बिहार की राजधानी पटना से लगभग 150 किमी दूर है पुनौरा धाम, जो माता सीता की जन्मभूमि है। यह सीतामढ़ी जिले और मिथिला क्षेत्र में आता है। मिथिला में माता सीता को लोग प्यार से जानकी, मैथिली, वैदेही आदि नाम से बुलाते हैं। पुनौरा धाम अब रामायण सर्किट का हिस्सा है। कथा और कहानियों के अनुसार त्रेता युग में इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा था। अकाल को देखते हुए मिथिला के राजा जनक को उनके पुरोहितों ने सलाह दी कि वो हल से बंजर भूमि को जोते। पुरोहितों के सलाह पर राजा जनक जब पुनौरा धाम के पास हल चला रहे थे, तो उन्हें मिट्टी के नीचे घड़े में बच्चे के रूप में मां सीता मिली। तब से इस स्थान को बहुत ही पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है।
तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको सीतामढ़ी के पुनौरा धाम के के बारे में दिलचस्प बातें बताएंगे। साथ ही माता सीता से जुड़ी कहानियां भी बताएंगे।
कैसा है सीतामढ़ी शहर? (Kaisa hai sitamarhi shahar?)
सीतामढ़ी एक छोटासा शहर है। यह जगह खासतौर पर मां सीता के कारण ही जानी जाती है। लेकिन, जिस तादात में लोग श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या के बारे मेंजानते हैं, उस तादात में लोग मां सीता की जन्मस्थली के बारे में नहीं जानते। यहां बाहर से पर्यटक भी ज़्यादा नहीं आते,लेकिन सीतामढ़ी के निवासियों काआना-जाना इस मंदिर मेंहमेशा ही लगा रहता है। कई जोड़ो की शादी भी इस जगह से करवाई जाती है। मान्यता है यहां शादी करने से श्री राम और मां सीता का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होता है।
पुंडरीक ऋषि की तपोभूमि है पुनौरा धाम (Pundrik Rishi ki tapobhumi hai Punaura Dham)
कहानियों के अनुसार पुनौरा धाम पुंडरीक ऋषि की तपोभूमि रही है। यह ज़मीन राजा जनक ने उन्हें दान में दी थी। रावण के तंत्र से इस इलाके में अकाल पड़ गया। इसके बाद राजा जनक ने यहां की ज़मीन पर हल चलाया, जिससे माता सीता की उत्पति हुई। इसके बाद क्षेत्र में बारिश हुई। राजा जनक मां जानकी को लेकर सीतामढ़ी में बने कैंप में चले गए। वहां माता सीता को फूस के घर (मड़ई) में रखा गया। इसी वजह से यह इलाका ‘सीता मड़ई’ के नाम से जाना जाता था। बाद में सीता मड़ई से नाम ‘सीतामढ़ी’ हो गया। मड़ई जहां था, वहां मां जानकी का मंदिर मौजूद है।
जानकी कुंडका महत्व(Janki Kund ka mahtv)
पुनौरा धाम मंदिर के पीछे जानकी कुंड के नाम से एक तालाब है। इस तालाब को लेकर मान्यता है कि इसमें स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। यहां पंथ पाकार नाम की प्रसिद्ध जगह है। यह जगह माता सीता की शादी से जुड़ा हुई है। इस जगह पर प्राचीन पीपल का पेड़ अभी भी है, जिसके नीचे पालकी बनी हुई है।
माता सीता के जन्म की एक और कहानी (Mata Sita ke janm ki ek aur kahani)
माता सीता के जन्म से जुड़ी एक कहानी और प्रचलित है। दरअसल, रामायण के अनुसार रावण ने कहा था कि अगर उसे अपनी बेटी से शादी करने की इच्छा हो, तो उसकी बेटी ही उसकी मौत का कारण बने। इसी बात को सही साबित करने के लिए गृत्समद नाम के ऋषि देवी लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने के लिए हर दिन पूजा-पाठ करते हुए कुश के आगे वाले हिस्से से एक कलश में दूध की बूंदें डालते थे।
एक दिन जब ऋषि आश्रम में नहीं थे, तब लंकापति रावण वहां आया और वहां मौजूद ऋषियों को मारकर उनका खून कलश में भर लिया। इस कलश को रावण ने अपने महल में छिपा दिया। रावण की पत्नी मंदोदरी उस कलश को लेकर बहुत उत्सुक थीं। एक दिन रावण महल में नहीं था, तो मंदोदरी ने उस कलश को खोलकर देखा और उसमें रखे रक्त को पी गई। मंदोदरी का यह भेद किसी को पता नहीं चले, इसलिए लंका से बहुत दूर अपनी पुत्री को कलश में छिपाकर मिथिला में ज़मीन के नीचे छिपा दी। इस प्रकार माता सीता का जन्म हुआ और वो रावण की बेटी होने के कारण उनकी मौत का कारण बनीं।
इस आर्टिकल में हमने सीतामढ़ी के पुनौरा धाम के बारे में बताया। साथ ही सीता के जन्म की कहानी बताई। इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।