खुद के अंदर के लीडर को बाहर लाएं

कौटिल्य का अर्थशास्त्र हमें टिप्स देता है कि किस तरह हम सब अपने अंदर के लीडर को विकसित कर सकते हैं।

जिस वक्त आप अकेले हों, उस वक्त ये सोचें “क्या मैं एक लीडर बन सकता/सकती हूं, क्या मैं विजेता बन सकता/सकती हूं?” इन सवालों के बाद आपका दिमाग हजार बहाने बनाएगा कि आप एक नेता या विजेता क्यों नहीं बन सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक हमारे दिमाग को इसी तरह की ट्रेनिंग दी गई है।

मगर, एक बार इन सवालों को दूसरी तरह से सोचकर देखिए, “मेरे अंदर एक लीडर है, इसे मैं बाहर कैसे ला सकता/सकती हूं?” इस तरह की सोच आपको ज़िंदगी के प्रति एक नए तरह की दिशा दिखाएगी। हां, आपके अंदर एक लीडर है। हम सभी के अंदर कुछ कर दिखाने की क्षमता होती है। लेकिन, दुखी करने वाली बात ये है कि हम सभी खुद को एक आम इंसान समझकर, आम ज़िंदगी जीने में लगे हैं। मगर सच्चाई तो ये है कि हर इंसान असाधारण है और हर किसी के अंदर एक लीडर छिपा है।

चाणक्य कहते हैं, “जब कोई (राजकुमार) इसके (ज्ञान) के लिए तैयार हो, तो एक्सपर्ट को उसे ट्रेन करना चाहिए”।

कौटिल्य का अर्थशास्त्र हमें टिप्स देता है कि किस तरह हम सब अपने अंदर के लीडर को विकसित कर सकते हैं।

हम एक बीज की तरह हैं। अगर, इस बीज की देखभाल सही ढंग से की जाए, तो ये न सिर्फ एक पेड़ में बदल सकता है, बल्कि यह पूरा जंगल खड़ा कर सकता है।

तो आपके अंदर के लीडर को बाहर लाने की प्रक्रिया क्या है?

तैयार हो जाएं (Tyaar ho jayen)

हम या तो खुद को बढ़ावा दे सकते हैं या कोई और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है। भले ही हम सबमें लीडर के गुण हैं, लेकिन फिर भी हमें पहला कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार होने की ज़रूरत होती है।

हनुमान में कुछ भी कर दिखाने की ताकत थी, मगर वे इस बात से अनजान थे। बुद्धिमान जाम्बवन को हनुमान को प्रेरित करके ये बताना पड़ा था कि उनका जन्म किसी महान काम को करने के लिए हुआ है और उन्हें लंका जाना होगा। खुद पर शक करने वाले हनुमान अचानक से अपनी क्षमता को पहचानते हैं और एक वीर योद्धा बन जाते हैं।

जैसा चाणक्य कहते हैं, जब राजकुमार इसके लिए तैयार होता है, यानि जब किसी को उसकी क्षमता और ऊर्जा का ज्ञान होता है तब से ही उसके लीडर (Leader) बनने का सफर शुरू होता है। तो, अपने अंदर के लीडर को बाहर लाने के लिए तैयार हो जाएं।

ज्ञान बढ़ाएं (Gyan badhayen)

खुद के अंदर शक्ति होना ही काफी नहीं होता है। एक लीडर बनने के लिए आपके पास ज्ञान और काबिलियत का होना भी ज़रूरी है। इसके लिए ज्ञान पाया जा सकता है। आपको लीडर बनने के बारे में पढ़ने और समझने की ज़रूरत होती है। ढेर सारी किताबें पढ़ें, महान लीडर के बारे में जानें और अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा करने की जिज्ञासा जगाएं।

एक बहुत ही मशहूर कहावत है “पढ़ने वाले ही नेता बनते हैं।” यह एक बहुत ही ज़रूरी चीज है, जिसे किसी आदत की तरह आपको खुद के अंदर विकसित करना पड़ेगा। किताबें पढ़ने की और कुछ सीखने की आदत आपके ज़िंदगी भर काम आएगी।

चाणक्य एक शिक्षक होने के साथ-साथ, लीडरशिप के बारे में लिखने वाले लेखक भी थे। उन्होंने इस बात को समझ लिया था कि अगर आप सिर्फ यह एक आदत अपने अंदर विकसित कर लें, तो आप दूसरों से बेहतर बन जाएंगे। यही कारण है कि उन्होंने राजकुमार और भविष्य के लीडर को ज्ञान अर्जित करने पर जोर दिया।

आज की दुनिया में, हम इंटरनेट पर काफी कुछ अच्छा पढ़ सकते हैं। यहां तक कि यूट्यूब पर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, सफल लीडर की कई वीडियो मौजूद है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा ज्ञान लें और खुद की क्षमताओं को निखारें। अपने समय का पूरा फायदा उठाएं और किसी लीडरशिप के कोर्स को ज्वाइन करें।

एक्सपर्ट की ट्रेनिंग (Expert ki training) 

याद रखें, ज्ञान बढ़ाने का मतलब सिर्फ जानकारियों को इकट्ठा करना ही नहीं है। इसमें एक्सपर्ट ट्रेनिंग लेने की भी ज़रूरत पड़ती है। चाणक्य के अनुसार, एक एक्सपर्ट वह होता है जो किसी खास फील्ड में बेहतरीन हो। ऐसे एक्सपर्ट आपको सही रास्ता दिखाते हैं।

जो आज आप करना चाहते हैं, वह एक एक्सपर्ट सालों तक कर चुके होते हैं और वो आपको बताएंगे कि इसे करना कैसे है। हर फील्ड में कई एक्सपर्ट हैं। ये एक्सपर्ट आपके गुरु, दोस्त या मार्गदर्शक भी हो सकते हैं। एक एक्सपर्ट अपनी ज़िंदगी भर के अनुभव और ज्ञान की मदद से आपको खुद के अंदर झांकना और खुद के बाहर की दुनिया को आंकना सिखाएंगे। जब आप किसी एक्सपर्ट से ट्रेनिंग लेते हैं, तो आप अपने आप उस फील्ड के लीडर बनने लगेंगे।

खुद पर शक न करें। भरोसा करें कि आपके अंदर एक लीडर है, जो बाहर आने का इंतजार कर रहा है। एक बार जब आपको सही रास्ता, ज्ञान और ट्रेनिंग मिल जाएगी, सफलता आपके कदम चूमेगी।

चंद्रगुप्त मौर्य में भी एक लीडर बनने की पूरी क्षमता थी। चाणक्य ने उनकी इस काबिलियत को पहचाना और उन्हें ट्रेनिंग दी। हम सबकी तरह, अगर चंद्रगुप्त भी शुरुआती समय में खुद पर शक करते, तो क्या वे कभी एक लीडर बन पाते…. नहीं! लेकिन, सही सोच और चाणक्य जैसे एक्सपर्ट की ट्रेनिंग के कारण वे भारत के चुनिंदा महान लीडर में से एक बनें। आप भी अपने अंदर के लीडर को जगाएं, बाकी सब समय के साथ खुद होता चला जाएगा।