रणथंभौर का वो अजेय किला, जहां दफ्न है सदियों का इतिहास

रणथंभौर किला जो दिल्ली सल्तनत के सामने सदियों तक अजेय होकर खड़ा रहा। तो चलिए, आज आपको मैं राजाओं-महाराजाओं की धरती की सैर करवाता हूं। साथ ही मैं आपको अपने साथ ले चलूंगा रणथंभौर नेशनल पार्क, जहां आप टाइगर को अपनी आंखों से देख सकते हैं, बाड़े में बंद नहीं, बल्कि खुले जंगल में।

अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच बसे इस दुर्ग की मज़बूत और आधुनिक प्राचीरों ने किसी जमाने में विशाल शहरों का साम्राज्य देखा, तो कभी हिनहिनाते घोड़ों और गहनों से लदे विशालकाय हाथी, तो कभी हथियारों से लैस सेनाओं को अपनी आंगन में चहल-पहल करते हुए भी देखा। इस दुर्ग की दीवारों को याद है कि किस तरह से कोमल राजकुमार और राजकुमारियां किलकारियां मारते हुए तलवारों के धनी हो गए। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार मैं कहां की बात कर रहा हूं, ज्यादा सोचिए मत, क्योंकि आपका ये लेखक यात्राओं से भरी इस ज़िंदगी के सफर में पहुंच चुका है राजस्थान के रणथंभौर। वही रणथंभौर किला (Ranthambore Fort) जो दिल्ली सल्तनत के सामने सदियों तक अजेय होकर खड़ा रहा। तो चलिए, आज आपको मैं राजाओं-महाराजाओं की धरती की सैर करवाता हूं। साथ ही मैं आपको अपने साथ ले चलूंगा रणथंभौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tigre Reserve), जहां आप टाइगर को अपनी आंखों से देख सकते हैं, बाड़े में बंद नहीं, बल्कि खुले जंगल में।

इतिहासकरों के अनुसार, मध्य कालीन इतिहास रणथंभौर (Ranthambore) के बिना अधूरी है। कहा जाता है कि रणथंभौर किला की प्राचीर पर बैठा एक सैनिक 10,000 शत्रुओं से अकेले ही मुकाबला कर सकता था। यहां के राजा-महाराजाओं के बारे में सोचते-सोचते मैं अब पहुंच चुका हूं रणथंभौर किला के मुख्य गेट पर, जिसे नौलखा दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। गेट में घुसने के बाद मैं सबसे पहले पहुंचा गणेश मंदिर, वैसे भी कहा गया है कि शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश का दर्शन कर लेने भर से वह पूरा हो जाता है। रणथंभौर किला में स्थित त्रिनेश गणेश मंदिर में दूर-दराज़ से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। आसपास के क्षेत्रों में इस मंदिर के प्रति काफी आस्था है। गणेश मंदिर के अलावा किले में जैन मंदिर भी है। इसके अलावा बादल महल, जंवरा-भंवरा अन्नागार, दिल्ली दरवाजा, हम्मीर महल, हम्मीर कचहरी, तोरण द्वार, महादेव छत्री, सामंतों की हवेली और मस्जिद भी है।

रणथंभौर किले के लिए ही नहीं, बल्कि प्रकृति और नेचुरल सुंदरता के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। रणथंभौर किला घुमने के बाद अब मैं आपको ले चलूंगा बाघों की दुनिया में, हां आपने सही समझा रणथंभौर टाइगर रिजर्व। इस टाइगर रिजर्व का शुमार देश के सबसे घने जंगलों में होता है। सैकड़ों की तादाद में यहां रह रहे बाघों की एक झलक पाने के लिए पूरे विश्व के लोग यहां पहुंचते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां मैंने जंगल सफारी करने के लिए जीप ली, जिसमें और भी लोग थे। हमने टाइगर रिजर्व के गेट से जंगल सफारी की शुरुआत की। यहां बाघ के अलावा, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, हिरण सहित अन्य जानवरों को देख सकते हैं। साथ ही अनेक किस्मों की चिड़ियां भी यहां हैं। जीप सफारी के दौरान हमारे गाइड ने बताया कि यहां बाघों को देखने के लिए सबसे अच्छी साइटिंग है कचिदा घाटी। वे हमें लेकर चल पड़े उस ओर। कहा जाता है कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व में जो भी पहुंचता है, उसे बाघ ज़रूर दिख जाते हैं। तो हम उसी उम्मीद में गाइड के साथ पहुंच चुके थे कचिदा घाटी। यहां पहुंचने बाद मैं और साथ में मौजूद अन्य पर्यटक बाघ का इंतजार करने लगे। इस दौरान हमारे आसपास हिरण और अन्य जानवर चहलकदमी कर रहे थे, जो कि प्राकृतिक सुंदरता को बयान कर रहे थे। लगभग एक घंटे तक इंतजार करने के बाद आखिरकार हमें टाइगर दिख गया। उसको देखते ही सभी के चेहरे खिल गए और सुकून भरी राहत थी। ये इसलिए क्योंकि टाइगर को देखते ही सभी का मुख्य मकसद पूरा हो गया था।

रणथंभौर में किला और टाइगर रिजर्व के अलावा भी घूमने के लिए यहां काफी कुछ है। जैसे जोगी महल। जोगी महल पद्म झील के बगल में है। इस महल का इस्तेमाल जयपुर के राजाओं द्वारा शिकार पर आने के दौरान रहने के लिए किया जाता था। महल के बाहर झील और हरी-भरी हरियाली का नज़ारा मंत्रमुग्ध करने वाला है। इस महल के एक किनारे पर बरगद का पेड़ है, जिसे देश के सबसे बड़ पेड़ में से एक कहा जाता है। इसके अलावा आप रणथंभौर में सुरवल झील जा सकते हैं, जहां का सूर्यास्त व सूर्योदय अपने आप में अलग है।

रणथंभौर किला और टाइगर रिजर्व के लिए पहचाने जाने वाला यह जगह अमरूद के लिए भी जाना जाता है। क्योंकि यहां अमरूद की बहुत अच्छी फसल होती है। यहां के किसान अन्य फसलों के अलावा अमरूद की भी खेती करते हैं। पूरे सवाई माधोपुर जिले में हजारों मीट्रिक टन अमरूद उगाया जाता है, जो किसानों की ज़िंदगी को खुशहाल बना रही है।

इस यात्रा के अंत में मैं यहीं कह सकता हूं कि रणथंभौर अपने आप में पूरे देश में सबसे अलग है। क्योंकि यहां प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही हजारों वर्षों का इतिहास भी दफ्न है। इस सुंदरता को देखने और इसका अनुभव करने के लिए एक बार रणथंभौर ज़रूर पहुंचे। ताकि आप रणथंभौर किला देखने के साथ यहां के इतिहास के बारे में भी जान सकें।