कब मनाया जाता है ओणम और क्या है इस त्योहार की खासियत?

हर त्योहार का अपना अलग महत्व और एक कहानी है। इनमें से एक त्योहार है ओणम। ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला मुख्य त्योहार है। जैसा हर त्योहार पर होता है, त्योहार की महक, त्योहार से कई दिनों पहले ही घर में दस्तक दे जाती है। ओणम में भी ऐसा ही होता है।

भारत में हर संस्कृती और समुदाय के लोग बसते हैं। यहां हर त्योहार का अपना अलग महत्व और एक कहानी है। इनमें से एक त्योहार है ओणम। ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला मुख्य त्योहार है। जैसा हर त्योहार पर होता है, त्योहार की महक, त्योहार से कई दिनों पहले ही घर में दस्तक दे जाती है। ओणम में भी ऐसा ही होता है। ये दस दिन तक चलने वाला त्योहार फसल के अच्छी होने की खुशी में मनाया जाता है। त्योहार कोई भी हो वो अपने साथ बहुत सारी खुशियां और उल्लास लेकर आता है।

हर बड़े त्योहार की तरह इस दिन भी घरों और द्वारों को फूलों से सजाया जाता है। भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। मेहमानों को घर पर आमंत्रित किया जाता है और पारम्परिक खाना बनाया जाता है। तो चलिए इस त्योहार के बारे में और जानते हैं।

ओणम कब है? (Onam kab hai?)

इस साल ओणम की शुरुआत रविवार, 20 अगस्त को होगी और पूरे दस दिन उल्लास के साथ मनाए जाने के बाद गुरुवार, 31 अगस्त को समापन होगा।

ओणम क्यों मनाया जाता है? (Onam kyon manaya jata hai?)

ओणम वामन और राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। महाबली केरल साम्राज्य के मुख्य दैत्य शासक थे। इन्हीं से ओणम त्योहार की शुरुआत हुई। ये अथम के साथ शुरू होता है, जिसका समापन थिरुवोणम यानी ओणम के साथ होता है। मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार ओणम का पर्व, चिंगम महीने में मनाया जाता है।‌ चिंगम मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है, जो ज़्यादतर अगस्त-सितंबर महीने के बीच में आता है। मान्‍यता है कि ओणम वाले दिन केरल के राजा महाबलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। उनके आदर सत्‍कार में ये पर्व मनाया जाता है। दस दिन तक तरह-तरह के व्यंजनों से घर महकता रहता है और पूजा-पाठ किया जाता है।

ओणम त्योहार किसका प्रतीक है? (Onam tyohar kiska prateek hai?)

ओणम वामन और राजा महाबली का स्मरण करता है। ओणम केरल में एक पौराणिक राजा दैत्य राजा महाबली के शासन के तहत सुशासन की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने कभी केरल पर शासन किया था। वामन ने महाबली को परखने की कोशिश की पर महाबली की उदारता को देखकर उन्होंने उसे हर साल केरल आने की आज्ञा दे दी। तभी से केरल में ओणम की शुरुआत हुई।

हम आशा करते हैं कि इस बार आपके और आपके परिवार के जीवन में ओणम बहुत सारी खुशियां लेकर आए। हैप्पी ओणम। ऐसे ही और आर्टिकल्स को पढ़ने के लिए सोलवेदा पर बने रहें।

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