी को कहानी नहीं, सत्य मानते हैं जबकि भारतीय परंपरा में सत्य को ही कहानी माना जाता है। सत्य भी एक कहानी है।