ध्यान की शक्ति

ध्यान में बहुत शक्ति है

दिमाग को तेज़ करने के लिए हम जिन प्रभावी तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, उनमें से ध्यान सबसे प्रभावी साधन है। याद्दाश्त, एकाग्रता, अनुशासन और नींद लाने के लिए ध्यान एक प्रभावी उपाय है। लेकिन आखिरकार ध्यान है क्या? जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

हम जानते हैं कि दिमाग पर कंट्रोल करना आसान नहीं है। जहां हम रहते हैं वहां काफी शोर-शराबा है और हम भी इससे अछूते नहीं हैं। हमें शांत रहने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि, अपने भीतर भी शांति पाना बहुत मुश्किल है। निगेटिव थॉट्स (Negative thoughts) से भरा मन हमें काफी उकसाता है। हम जानते हैं कि हम अंदर से बहुत बेचैन हैं। लेकिन एक ध्यान की शक्ति है, जो इस असहाय अवस्था में हमारी मदद कर सकती है।

ध्यान की शक्ति (Power of meditation) हासिल कर हम मन को साध सकते हैं। यह प्रभावी तरीकों में से एक है। ध्यान करने से हमें अच्छी नींद आती है। साथ ही याद्दाश्त बढ़ाने, अपने आप को एकाग्र करने और खुद को अनुशासित भी कर सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि मेडिटेशन क्या है? मेडिटेशन की एक्सपर्ट ममता वेंकट ने बताया कि यह एक प्रकार का एक्सरसाइज है। यह हमारे शरीर और दिमाग को ट्रेनिंग देने का काम करता है। मौजूदा समय में कई लोग मेंटल प्रॉब्लम और थकान से ग्रसित हैं। ऐसे में मेडिटेशन मेंटली फिट रखने में काफी कारगर है। यह मेडिटेशन का ही कमाल है कि इसके ज़रिए लोग स्वस्थ रह सकते हैं।

ध्यान कैसे किया जाए यह सभी लोगों को सही से पता नहीं है। ज्यादातर लोग तो मेडिटेशन की इस प्रैक्टिस को सीधे माइंड से जोड़ते हैं। सच तो यह है कि मेडिटेशन मॉडर्न क्रिएशन है। योग और मेडिटेशन के एक्सपर्ट राजेश जैन बताते हैं कि लोग मेडिटेशन करते समय उस पर ध्यान देने की बात करते हैं, लेकिन वास्तव में ध्यान से उनका मतलब होता है, एकाग्र रहना। सही तरीके से ध्यान करने के लिए व्यक्ति को विचारों से आज़ाद होना होता है, न कि विचारों के प्रति सजग।”

ध्यान की शक्ति (Dhyan ki shkti) में विवेक के अभाव के विचार को धार्मिक अध्ययन के प्रोफेसर डेविड मैकमोहन और एरिक ब्रौन ने अपनी पुस्तक मेडिटेशन, बुद्धिज़्म एंड साइंस में किए गए रिसर्च में बताया है। 8वीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकराचार्य को ‘अचिंतैव परम ध्यानम’ का उपदेश देने के लिए जाना जाता है। उसमें उन्होंने कहा है कि विचारहीन होना ध्यान का सर्वोच्च रूप है।

मेडिटेशन की प्रैक्टिस करने वाले हर व्यक्ति का लक्ष्य विचारहीनता नहीं हो सकता है। हर व्यक्ति के लिए मेडिटेशन का एक्सपीरिएंस अलग-अलग होता है। जैसा कि जीवन का अंतिम लक्ष्य होता है। कुछ लोग अपनी कांसेंट्रेशन में सुधार के लिए मेडिटेशन का सहारा लेते हैं, तो कुछ अपने अंदर की शांति के लिए इसका सहारा लेते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे हैं जो ईश्वर से जुड़ने के लिए इसका सहारा लेते हैं। बौद्ध भिक्षु तेनज़िन लेगसोक का कहना है कि, “हर मनुष्य के लिए मेडिटेशन करने के अपने-अपने कारण हो सकते हैं। लेकिन मेडिशन का मकसद ज्ञान की प्राप्ति करना, कष्टों से निजात पाना और पॉजिटिविटी को हासिल करना है।” ध्यान की शक्ति व मेडिटेशन का यही पावर है।

लेगसोक का ध्यान का विचार स्प्रिचुअल है। जो लोग यह प्रैक्टिस करते हैं वो ईश्वर को पाने और इस जीवन में अपनी परेशानियों को खत्म करने की कोशिश करते हैं। हिंदू परंपरा की बात करें तो यहां मेडिटेशन का मकसद आत्मा को महसूस करने के लिए किया जाता है। जबकि अन्य धर्मों के लोग ईश्वर को पाने के लिए मेडिटेशन का सहारा लेते हैं। ध्यान की शक्ति को लेकर एक बात समान है कि लोग आध्यात्मिक तौर पर सजग होने के लिए इसका सहारा लेते हैं।

मेडिटेशन करने वाले कई एक्सपर्ट और इसकी प्रैक्टिस करने वाले लोग मानते हैं कि ध्यान की शक्ति से वो स्प्रिचुअली तौर पर काफी जागरूक होंगे। उनकी प्रोडक्टिविटी में सुधार होगा। इन लोगों का मानना है कि ध्यान की शक्ति इतनी ज्यादा है कि वो अपने रोज़मर्रा के काम को आसानी से कर पाते हैं। वहीं मानसिक तौर पर काफी पॉजिटिव भी होते हैं। मेडिटेशन करने से वो अपने अंदर की शक्ति को पहचान पाते हैं। प्राणिक उपचारक और अर्हटिक योग चिकित्सक जीन डी आर्क का मानना है कि फिजिकल बॉडी, एनर्जी बॉडी, दिमाग और मन में एक संबंध है। “दिव्य प्राण में जीवन को बदलने की शक्ति है और हम मेडिटेशन से इस प्राण को काफी मात्रा में पा सकते हैं। यह प्राण मनुष्य के एनर्जी बॉडी, फिजिकल बॉडी, दिमाग और शरीर से होकर गुज़रता है।”

मौजूदा समय में साइंटिस्ट भी इस प्रकार का एक्सपीरियंस करने को लेकर काफी जिज्ञासु हैं। ध्यान की शक्ति को समझने के लिए उन्होंने रिसर्च किए हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह काम कैसे करता है। मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच) के हार्वर्ड से जुड़े एक्सपर्ट ने मेडिटेशन पर रिसर्च किया। वहीं इसके रिजल्ट को जानने का प्रयास किया। रिसर्च में इस बात का पता चला कि, जो लोग इस रिसर्च का हिस्सा थे उनके दिमाग का एक हिस्सा टेंशन और स्ट्रेस से जुड़ा होता है, ये हिस्सा बादाम के आकार का होता है। इससे इस नतीजे पर पहुंचे कि ध्यान की शक्ति से मन की शांति का अनुभव किया जा सकता है।

साइंटिस्ट से रिसर्च के जरिए यह पता किया कि हमारा दिमाग मेडिटेशन के ज़रिए खुद को जोड़ने की शक्ति रखता है। इस रिसर्च से हमें पता चलता है कि ध्यान के ज़रिए शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में तंत्रिका की मदद से संदेश भेजा जा सकता है, इसमें सुधार भी होता है। इस क्षमता को न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते है। इस अवधारणा को विभिन्न न्यूरोसाइंटिस्टों ने प्रमाणित भी किया है। यह समझ से परे है कि दिमाग की संरचना लोगों के स्प्रिचुअलिटी में विश्वास होने मात्र से बदल सकती है। शायद ही ये लोग कभी न्यूरोबायोलॉजी से जुड़े हो। यही ध्यान की शक्ति है।

यह बात आज भी अनसुलझी है कि जब कोई मेडिटेशन करता है साधना और साधक के बीच क्या होता है। इस बारे में राजेश बताते हैं कि, यह अच्छी नींद के अनुभव के समान है। क्योंकि अच्छी नींद के दौरान क्या हुआ व क्या नहीं हमें याद नहीं होता। इसलिए हम उस नींद को अच्छा मानते हैं। शायद सपने सबकॉन्शियस माइंस का द्वार होते हैं। वैसे ही मेडिशन आध्यात्मिक दुनिया और भौतिक दुनिया के बीच पुल होता है।

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