गांधी जयंती: बापू के गोल चश्मे से कैसी दिखती थी दुनिया?

गांधी जी अहिंसा प्रेमी थे। वो पूरी दुनिया को अपनेपन की नज़र से देखते थे और जो कोई भी उनकी शरण में आता वो उसे बिना देर किए अपना लेते थे। हर व्यक्ति के दिल से नफरत, वैर और जलन भावना को निकाल कर, सबके मन में प्यार भर देना, उनका मकसद था।

भारतीय नोट पर छपी उस मुस्कुराती तस्वीर से हम रोज़ ही रूबरू होते हैं। वो हमारे राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी है, जिन्हें हम सब बापू के नाम से भी जानते हैं। भारत‌ की जनता के लिए बापू ने जो कुछ भी किया वो किसी से छिपा नहीं है।

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन जनकल्याण के हित में गुज़ार दिया। वो एक साधारण से दिखने वाले शख्स थे, जिन्होंने जनता के लिए बहुत से असाधारण काम किए। अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए महात्मा गांधी के प्रयास सराहनीय हैं। उनका मानना था कि भारत का हर नागरिक शिक्षित बने। वो कहते थे कि पूरे देश में शिक्षा को फ्री कर देना चाहिए ताकि हर सामान्य वर्ग पढ़ लिख कर जागरूक बने और शिक्षा का महत्व समझ सके।

गांधी जी ने जनकल्याण के लिए जो आंदोलन किए उनकी वजह से उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा, कई बार उन्हें जेल भी जाना पड़ा पर फिर भी उन्होंने कभी अपने बारे में नहीं सोचा। गांधी जी अहिंसा प्रेमी थे। वो पूरी दुनिया को अपनेपन की नज़र से देखते थे और जो कोई भी उनकी शरण में आता वो उसे बिना देर किए अपना लेते थे। हर व्यक्ति के दिल से नफरत, वैर और जलन भावना को निकाल कर, सबके मन में प्यार भर देना, उनका मकसद था। यूं कहें तो गोल चश्मे पहनने वाले गांधी जी को इस देश-दुनिया में हमेशा कुछ सुधार की ज़रूरत दिखती थी।

अंग्रेज़ हम भारतीयों से नफरत करते थे। जबकि गांधी जी न तो रंग-भेद मानते थे और न ही ऊंच-नीच की नीति का साथ देते थे। वो ऐसे विचारों को समाज से पूरी तरह मिटा देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने रंग-भेद मिटाने के लिए बहुत संघर्ष किया। गांधी जी जो भी चाहते थे, उसमें उन्होंने काफी हद तक जीत भी हासिल की। भारत देश की जनता का कल्याण किया। देश को आज़ादी दिलवाई और हर इंसान के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। आइए आगे जानते हैं कि गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है और गांधी जी ने भारत के लिए कौन-कौन से योगदान दिए।

गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है? (Gandhi Jayanti kyon manai jati hai?)

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। अपनी सुधारवादी, बौध्दिक और अहिंसक नीतियों के चलते उन्हें पूरे देश में ‘राष्ट्रीय पिता’ की उपाधि मिली। उन्होंने जनकल्याण के लिए बहुत से आन्दोलन किए, जिसमें ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ और ‘चिपको आंदोलन’ मुख्य हैं।

गांधी जी ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने 200 सालों से चले आ रहे ब्रिटिश शासन को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और देश को स्वतंत्रता दिलाई। गांधी जी के इन्हीं कार्यों की वजह से लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। गांधी जी को उनके सभी गौरवपूर्ण कार्यों के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए, उनके जन्मदिन यानी 2 अक्टूबर के दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

गांधी जयंती हम कैसे मनाते हैं? (How do we celebrate Gandhi Jayanti?)

गांधी जयंती पर पहले छुट्टी हुआ करती थी, पर फिर भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि गांधी जयंती को घर में छुट्टी मनाकर नहीं, सामाज को उनके योगदानों के बारे में बताकर मनानी चाहिए।

इसलिए अब गांधी जयंती के दिन स्कूलों में बच्चों को महात्मा गांधी जी के बारे में बताया जाता है। जगह-जगह समारोह और गोष्ठी आयोजित की जाती हैं, जहां राष्ट्र पिता बापू के योगदान और‌ महानता पर चर्चा की जाती है।

देश के लिए गांधी जी के योगदान (Desh ke liye Gandhi Ji ke yogdan)

गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने ज़ोर देकर कहा कि वे बैरिस्टर बनें। बचपन से ही गांधी जी का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई, हाईस्कूल की परीक्षा उन्होंने राजकोट में पूरी की और मैट्रीक के लिए उन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत उन्होंने लंदन से पूरी की।

महात्मा गांधी का शिक्षा में योगदान को लेकर यह मानना था कि भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं बल्कि समाज के अधीन है, इसलिए वे भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। गांधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था।

भारत देश की आज़ादी के लिए उन्होनें इन आंदोलनों से फूंकी बिगुल:

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गांधी जी को यह पता हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करने से कुछ नहीं होगा। इसलिए उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय का सहयोग मिलने से यह आंदोलन सफल रहा और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन नमक पर ब्रिटिश सरकार के एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गांधी जी के किए गए सारे आंदोलनों में यह सबसे खास आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गांधी जी ने 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आज़ाद करने के लिए, महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ किया। इस आंदोलन ने अंग्रेज़ो की हुकूमत की नींव हिलाने का काम किया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से बहुत कम दामों पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की नौबत पैदा हो गई थी। ये आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में शुरू किया गया और ये उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह गांधी जी के योगदानों को भी भूलना नामुमकिन है। हम सब अपने राष्ट्रीय पिता का सम्मान करते हैं। ऐसे ही और आर्टिकल्स पढ़ने के लिए सोलवेदा से जुड़े रहें।

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