अपने भीतर के ‘याज्ञवल्क्य’ को पहचानें

अपने भीतर के ‘याज्ञवल्क्य’ को पहचानें

जो व्यक्ति याज्ञवल्क्य का तरीका अपनाता है, वह गुरु से मिले ज्ञान को तो सुनता है ही, परंतु इसकी भी पड़ताल करता है कि गुरु से मिला ज्ञान सच है या झूठ।

आज हम बताएंगे वैशम्पायन और याज्ञवल्क्य की कहानी। वैशम्पायन वेद व्यास के शिष्य थे और वैशम्पायन के शिष्य थे याज्ञवल्क्य। एक दिन वैशम्पायन ऋषि ने भूल करने के पश्चात उस भूल का पश्चाताप क्रियाओं और यज्ञ के माध्यम से करना चाहा। इस पर याज्ञवल्क्य ने कहा कि पश्चाताप मन में होता है, यज्ञ और क्रियाओं से नहीं। इस बात पर गुरु-शिष्य में विवाद उत्पन्न हो गया। वैशम्पायन ने कहा कि वे गुरु हैं और गुरु का ज्ञान सर्वोत्तम होता है। याज्ञवल्क्य ने कहा कि गुरु ज्ञान महत्त्वपूर्ण तो होता है, परंतु सर्वोच्च ज्ञान आत्मचिंतन और भीतर की आत्मा को समझने से प्राप्त होता है। यह सुनकर वैशम्पायन उत्तेजित हो गए और याज्ञवल्क्य को उनका दिया हुआ ज्ञान लौटाने का आदेश दे दिया। कहानी के अनुसार, याज्ञवल्क्य ने जो ज्ञान शरीर से बाहर निकाला, उसे गुरु के अन्य शिष्यों ने पक्षी के रूप में ग्रहण किया। इस ज्ञान को हम कृष्ण यजुर वेद कहते हैं।

याज्ञवल्क्य को गुरु की आवश्यकता थी, इसलिए उन्होंने सूर्य को अपना देवता माना। क्योंकि सूर्य आत्मा का चिह्न है और वह सब कुछ देख सकता है। हम कह सकते हैं कि याज्ञवल्क्य ने शायद दुनिया को देखकर अपना अध्ययन किया।

यजुर वेद में हमें यज्ञों के बारे में बहुत विस्तृत जानकारी मिलती है। ये दो प्रकार के हैं; एक है कृष्ण यजुर वेद जो अस्पष्ट मूलग्रंथ है। दूसरा है, शुक्ल यजुर वेद जो स्पष्ट और नियमशील है और उसमें भाष्य बहुत स्पष्टता से बताया गया है। इसे याज्ञवल्क्य ने लिखा है।

इस कहानी से पता चलता है कि वैशम्पायन का दृष्टिकोण है कि गुरु होने के नाते शिष्य को उनका कहना मानना चाहिए। इसके विपरीत, शिष्य याज्ञवल्क्य कह रहे हैं, “हां गुरु से मैं सीखूंगा, लेकिन मैं स्वायत्तता से, अपने अंदर के ज्ञान, विवेक, चेतना और बुद्धि का उपयोग करके भी ज्ञान प्राप्त करूंगा।” इस प्रकार दो विचारधाराएं बन गईं।

यह वैदिक काल की कहानी होते हुए भी महत्वपूर्ण इसलिए है कि आजकल व्हाट्सएप के माध्यम से हमें बहुत ज्ञान मिल रहा है। कुछ लोग, वैशम्पायन विचारधारा के व्हाट्सएप को गुरुजी मानकर कहते हैं कि वहां से प्राप्त हुआ सभी ज्ञान सच ही होगा, झूठ नहीं। याज्ञवल्क्य विचारधारा के लोग उनके विवेक और बुद्धि का उपयोग करते हैं, इंटरनेट पर खोज करने के लिए, ज्ञान का प्रमाण ढूंढ़ने के लिए और जानने के लिए कि उन्हें मिला ज्ञान सच है या झूठ।

इस प्रकार की सोच आजकल अधिक मायने नहीं रखती। धार्मिक गुरु और मठाधीश चाहते हैं कि वे जो भी कहें, उनके शिष्य उस सबको सच मानकर स्वीकार करें क्योंकि ऐसे व्यक्ति ही अच्छे शिष्य कहलाएंगे। लेकिन, जो व्यक्ति वैज्ञानिक या याज्ञवल्क्य का तरीका अपनाता है, वह गुरु से मिले ज्ञान को तो सुनता है ही, परंतु इसकी भी पड़ताल करता है कि गुरु से मिला ज्ञान सच है या झूठ। उस व्यक्ति का मन भी उसे बताता है कि क्या सही है और क्या नहीं। आप देखोगे कि विश्व में आपके सभी मित्र इन दो गुटों में बंट जाएंगे। पहला गुट गुरु का कहा सभी कुछ मानेगा। हर धर्म में भी आपको इन दो तरह के लोग मिलेंगे।

पहले प्रकार के लोगों को कोई श्रम उठाने नहीं पड़ते और वे आरामदायक जीवन जी सकते हैं। वे यह सोचते नहीं कि गुरु भी मनुष्य हैं और उससे भी भूल हो सकती है। वे अपने जीवन के निर्णय लेने की क्षमता को गुरु के हवाले कर देते हैं। चूंकि दूसरे प्रकार के लोग किसी बात का इतिहास और भूगोल ढूंढ़ते हैं, उन्हें अपने जीवन में और श्रम उठाने पड़ते हैं। दूसरे प्रकार के लोग अपने जीवन की ज़िम्मेदारी खुद लेते हैं।

तो, आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं, यह प्रश्न आपको खुद से पूछना है। क्या आप वैशम्पायन विचारधारा के हैं या याज्ञवल्क्य विचारधारा के? इस प्रश्न पर विचार करके अब जब व्हाट्सएप पर आपको मित्रों के मैसेज आएंगे, जब आप मित्रों के साथ बात करोगे, तो यह निर्णय कर लो कि वे केवल गुरु की बात मानने वाले लोग हैं या खुद की सोच का प्रयोग करके खुद का निर्णय लेने वाले लोग हैं।

कहते हैं कि जब याज्ञवल्क्य ने सूरज को अपना गुरु मान लिया, तब सूरज ने घोड़े का सिर या कुद्रेमुख लेकर हयग्रीव नाम के देवता के रूप में उन्हें ज्ञान दिया। हयग्रीव विष्णु का ही एक अवतार है। यह शायद हमारे भीतर बैठे हुए सूरज या घोड़े की बात कर रहा है, जो हमें ज्ञान दे सकता है, यदि हम बाहर के विचारों पर गौर करें तो आप भी आपके भीतर के वैशम्पायन और याज्ञवल्क्य को जानें, भीतर के सूरज और घोड़े को जानें और अपने भीतर आत्मज्ञान और वेद का ज्ञान प्राप्त करें।

देवदत्त पटनायक पेशे से एक डॉक्टर, लीडरशिप कंसल्टेंट, मायथोलॉजिस्ट, राइटर और कम्युनिकेटर हैं। उन्होंने मिथक, धर्म, पौराणिक कथाओं और प्रबंधन के क्षेत्र मे काफी काम किया है।

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