पेड़ न सिर्फ हरियाली फैलाकर आपका ध्यान खींचते हैं, बल्कि ये खुद में इतिहास और सभ्यता भी समेटे हुए हैं । चाहे वह ईडन गार्डन (Eden garden) में ज्ञान का पेड़ हो या सृष्टि की रचना के लिए दिया गया भगवान ब्रह्मा का बरगद का पेड़। देवताओं की कहानियां व पेड़ की कहानियां ही है कि यह हमारी पौराणिक कथाओं व संस्कृति से गहराई तक जुड़े हैं। बदलते वक्त के साथ इन्होंने कई आपदाओं को करीब से देखा है। कई बार तो मानवता (Humanity) के सामने ऐसी मुश्किल आई कि धरती से सभ्यता (Civilization) तक खत्म हो गई। इसके बाद भी अपनी सुंदर पत्तियों व लचीलेपन के साथ ये मज़बूती से टिके हैं। ये पेड़ हमारे ग्रह के सबसे पुरानी ज़िंदा चीज़ों में से एक हैं। तमाम बदलाव के बाद भी इनकी सांसों का सिलसिला कभी नहीं थमा।
शायद लोग सदियों पुराने इन पेड़ों में ज्ञान की तलाश करना चाहेंगे। वह ज्ञान जो ये हज़ारों साल से चुपचाप खुद में समेटे हुए हैं। जर्मन लेखक हरमन हेस्से (German writer Hermann Hesse) ने अपनी किताब बाउमी बेट्राचुटेनगेन उंड गेडिएच (Bäume. Betrachtungen und Gedichte) (यह जर्मन नाम है) जिसमें लिखा है कि “पेड़ शरण स्थल हैं। जिन लोगों को पता है कि उनसे कैसे बात करनी है व कैसे उनकी बात सुननी है, वे सच सीख सकते हैं। पेड़ ज्ञान-प्रवचन नहीं देते। ज़मीन पर मज़बूती से टिककर ये ज़िंदगी के प्राचीन नियमों का प्रचार-प्रसार करते हैं।” शायद इसलिए लोग मानते थे कि पेड़ों में भी अपनी समझ और भावनाओं को जताने की ताकत हो सकती है।
दुनिया में कई जगह लोग मानते हैं कि ये पेड़ स्वर्ग की सीढ़ी है। इसलिए कई संस्कृतियों (Culture) में इनकी पूजा की जाती है। जिम रॉबिंस ने अपनी किताब द मैन हू प्लांटेड ट्रीज़ : लॉस्ट ग्रूव्स, चैंपियन ट्रीज एंड ए अर्जेंट प्लान टू सेव द प्लैनेट में लिखा है ‘कई संस्कृतियों में माना है कि पेड़ दैवीय ऊर्जा के लिए एंटीना थे। दुनिया में पेड़ की कहानियां बताती हैं कि इनका संबंध स्वर्ग से है। ऐसा लगता है कि शुरू में समाज के लोगों को इस बात की कुछ जानकारी थी।’
सोलवेदा की टीम ने लेख के ज़रिए हमारी ज़िंदगी में पेड़ों के महत्व पर प्रकाश डाला है। आखिरकार कई संस्कृतियों में ये पूजनीय हैं और इनसे जुड़ी कई देवताओं की कहानियां व पेड़ की कहानियां भी लोगों की जुबां पर रहती हैं।
बरगद का पेड़
हिंदू धर्म से जुड़े कई देवताओं की कहानियां व पेड़ की कहानियां हैं, जिसमें बरगद के पेड़ की पूजा का जिक्र है। बरगद के पेड़ को दुनिया बनाने वाले की ओर से लोगों के लिए गिफ्ट तक कहा जाता है। कई बार इसे कल्पवृक्ष भी माना जाता है कि ये आपकी हर इच्छा पूरी करेगा। इसकी तुलना उदार राजा से भी की जाती है, जो प्रजा को पनाह देता, देखभाल करता है। लोग यहां तक मानते हैं कि बरगद के पेड़ पर देवताएं व आत्माएं रहती हैं। पेड़ को भगवान कृष्ण से भी जोड़ा जाता है व माना जाता है कि वे इसपर रहते हैं। उन्होंने इस पेड़ का उदाहरण देकर ज़िंदगी व मृत्यु के चक्र की व्याख्या की थी। यह पेड़ त्रिमूर्ति का भी प्रतीक माना जाता है। देवताओं की कहानियों के अनुसार शाखाओं को भगवान शिव, छाल को भगवान विष्णु और जड़ को भगवान ब्रह्मा माना जाता है।
बौद्ध धर्म (Buddhism) के मुताबिक आत्मज्ञान पा लेने के बाद आत्मनिरीक्षण के लिए भगवान बुद्ध (Lord Buddha) इसी पेड़ के नीचे बैठे थे। वहीं, ज्ञान पाने के लिए साधु-संन्यासी आज भी इसी पेड़ की छाया में बैठते हैं।
बोधि ट्री (Bodhi tree)
देवताओं की कहानियां बताती हैं कि बोधि ट्री (Bodhi tree) का बौद्ध धर्म में बहुत महत्व है। बौद्धों का मानना है कि जिस दिन इस पेड़ का जन्म हुआ, उसी दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ। जो इस पेड़ के नीचे बैठेंगे और ज्ञान पाएंगे। इसे विवेक और ज्ञान के पेड़ के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह पेड़ कल्प के अंत तक रहेगा। कल्प यानी एक समय जिसे हम माप नहीं सकते। अब शायद आप सोच रहे होंगे कि कल्प क्या है ? दरअसल इसके अंत में कल्पना आती है। एक ऐसा समय जब दुनिया बारिश, आग या हवा से खत्म हो जाएगी, लेकिन सबसे आखिर में कल्पवृक्ष खत्म होगा। वहीं, जब दुनिया फिर से शुरू होगी, तो इसकी शुरुआत बोधि वृक्ष से ही होगी। इसलिए बौद्ध धर्म में बोधि वृक्ष को काटना अशुभ माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं व देवताओं की कहानियां बताती है कि भगवान कृष्ण की मृत्यु के बाद कलियुग इसी पेड़ के नीचे शुरू हुआ था।
बेल का पेड़
इसका नाम लेते ही मन, श्रद्धा और भक्ति से भर जाता है। देवताओं की कहानियां बताती है कि यह देवों के देव यानी भगवान शिव का सबसे पसंदीदा पेड़ है। इसकी तीन पत्तियां निर्माण, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह भगवान शिव की तीन आंखों का भी प्रतिनिधित्व करता है। भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए उन्हें बेल के पत्ते अर्पित किए जाते हैं। शिव पुराण के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति बेल के पेड़ के नीचे बैठकर शिव की पूजा करता है, तो उसे भगवान शिव (Lord Shiva) जैसी स्थिति मिलती है। हिंदू धर्म (Hindu religion) में माना जाता है कि अगर कोई बेलपत्र से अपना सिर धोता है, तो वह पवित्र नदियों में डुबकी के बराबर पुण्य का भागी बनता है। देवताओं की कहानियां बताती है कि अगर कोई बेल के पेड़ की पूजा करता है, तो वह सभी दोषों से मुक्त हो जाता है।
पवित्र बगीचे
इन पुराने बगीचों की चर्चा यूरोपीय देशों (European countries) में खूब होती है। अंग्रेज़ों के ग्रामीण इलाकों में देवताओं की कहानियां व कई लोककथाओं में इनके बारे में सुनने को मिलता है। इसकी चर्चा भारत, रोम, जर्मन और प्राचीन यूनानी संस्कृति में मिलती है। खास बात यह है कि ये जगह धार्मिक लिहाज़ से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारे देश में ऐसे बगीचे या उपवन ज़्यादातर मंदिरों (Temple) के परिसर में हैं। यहां की फूल-पत्तियों से देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। आमतौर पर नदियां और पानी के दूसरे स्रोत इन बगीचों से निकलते हैं। इससे ये आसपास के लोगों के लिए पानी के ज़रूरी साधन बन गए।
बाओबाब के पेड़
ऐसा माना जाता है कि इन विशाल पेड़ों में पूर्वजों की आत्माएं रहती हैं। कहते हैं कि मौत के बाद पूर्वज इन पेड़ों में रहते हैं और अपने परिजनों की देखभाल करते हैं। ये आत्माएं देवताओं के संदेश पहुंचाती हैं और इच्छाएं पूरी करती हैं। मेडागास्कर (Madagascar) में तो इन पेड़ों को खाना और शराब भी परोसा जाता है। यही नहीं यह पेड़ इतने छायादार होते हैं कि कम्युनिटी सेंटर्स (Community centers) में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।
अब्राहम का ओक (Abraham’s Oak)
इस पेड़ की कहानियां भी कई सारी हैं। कहा जाता है कि हज़ारों साल पहले इसी पेड़ के नीचे देवदूतों ने इज़राइल (Israel) के संस्थापक को एक बेटा देने का वादा किया था। यह भी कहा जाता है कि 5,000 साल पुराना यह पेड़ ईसा-विरोधी के आने से पहले खत्म हो जाएगा। ओक शब्द हिब्रू में भगवान के साथ जुड़ा हुआ है। इस पेड़ को पूर्व-ईसाई सेल्टिक समाज ड्र्यूड्स के लिए पवित्र माना जाता था।
पृथ्वी की उत्पत्ति के अनुसार भगवान ने दुनिया बनाने के तीन दिन बाद पेड़ बनाए। समय के साथ ही ये पेड़ हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गए। ये संस्कृतियां इन पेड़ों के ज़रिए आध्यात्मिक शुरुआत की कहानियां बयां करती हैं। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम इन हरे-भरे पेड़ों में दिव्य प्रकाश देखते हैं। सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण होने के अलावा ये हमें कई चीज़ें सिखाते हैं। जैसे कि ज़मीन से जुड़े रहना, हर पत्ते के साथ एक नई शुरुआत करना, पत्तों के गिर जाने के बाद भी आगे बढ़ते रहना।