राष्ट्रीय मित्र बनाओ दिवस: दोस्ती करना आसान है या मुश्किल?

दोस्त वह होता है, जिसके सामने हम कुछ भी करने में थोड़ा सा भी नहीं हिचकते हैं। दोस्त के साथ हम अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हें गुजारते हैं। सच्चा दोस्त वहीं होता है, जो हमेशा साथ रहे, चाहे कितनी ही समस्या क्यों न हो।

जब हम जन्म लेते हैं, तो हम जो पहला रिश्ता समझ पाते हैं, वो है मां का। इसके बाद पिता का और फिर परिवार के अन्य लोगों का। लेकिन, जैसे ही हम अपने घर से बाहर निकलते हैं, तो हम जिस रिश्ते को समझ पाते हैं, वो है दोस्ती का। हमारे हर सुख-दुख का पहला साथी परिवार होता है और दूसरा दोस्त होता है। एक कहावत है कि जीवन में दोस्ती नहीं कमाई, तो कुछ नहीं कमाया, क्योंकि दोस्ती (Friendship) के बिना जीवन कोरा कागज़ है। 

दोस्त वह होता है, जिसके सामने हम कुछ भी करने में थोड़ा-सा भी नहीं हिचकते हैं। दोस्त के साथ हम अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हें गुज़ारते हैं। सच्चा दोस्त वहीं होता है, जो हमेशा साथ रहे, चाहे कितनी ही समस्या क्यों न हो। दोस्त ऐसा होना चाहिए, जिसके सामने न तो रोने में कोई समस्या हो और न ही हंसने में किसी प्रकार की रुकावट हो। जीवन में हम एक ही दोस्त क्यों न बनाएं, लेकिन  ऐसा होना चाहिए, जिस पर आपको लाइफ टाइम गर्व महसूस हो। 

तो चलिए राष्ट्रीय मित्र बनाओ दिवस के अवसर पर सोलवेदा के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि दोस्ती करना आसान है या मुश्किल? साथ ही हम बताएंगे कि दोस्त होने के जीवन में क्या फायदे हैं और इससे किस तरह हमारी ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती है। वहीं, दोस्ती करने के समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।  

दोस्त होने के जीवन में फायदे (Dost hone ke jeevan mein fayde)

जब हम अच्छा दोस्त बनाते हैं, तो वह हर तरह से हमारी हेल्प करता है। बचपन में तो हम हर बात परिवार के लोगों से शेयर कर लेते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, तो हम अपनी बातों को परिवार के लोगों से शेयर नहीं कर पाते। ऐसे में दोस्त ही हमारा सहारा बनते हैं, क्योंकि उस समय परिवार के लोगों से कुछ बातें शेयर करना आसान नहीं रह जाता है। 

दोस्त न केवल जीवन का अकेलापन दूर करते हैं बल्कि हमें पॉजिटिव भी रखते हैं। वो हमारा आत्मविश्वास कम नहीं होने देते। सच्चा दोस्त सही रास्ता भी दिखाता है और गलत रास्ते पर चलने से पहले हमें आगाह भी करता है। अच्छा दोस्त हमेशा हमें खुश रखता है और स्ट्रेस कम करने में भी हमारी मदद करता है।

खुशी के साथ ज़िम्मेदारी लाती है दोस्ती (Khushi ke sath zimmedari laati hai dosti) 

दोस्ती हमें काफी खुशियां देती हैं, लेकिन सच्ची दोस्ती में जिम्मेदारियां भी बढ़ती जाती हैं। जैसे ही हमारी दोस्ती में गहराई की ओर बढ़ती है, तो हम अपने दोस्त के सुख और दुख दोनों में साथ रहने लगते हैं। हमारी ज़िम्मेदारी हो जाती है कि हम अपने दोस्त को हमेशा खुश रखें और उसकी मदद करें। अगर दोस्त किसी परेशानी में है, तो उस परेशानी से बाहर निकालें। दोस्त को अगर किसी बात को लेकर स्ट्रेस है, तो उसको कम करने के लिए जो हो सके वो करें। दोस्त के परिवार के लोग अगर किसी परेशानी में है, तो उस समय अपने परिवार की तरह, अपने दोस्त के परिवार को समझें और उनकी मदद करें। 

कब दोस्ती करना होता है आसान? (Kab dosti karna hota hai aasan?) 

ज़िंदगी में हमारे कई दोस्त होते हैं, बचपन के, स्कूल के, कॉलेज के, ऑफिस के और बुढ़ापे के। हर उम्र के दोस्त का एक दायरा होता है। लेकिन, बचपन में दोस्ती करना बहुत ही आसान होता है। क्लास में जिसे से भी बात कर ली, वो हमारा दोस्त हो जाता है। खेलने ग्राउंड में गए, तो वहां अपना दोस्त चुन लिया। मतलब जिससे भी अच्छी तरह से बात हो गई वही दोस्त बन जाता है। ये दोस्ती साथी बनने तक ही सीमित नहीं रहती है बल्कि ये दोस्ती जीवन भर चलती है। इस तरह की दोस्ती में बहुत कम ही परेशानियां आती हैं, क्योंकि बचपन में हम जब दोस्त बनाते हैं, तो हम उस समय ज़्यादा सोचते नहीं हैं या यूं कहें कि जज नहीं करते हैं। इसलिए इस समय दोस्ती करना बहुत ही आसान हो जाता है। 

कब दोस्ती करना होता है मुश्किल? (Kab dosti karna hota hai mushkil) 

कभी आपने सोचा है कि बचपन में जितनी जल्दी आप किसी से दोस्ती कर लेते थे उम्र बढ़ने के साथ ही वो मुश्किलों से भरा क्यों हो गया है। आप एक बार सोचिए कि आपने लास्ट टाइम कब कोई नया दोस्त बनाया था। ये एक मुश्किल सवाल है। उम्र बढ़ने के बाद नए दोस्त बनाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। 

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ ही हमारे पास जीवन के अनुभव भी बढ़ जाते हैं। इस समय तक हम सोसाइटी के बारे में बहुत कुछ समझ चुके होते हैं। इसलिए किसी नए इंसान के सामने अपने दिल की बात या फीलिंग शेयर करने में परेशानी होने लगती है। हालांकि, बिना दोस्त के जीवन बिताना भी मुश्किल भरा होता है। इंसान हो या फिर कोई भी जानवर ही क्यों न हो सभी को अपने जैसे लोगों के बीच रहना पसंद होता है। ये अपने जैसे लोग हमें दोस्तों में ही मिलते हैं। 

दोस्त बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान (Dost banate samay in baaton ka rakhein dhyan) 

नए दोस्त बनाने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप नए-नए लोगों से मिलें। इसके बाद बातचीत बढ़ाएं और सही लगे, तो दोस्ती करें। हालांकि, दोस्ती कर लेना, तो आसान है, लेकिन इसे निभा पाना बहुत ही मुश्किल। दोस्त बनाते समय यह ध्यान रखें कि आप दोनों को एक-दूसरी की कंपनी पसंद हो। आप एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझते हों। साथ ही हर सुख-दुख में एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहते हों। दोस्त के आपको समझता हो और आपको महत्व भी देता है। क्योंकि अगर इन बातों का ध्यान रखे बिना आप दोस्ती करते हैं, तो बहुत कम ही चांस है कि आपकी दोस्ती लंबे समय तक चलेगी। इसीलिए दोस्ती करने से पहले सोच-समझ लें। 

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