अच्छी नींद

रात में अच्छी नींद के हैं चमत्कारी फायदे

शरीर, मन और मिज़ाज को ठीक रखने के लिए चंद घंटे दिन में झपकी ले लेना भी बढ़िया होता है।

आज हम भाग दौड़ की दुनिया में जी रहे हैं। इससे हमारी नींद पूरी नहीं हो पाती है। दिन के 24 घंटों में हम 6 घंटे भी अच्छी नींद (Good sleep) नहीं ले पाते हैं। अतः जगे रहने के लिए कैफीन यानि कॉफी और निकोटीन यानि तम्बाकू युक्त पदार्थों का सेवन बढ़ गया है। इन उत्तेजक द्रव्यों का सेवन कर हम अपनी उत्पादकता बढ़ाने में जुटे रहते हैं। बहुत हैरानी वाली बात है कि आजकल यह आम बात हो गई है। यह तो अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना हुआ, जो आगे चलकर बहुत खतरनाक साबित होगा। नींद की कमी से शरीर कभी भी मंद पड़ जाएगा। तब वह समय और जगह का भी इंतजार नहीं करेगा।

जैसे भोजन और पानी के बिना हम जी नहीं सकते, वैसे ही अच्छी नींद के बिना भी हम नहीं रह सकते। मनुष्य के जीवन का एक तिहाई समय तो सोने में बीत जाता है। कुछ लोग कह सकते हैं कि जीवन का इतना बड़ा समय ‘सोने जैसे अनुत्पादक काम में गंवा देना’ बर्बादी है। लेकिन सच्चाई यह है कि शरीर, मन और मिज़ाज को ठीक रखने के लिए चंद घंटे दिन में भी झपकी ले लेना बढ़िया होता है। फिर नींद क्या है? हम क्यों सोते हैं? जब हम अच्छी नींद में होते हैं तो हमारे शरीर में क्या बदलाव होते हैं? वैज्ञानिक इन प्रश्नों के समाधान खोजने में लगे हुए हैं। इसलिए इस विषय में व्यापक शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं। नींद ऐसी बार-बार दोहराई जाने वाली अवस्था है, जिसमें हम अपने परिवेश को भूल जाते हैं तथा विश्राम पाकर स्वस्थ और तरोताज़ा हो जाते हैं। अच्छी नींद के दौरान हमारे शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। इनसे हम अपनी पूर्वस्थिति में आ जाते हैं और सुबह प्रफुल्लित होकर जगते हैं। शरीर, मन और मिज़ाज को ठीक रखने में अच्छी नींद की क्या भूमिका है आइए इस पर जरा गौर करें।

शरीर     

विज्ञान के अनुसार हम दो कारणों से सोते हैं। पहला है सेहत की रक्षा और दूसरा है कार्यशक्ति की रक्षा। रसेल ग्रांट फोस्टर ब्रिटिश शारीरिक अंतर्क्रिया तंत्रिका विज्ञानी यानी सर्केडियन न्यूरोसाइंटिस्ट हैं। अपने ‘टेड टॉक’ (एक तरह का प्रेरक व्याख्यान) के दौरान फोस्टर ने ‘हम क्यों सोते हैं?’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने दिन भर में जो सारी शक्ति खर्च की है, उसे रात में वापस पा लेते हैं, रिस्टोर और रिप्लेस कर लेते हैं।’’

हम जितना भी सो पाए हमारे मसल्स उस दौरान पूरी तरह आराम पा लेते हैं। शरीर का तापमान घट जाता है। रक्तचाप कम हो जाता है। हमारे दिल की धड़कन मंद हो जाती है और फलस्वरूप हमारी सांसें धीमी और गहरी हो जाती है। शरीर का ग्रोथ हार्मोन अपने आप शरीर की मरम्मत करता है तथा किसी भी नुकसान की भरपाई कर देता है। जब हम अच्छी नींद में होते हैं तब हम किसी तनाव में नहीं होते और इसलिए हमारी नसों में एड्रेनेलिन का कम पम्पिंग होता है। भूख को बढ़ाने वाले लेप्टिन व घ्रेलिन हार्मोन का नियंत्रण होता है।

जब हम अच्छी नींद नहीं ले पाते तब ऊपर बताई गई कई शारीरिक क्रियाएं प्रभावी रूप से नहीं हो पाती। इससे हम जगते ही थका-सा व तनावपूर्ण महसूस करते हैं और उनसे उत्पन्न पीड़ा-दर्द को सहते रहते हैं। इससे शरीर की इम्युनिटी कम होती है व रोगों के हमलों का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं जब मस्तिष्क थका होता है तब वह कैफीन जैसे पेय लेने के लिए हमें उकसाता है। इन पेयों को लेते ही ऐसा लगता है जैसे पेट भर गया है। ‘टेड टॉक’ में फोस्टर ने कहा, ‘‘जो लोग लगभग 5 या उससे कम घंटे सोते हैं उनमें से कम से कम 50 फीसदी लोग मोटापे का शिकार होते हैं। नींद कम होने पर भूख को बढ़ाने वाला हार्मोन घ्रेलिन का रिसाव होता है। वह मस्तिष्क तक पहुंचता है और फिर दिमाग कहता है, ‘‘मुझे कार्बोहाइड्रेट की ज़रूरत है।’’ इससे इंसुलिन के कार्य में रुकावट आ सकती है और मधुमेह की बीमारी हो सकती है।

मन

कहते हैं कि नींद से मन हल्का हो जाता है। अंग्रेजी में कहावत भी है, ‘‘स्लीप ऑन इट’’… वहीं, हिन्दी में भी कहावत है ‘‘घोड़े बेचकर सो जाओ’’ का अर्थ भी लगभग यही है। जब हम नींद में होते हैं तब दिमाग बहुत सी बातों का जोड़ता-तोड़ता रहता है। मीठी गहरी नींद के दौरान दिमाग का प्रक्रियागत और यादों को संजोने का कार्य निरंतर जारी रहता है, जो बेहद महत्त्वपूर्ण है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि रात में अच्छी नींद आने से अध्ययन व प्रश्नों को हल करने के हमारे कौशल में सुधार आता है। हमारी सजगता बढ़ती है, हमारी निर्णय-क्षमता में वृद्धि होती है और हमारी रचनात्मकता में सुधार होता है।

जब हम नींद में होते हैं तब हमारे दिमाग के न्यूरॉन दिन की घटनाओं और मेल-मुलाकातों का विश्लेषण करते हैं। वहीं उन यादों को लंबे समय के लिए सुरक्षित कर देते हैं। जिनका कोई  महत्व न हो वैसी जानकारी और विचारों को छोड़ दिया जाता है। उपयोगी जानकारी सुरक्षित कर ली जाती है। इसलिए हमें काम की चीज़ें याद आ जाती हैं, हम ज़रूरी बातों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और हमारी बेहतर निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। दूसरी ओर यदि हमारी नींद पूरी नहीं हो तो हमें ध्यान न रख पाने का सामना करना पड़ता है, हमारी रचनात्मकता कम हो जाती है, मनमौजी पन बढ़ता है और हम अपने फैसले ठीक से नहीं ले पाते।

मनोविज्ञानी और नींद वैज्ञानिक डैन गार्टेनबर्ग ने टेड टॉक में गहरी नींद से मस्तिष्क को होने वाले लाभों पर अपने विचार रखते हुए कहा, ‘‘अच्छी नींद न होने पर हम अपने फैसले लेने में जल्दबाज़ी करते हैं, जो जोखिम भरे होते हैं और अन्यों के प्रति हमदर्दी रखने की हमारी क्षमता भी कम हो जाती है। हम अपनी समस्याओं में ही उलझे रह जाते हैं और एक अच्छे और स्वस्थ व्यक्ति के रूप में किसी के साथ जुड़ना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है।’’

मिजाज

क्या हम रात भर अच्छी नींद लेना नहीं चाहते? हम दिन में कितने भी थके हों या विचारों में उलझे हों लेकिन रात भर सोने के बाद सुबह तरोताज़ा व ऊर्जावान होकर जगते हैं। हमारी समस्याओं के प्रति स्पष्टता और आत्मविश्वास बढ़ जाता है। नींद एक तरह से ध्यान ही है। हालांकि नींद और ध्यान एक जैसा नहीं होता; परंतु उनके प्रभाव अवश्य एक जैसे होते हैं। सद्‌गुरु जग्गी वासुदेव ने अपने एक ब्लॉग में कहा है, ‘‘जिस दिन भी आप जग जाएं, बढ़िया है। आप पूरी तरह मुक्ति का अनुभव करेंगे, आपमें नवचैतन्य और भलाई का भाव जगेगा; इसलिए कि आप मूल प्रकृति से जुड़ गए थे। आप उस जगह पहुंचे थे जहां कोई अस्मिता बची नहीं रहती। किसी विशिष्ट शक्ति ने आपको स्पर्श किया, लेकिन यह सब अचेतन अवस्था में हो गया। यदि आप सचेतन अवस्था में यह सब पा लें तो उसे ध्यान कहते हैं।’’

बहरहाल, ऐसी गहरी नींद हम सबको आसानी से नहीं आती। हमारे ऊर्जा पिंडों की स्थिति का हमारी नींद की आदतों पर असर पड़ता है।

जब हम दिनभर काम करने के बाद सोने जाते हैं, तब दिन भर के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह के विचार हमारे दिमाग में कौंधते रहते हैं। जब नकारात्मक भाव अधिक हो तब ये विचार हमारे ऊर्जा पिंड तक पहुंचते हैं और हमारी विचार-शक्ति को या तो मंद कर देते हैं या बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। जब नकारात्मक विचार लगातार आते हैं तब वे हमारे ऊर्जा चक्र के मुक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं। इन अवरोधों के कारण निद्रानाश जैसी बीमारी हो जाती है।

प्राणिक चिकित्सक सुषमा पाटिल का कहना है कि ‘‘सोने के पूर्व नियमित ध्यान और ऊर्जा पिंड की सफाई करने से हमारी नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा। समय के साथ हम अपने नकारात्मक विचारों पर विजय पा लेंगे और हमारे मस्तिष्क और मिजाज में स्पष्टता आ जाएगी।’’ जब हम स्वच्छ ऊर्जा पिंड के साथ सोने जाएंगे तो हमें गहरी अच्छी नींद आएगी। इससे हम तरोताज़ा और नवचैतन्य अनुभव करेंगे तथा नई ऊर्जा के साथ जगेंगे।

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