विश्व संगीत दिवस

विश्व संगीत दिवस: इंसान, पानी और पेड़ों पर संगीत का असर

भौरों की गुंजार, झींगुरों की झंकार, कोयल की कुह-कुह, मेंढ़कों की टर्र-टर्र, हाथियों की चिंघाड़ के साथ-साथ नदियों की कल-कल, झरनों की झर-झर, समुद्र की गर्जन, वर्षा की रिमझिम, घटाओं की गड़गड़ाहट, बिजली की कड़कड़ाहट, दिल की धड़कन और सांसों के कंपन में संगीत समाया हुआ है।

इंसान और संगीत का रिश्ता हमेशा से काफी मजबूत रहा है। अगर आप भी अपने जीवन में खुश रहना चाहते हैं, तो संगीत से रिश्ता जोड़ लें। संगीत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे आप कभी भी सुन सकते हैं, चाहे खुशी का मौका हो या फिर दुख का। संगीत सुनने से मोटिवेशन भी मिलता है और सुकून भी। आप अकेलापन महसूस कर रहे हैं, तो भी संगीत आपको इस दुनिया से जोड़े रखता है और कभी भी आपको अकेला नहीं छोड़ता है।

संगीत की अपनी ही भाषा है, जो हमें जोड़े रखती है। इंसानी हिस्ट्री जितनी पुरानी है, उतना ही पुराना इतिहास संगीत का भी है। इंसानों की उत्पति के साथ ही म्यूजिक की भी उत्पति हुई है। संगीत इंसानों के साथ-साथ प्रकृति से भी उतना ही जुड़ा हुआ है। भौरों की गुंजार, झींगुरों की झंकार, कोयल की कुह-कुह, मेंढ़कों की टर्र-टर्र, हाथियों की चिंघाड़ के साथ-साथ नदियों की कल-कल, झरनों की झर-झर, समुद्र की गर्जन, वर्षा की रिमझिम, घटाओं की गड़गड़ाहट, बिजली की कड़कड़ाहट, हृदय की धड़कन और सांसों के कंपन में संगीत समाया हुआ है। जब संगीत हमसे इतना ज्यादा जुड़ा हुआ है, तो इसका असर भी हमारे ऊपर होता है। यही नहीं बल्कि इसका असर पानी और पेड़ों पर भी होता है। यह रिसर्च में साबित हो चुका है। इस संगीत दिवस पर हम आपको संगीत से जुड़ी दिलचस्प बातें बताने के साथ-साथ, संगीत का इंसान, पेड़ और पानी पर क्या असर होता है, ये भी बताएंगे।

महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने कहा था- ‘अगर मेरे पास फिर से जीने के लिए जीवन होता, तो मैं कुछ कविता पढ़ने और हर हफ्ते कम से कम एक बार म्यूजिक सुनने के लिए एक नियम बना देता।‘ इनकी कही बातों से आप समझ सकते हैं कि संगीत का इंसानी जीवन में कितना महत्व है। जिस तरह से शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए पौष्टिक खाने की जरूरत होती है। उसी तरह से आत्मा को स्वस्थ और सकारात्मक रखने के लिए संगीत की जरूरत होती है।

आप चाहें कितने भी बिजी क्यों न रहें, लेकिन संगीत के लिए जरूर समय निकालें। संगीत का असर हमारे शरीर और दिमाग दोनों पर होता है। एक रिसर्च के अनुसार अगर आप अपने पसंद का संगीत सुनते हैं, तो आपक मूड हमेशा खुशमिजाज रहता है और सोचने-समझने की शक्ति बढ़ जाती है। इतना ही नहीं अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो वो समस्या भी धीरे-धीरे सुधरने लगती है। अक्सर हम देखते हैं कि रोते हुए बच्चे मधुर संगीत सुनकर सो जाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि संगीत का हमारे दिमाग पर असर होता है। संगीत हमारे दिमाग से निगेटिविटी को हटाकर, पॉजिटिविटी का संचार करता है, जो हमारी ज़िंदगी में उमंग पैदा करता है। इसकी मदद से, हम बिना किसी रुकावट के नए तरीके से जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं।

आइए जानते हैं कैसे संगीत इंसान की ज़िंदगी पर असर डालता है…

संगीत हमारी ज़िंदगी पर कई तरह से असर डालता है। यहां तक कि अवसाद से लड़ने में भी संगीत मददगार है। जैसे शास्त्रीय संगीत आरामदायक होता है, जबकि रॉक म्यूजिक हमें ऊर्जावान महसूस कराती है। संगीत में समाज की हर कहानी और किस्से समाहित होते हैं। वो सामाजिक अवाधारणा से लेकर समाज में चल रहीं सभी गतिविधियों पर ध्यान रखती है। संगीत में प्यार भी होता है, तो विरोध भी। संगीत में भगवान समाए होते हैं, तो प्यार के लफ्ज भी।

संगीत है ईश्वर से मिलने का सबसे बेहतरीन ज़रिया

संगीत से निकलने वाले स्वर आपको भगवान से मिला सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि सच्चाई और विनम्रता से खुद को व्यवस्थित करके संगीत की साधना की जाए। संगीत के अभ्यास से हमारे अंदर का घमंड मिटता है। जब हमारे अंदर का अहंकार कम होता है तो हम खुद को श्रद्धा-भक्ति से भरा हुआ महसूस करते हैं।

बीमारियों से भी दिलाता है राहत

वैदिक काल से ही संगीत के श्लोक इंसान को विभिन्न बीमारियों से राहत दिलाते आए हैं। वैदिक काल में बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के कानों में सस्वर श्लोक पढ़ने से उन्हें रोगों से मुक्ति मिल जाती थी। स्वर का प्रभाव हमारी धमनियों पर पड़ता है। इससे बीमारियों में भी स्वरों और संगीत का असर होता है, जिससे इंसान बीमारियों से मुक्त हो जाता है।

बढ़ती है याददाश्त

अगर आप अपनी पसंद का धीमा संगीत सुनते हैं, तो पढ़ा हुआ बेहतर तरीके से याद रहता है। पसंदीदा म्यूजिक सुनने से स्ट्रोक का खतरा भी कम रहता है। साथ ही इससे आपमें एकाग्रता भी बढ़ती है।

एंग्जाइटी से मिलता है छुटकारा

संगीत सुनने से हमें कई प्रकार का फायदा होता है। हमें सिरदर्द से राहत मिलती ही है और एंग्जाइटी में भी काफी लाभ मिलता है। संगीत सुनने से हम उतना ही फ्रेश महसूस करते हैं, जितना दो घंटे की मसाज लेने के बाद हम महसूस करते हैं।

आइए जानते हैं संगीत का पौधों और पानी पर कैसे होता है असर…

संगीत का पेड़-पौधों पर भी असर होता है। आज किसान अपनी फसल या बागबानी की अच्छी ग्रोथ के लिए संगीत का सहारा लेते हैं। कई किसान संगीत के जरिए फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी करने के साथ ही साथ उसकी क्वालिटी में भी सुधार कर रहे हैं।

संगीत से होने वाले असर को लेकर यूनिवर्सिटी ने रिसर्च की है। रिसर्च में पाया गया कि संगीत का पौधों के ग्रोथ पर असर होता है। एक रिसर्च के अनुसार पौधे संगीत के ऊर्जा को काफी पसंद करते हैं, जिससे पौधे की ग्रोथ में सामान्य से ज्यादा बढ़ोतरी होती है।

वर्ष 2017 में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की ओर से की गयी रिसर्च में पता चला था कि संगीत से पौधों में सेंस डेवलप होता है, जिससे वो पानी ढूंढने की कोशिश करते हैं और इससे उनके ग्रोथ पर असर होता है। अन्नामलाई यूनिवर्सिटी में वर्ष 1962 में की गई रिसर्च में पाया गया था कि पौधों पर संगीत का असर पड़ता है क्योंकि संगीत के कारण पौधों की लंबाई 20 प्रतिशत अधिक बढ़ गई। वहीं पौधे का बायोमास 72 प्रतिशत बढ़ गया। रिसर्च में यह भी पता चला है कि संगीत के प्रकार से भी पौधों के विकास पर प्रभाव पड़ता है।

हालांकि, संगीत का असर पेड़-पौधों पर संगीत की आवाज से नहीं बल्कि संगीत की वाइब्रेशन से होता है। वाइब्रेशन से पौधों में सेंस डेवलप होता है, जिससे वो ज्यादा न्यूट्रिशन प्रोड्यूस करते हैं। वहीं रिसर्च में यह भी पता चला है कि पौधों के ग्रोथ पर ज्यादा असर क्लासिकल और जैज संगीत का होता है। रॉक संगीत का ज्यादा फायदा पौधों को नहीं होता है।

इसी तरह से पानी पर भी संगीत का असर होता है। म्यूजिक के वाइब्रेशन जो तरंगें निकलती हैं, उसका पानी पर प्रभाव पड़ता है। एक अन्य रिसर्च में देखा गया कि मोजार्ट म्यूजिक (Mozart Music) के असर से पानी का स्ट्रक्चर काफी बेहतर हुआ जबकि गलत शब्दों के कहे जाने पर इसका स्ट्रक्चर बिगड़ गया।

इस विश्व संगीत दिवस (World Music Day) पर हम आपके लिए लेकर आए थे ये आर्टिकल। आर्टिकल पढ़कर कैसा लगा कमेंट में बताएं। इसी तरह के और लेख पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।

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