आइए क्रोध को जीतें

आइए क्रोध को जीतें

आज का मानव जीवन काम, क्रोध (Anger), लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, अविश्वास, अशांति, हिंसा, मारपीट, झूठ, स्वार्थ, धोखाधड़ी आदि विकारों में जल रहा है। ये विकार हमारी सुख-शांति को नष्ट कर रहे हैं। कामवासना के बाद सबसे प्रबल वेग क्रोध का है। छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता है। यह एक भूत के समान है। जिस पर भी यह सवार हो जाता है, उसको बर्बाद करके ही छोड़ता है।

क्रोध में आदमी का विवेक नष्ट हो जाता है। वह पागलों जैसा व्यवहार करता है। उसका बीपी बढ़ जाता है। स्नायुतंत्र प्रभावित होता है व आंखें लाल हो जाती हैं। शरीर कांपने लगता है। टेंशन, अल्सर, कब्ज, श्वसन जैसी बीमारियों में क्रोध भी एक कारण है। इससे आदमी अल्पायु भी हो जाता है। क्रोधी से सब दूर भागते हैं। वह दूसरों की नज़रों में गिर जाता है। क्रोध बुद्धि व शरीर दोनों को नष्ट कर देता है। इससे हृदयाघात भी हो सकता है। कमजोर आदमी ही ज्यादा गुस्सा करता है, क्योंकि वह डरपोक होता है। बलवान व धैर्यवान व्यक्ति कभी भी क्रोध नहीं करता है।

क्रोध का फल है पश्चाताप और आत्मग्लानि

अहंकारी आदमी निर्बल होने के कारण चिड़चिड़ा हो जाता है। वह बगैर सोचे-समझे गलत बोल देता है, गलत फैसला कर लेता है या गलत व्यवहार जैसे गाली-गलौज, मारपीट, अपमान आदि कर देता है। कई बार तो हत्या तक कर देता है। ऐसे व्यक्ति जेल में जाकर पश्चाताप की आग में जलते रहते हैं। वे इस कदर आत्मग्लानि से भर जाते हैं कि आत्महत्या तक कर लेते हैं। अच्छा संग मिलने पर पूरे सुधर भी सकते हैं।

क्रोध करता है पारस्परिक संबंधों को खराब

जिस परिवार, ऑफिस, कंपनी या पार्टी में क्रोध का बोलबाला होगा, वहां कलह होगा। पति-पत्नी, दोस्त, मां-बाप, रिश्तेदार, पड़ोसी, कार्यालय के कर्मचारी आदि सबकी शांति भंग हो जाएगी। कुछ अधिकारी, मां-बाप, अध्यापक आदि क्रोध व रोब डाल कर काम लेना चाहते हैं। इससे काम तो हो जाएगा लेकिन उनकी इज्ज़त नहीं रहेगी। दुर्वासा ऋषि व परशुराम के क्रोध के कारण ही महान होते हुए भी उनकी इज्ज़त नहीं हुई।

क्रोध की दवा है शांति

जब कोई काम हमारी इच्छा अनुसार नहीं होता, सोचा हुआ फल नहीं मिलता या हम किसी प्रिय चीज़ को खो देते हैं, तो क्रोध उत्पन्न होता है। अतः ज्यादा अपेक्षाएं न पालें, न ही ऐसी इच्छा उत्पन्न करें जो पूरी न हो सके, न ही किसी से ज्यादा लगाव रखें। जब कभी क्रोध आए, तो थोड़ी देर के लिए कार्य को छोड़ दें। उस स्थान को छोड़ कर बाहर चले जाएं। धैर्य से काम लें। जब मन शांत हो जाए तब कार्य पुनः शुरू करें या उस व्यक्ति से बात करें। अगर क्रोध का स्वभाव बन गया तो घर, परिवार, दांपत्य जीवन, ऑफिस, आस-पड़ोस, मित्र सब पर कुप्रभाव पड़ेगा, परंतु सबसे अधिक नुकसान हमारा ही होगा। अतः क्रोध रूपी राक्षस को मन से निकाल दें। अगर क्रोध आए भी तो अपने आप से कहें, ‘मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूं, शांति ही मेरा स्वधर्म है। भगवान शिव मेरे परमपिता हैं, वे शांति के सागर हैं’ ऐसा चिंतन करने से मन शांत हो जाएगा।

क्रोध से बचाएगा धैर्य

अनमोल मनुष्य जीवन को क्रोध की अग्नि में जलाने की बजाय धैर्य के सागर में डुबकी लगाएं। ठंडे मन से सोचें। धैर्य एक महान गुण है। क्रोध की दवा डॉक्टर, हकीम, वैद्य के पास नहीं है। यह धैर्य के रूप में हमारे ही पास है। अपनी काबलियत, हैसियत, आर्थिक, सामाजिक व मानसिक अवस्था को देखकर ही कामना करें।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।

A Soulful Shift

Your Soulveda favorites have found a new home!

Get 5% off on your first wellness purchase!

Use code: S5AVE

Visit Cycle.in

×