पुराणों में कहा गया है कि देवताओं और दानवों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ, तो उसमें से अमृत कलश निकला। इस अमृत के लिए देवताओं और दानवों में लड़ाई हुई। इस लड़ाई के समय ये अमृत धरती के चार जगहों पर गिरा, प्रयागराज (इलाहाबाद), नासिक, हरिद्वार और उज्जैन। उसी समय से इन चारों जगहों पर कुंभ का आयोजन होता है, जो विश्व के सबसे बड़े महोत्सवों में से एक है।
उज्जैन कुंभ मेला आस्था और आध्यात्म का सबसे बड़ा जमघट है। शास्त्रों के अनुसार राशियां और नक्षत्र तय करते हैं कि चार निश्चित स्थानों में से किस जगह पर कुंभ का आयोजन होना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य और बृहस्पति एक से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो कुंभ मेला का आयोजन होता है।
उज्जैन में कुंभ मेला, मेष और बृहस्पति राशि में सूर्य के प्रवेश होने पर होता है। इसके अलावा कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्र के साथ होने पर बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश करने पर, उज्जैन में कुंभ मेला का आयोजन होता है। इसे मोक्षदायक कुंभ भी कहते हैं।
आज हम ‘उज्जैन कुंभ मेला’ के बारे में जानेंगे। यह मेला पूरे विश्व में धार्मिक आस्था के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसमें करोड़ों की संख्या में लोग जुटते हैं और पवित्र स्नान करते हैं।
कुंभ मेला भारत के लोगों की आत्मा में बसा हुआ है। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं। यह मेला साधु-संतों, तीर्थयात्रियों और करोड़ों टूरिस्ट के आकर्षण का बड़ा केंद्र है। इस मौके पर कई अखाड़ों के साधु-संत पहुंचते हैं और प्रमुख कुंभ स्नान के दिन अखाड़ों के साथ शोभायात्रा निकाल क्षिप्रा नदी में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं।
क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है उज्जैन (Shipra nadi ke kinare basa hai ujjain)
उज्जैन मध्य प्रदेश में है। यह शहर क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है और भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मालवा क्षेत्र का एक प्राचीन शहर है। इसे हिंदूओं के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। यह वही जगह है जहां भगवान कृष्ण ने बलराम और सुदामा के साथ महर्षि संदीपनी से शिक्षा प्राप्त की थी।
उज्जैन कुंभ मेला का महत्व (Ujjain Kumbh mela ka mahtv)
भारत में पौराणिक कालों से ही नदियों को मां का स्थान दिया गया है। उज्जैन में कई धार्मिक मंदिर हैं, जैसे- महाकालेश्वर, विक्रम कीर्ति, बड़े गणेशजी का मंदिर आदि। कुंभ मेला के समय उज्जैन की दिव्यता और आध्यात्मिकता काफी बढ़ जाती है। कुंभ के मौके पर देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी साधु-संत और श्रद्धालु यहां पहंचते हैं। उज्जैन के कुंभ मेला को सिंहस्थ कुंभ मेला (Simhastha Kumbh Mela) भी कहा जाता है। इसका मुख्य आकर्षण शाही स्नान है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेला के अवसर पर पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान करने से पिछले जन्मों के पाप धुल जाते हैं
संस्कृति और परंपरा में रम जाने का बड़ा अवसर है उज्जैन कुंभ मेला (sanskriti aur parampara mein ram jane ka bada awasar hai ujjain kumbh mela)
उज्जैन कुंभ मेला संस्कृति और परंपरा का अनोखा संगम है। यह धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, अनुशासन, अहिंसा, सत्संग, सन्मार्ग सहित अन्य गुणों से मिलाने वाला पर्व है। कुंभ मेला धर्म और संस्कृति को सहेजने का भी काम करता है। इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से लोग पहुंचते हैं, जो अलग-अलग भाषा बोलते हैं और उनकी संस्कृति भी अलग होती है, लेकिन सभी जब एक साथ एक जगह पर आते हैं, तो बहुत ही खूबसूरत दृश्य बनता है, जो भारतीय संस्कृति के रंग-बिरंगे परिदृश्य को दिखाता है।
उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (Ujjain ka prasidh mahakaleshwar mandir)
उज्जैन में स्थित ‘महाकाल बाबा का ज्योतिर्लिंग; सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है। कालों के महाकाल भगवान शिव के यहां, हर दिन सुबह में भस्म आरती होती है। इस आरती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ताज़ा चिता की भस्म से भगवान महाकाल का शृंगार होता है। गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है। यहां नंदी दीप प्रज्वलित है, जो हमेशा जलता रहता है।
कहा जाता है कि उज्जैन के एक ही राजा हैं महाकाल बाबा। महाकाल का हर साल और त्योहार के अनुसार शृंगार किया जाता है। जैसे शिवरात्रि में वह दूल्हा बनते हैं, तो श्रावण में राजाधिराज बन जाते हैं। दीपावली में जहां महाकाल का आंगन दीपों से सज जाता है, तो होली में गुलाल से रंग जाता है।
इसके अलावा भी उज्जैन कुंभ मेला काफी अलग-अलग वजहों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कुंभ मेला भारतीयों के लिए सिर्फ धार्मिक आस्था का ही प्रतीक नहीं है। यह भारत के विशाल संस्कृति कर भी प्रतीक है, जहां कई संस्कृतियों का संगम होता है। इसलिए जीवन में एक बार ज़रूर उज्जैन कुंभ मेला जाएं और भारत की धार्मिक संरचनाओं और संस्कृति को करीब से महसूस करें। ऐसी ही रोचक और ज्ञानवर्द्धक आर्टिकल को लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।