सच्ची दोस्ती

सच्ची दोस्ती

दो पक्की दोस्तों की दोस्ती में तीसरी लड़की के आने से बहुत गलतफहमियां और दरारें आईं। लेकिन, रेखा ने कैसी साबित की अपनी दोस्ती जानने के लिए पूरी कहानी पढ़ें।

निशा और रेखा छठी क्लास में पढ़ती थीं और एक दूसरे की सबसे पक्की दोस्त थीं।

एक बार निशा को बुखार हो गया, जिसकी वजह से वो तीन दिन स्कूल नहीं आई। जब निशा स्कूल नहीं आई, तो रेखा का स्कूल में मन नहीं लग रहा था। रेखा ने एक दिन तो जैसे-तैसे काट लिया, पर दूसरे दिन वो क्लास की दूसरी लड़कियों से बात करने लगी और बात करते-करते उसकी दोस्ती सुमन से हो गई।

तीसरे दिन रेखा और सुमन साथ-साथ बैठीं और फिर जब निशा स्कूल आई, तो उसे सुमन और रेखा का एक साथ बैठना अच्छा नहीं लगा। उसे लगा जैसे रेखा ने उसकी जगह सुमन को दे दी हो।

निशा ने एक नज़र रेखा की तरफ देखा और पीछे की सीट पर जाकर बैठ गई।

रेखा ने निशा को रोकने के लिए आवाज़ भी दी, पर निशा ने रेखा को अनसुना कर दिया।

रेखा उठकर निशा के पास आ ही रही थी कि क्लास में मैडम आ गई, और रेखा को वहीं बैठना पड़ा। फिर एक के बाद एक पीरियड्स लगते रहे और रेखा, निशा से कोई बात नहीं कर पाई।

फिर जैसे ही लंच की घंटी बजी, रेखा दौड़ कर निशा के पास गयी।

“तेरी तबीयत ठीक नहीं थी?… तू इतने दिन स्कूल नहीं आई, पता है मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।” रेखा ने कहा।

“अच्छा तभी तूने नये दोस्त बना लिए?” निशा ने चिढ़ कर कहा और बैग से लंच निकालने लगी।

“ऐसा नहीं है। चल, दोनों साथ में लंच करेंगे। मैं तुझे सुमन से भी मिलवाऊंगी।” रेखा ने कहा तो निशा और चिढ़ गई, “मुझे नहीं मिलना किसी से मैं यहीं ठीक हूं… तू जा यहां से मुझे लंच खाना है।”

निशा ने इतनी बुरी तरह कहा कि रेखा उठ कर वापस अपनी सीट पर आ गई।

लंच खत्म करने के बाद, रेखा फिर से निशा के पास गई, और उसे खेलने के लिए कहने लगी। इस बार भी निशा ने उससे अच्छे से बात नहीं की। जिसकी वजह से रेखा को बहुत दुख हुआ, और उसने तय किया कि अब वो निशा से कोई बात नहीं करेगी।

दो दिन तक दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की।

दो दिनों के बाद हिन्दी वाली मैडम ने कहा कि वो कल टेस्ट लेंगी। टेस्ट लेने के लिए उन्होंने जिन चैप्टर्स को पढ़कर आने के लिए कहा, वो निशा के तीन दिन स्कूल ना आने की वजह से पूरे नहीं हो पाए थे।

टेस्ट का नाम सुनकर निशा बहुत डर गई। उसने उन चैप्टर्स को पूरा करने के लिए, रेखा और सुमन को छोड़कर, क्लास के सब बच्चों से उनकी कॉपी मांगी, पर कोई भी देने के लिए तैयार नहीं हुआ, क्योंकि सबको टैस्ट की तैयारी करनी थी।

स्कूल की छुट्टी हो गई। निशा ने घर जाकर जब अपना बैग खोला, तो उसे ये देखकर हैरानी हुई कि उसके बैग में रेखा की हिन्दी की कॉपी रखी हुई है।

उसे ये सोच कर दुख हुआ कि अगर रेखा की कॉपी उसके पास है, तो रेखा टेस्ट की तैयारी कैसे करेगी?

तभी निशा के घर रेखा का फ़ोन आया। रेखा ने उसे बताया, कॉपी उसने जान बूझकर निशा के बैग में रखी है, ताकि वो टेस्ट के लिए पढ़ सके।

उसकी बात सुनकर, निशा रोने लगी, “तूने मेरे लिए अपनी कॉपी दे दी। अब तू कैसे पढ़ेगी?” तो इस पर रेखा ने कहा कि “तू चिंता मत कर, मैंने पहले ही वो चैप्टर्स पढ़ लिए थे और बाकी का किताब से पढ़ लूंगी।”

निशा, रेखा जैसी दोस्त मिलने पर खुद को लकी समझने लगी। उसने कहा “थैंक्यू रेखा! तू मेरी सबसे अच्छी दोस्त है।”

जिसपर रेखा बहुत खुश हुई, और उसने कहा, “हम्म… क्योंकि नये दोस्त आने से पुराने नहीं छोड़े जाते।”

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