एशिया का सबसे स्वच्छ गांव मायलिनोंग

कैसे है मायलिनोंग एशिया का सबसे स्वच्छ गांव?

भारत में मौजूद ये गांव, एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के रूप में जाना जाता है। यहां की हर गली और हर जगह, प्रदूषण से मिलो दूर है। चारों ओर हरा-भरा और साफ वातावरण मायलिनोंग की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।

‘स्वच्छ भारत अभियान’ सरकार द्वारा हमारे भारत को स्वच्छ और साफ रखने के लिए, चलाई गई इस मुहिम से तो आप भी वाकिफ होंगे? इसके अंतर्गत भारत की हर गली और कस्बे को साफ बनाने पर काम किया गया है। भारत को स्वच्छ बनाने का काम सिर्फ सरकार का नहीं है, इसमें नगरवासी भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। पर क्या आप जानते हैं कि भारत के एक गांव के नगरवासियों ने स्वच्छ भारत की इस मुहिम को काफी हद तक सफल कर दिया है? जी हां! मैं बात कर रही हूं भारत के एक गांव मायलिनोंग की। अभी हाल ही में मैं यहां घूमकर आई हूं।

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में बसा, मायलिनोंग गांव, मनुष्यों और प्रकृति के बीच के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। भारत में मौजूद ये गांव, एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के रूप में जाना जाता है। यहां की हर गली और हर जगह, प्रदूषण से मिलो दूर है। चारों ओर हरा-भरा और साफ वातावरण मायलिनोंग की खूबसूरती में चार चांद लगाता है।

यहां पहुंचकर मैं सोच रही थी कि जिस तरह मायलिनोंग के वासियों ने अपने गांव को एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव (Cleanest Village) बनाया है, उसी तरह अगर हम सब ठान लें तो पूरा भारत ही साफ-सुथरा बन सकता है। मगर सवाल उठता है कि आखिर मायलिनोंग के लोगों ने ऐसा किया कैसे? क्या उनके घर से कचरा नहीं निकलता? अगर निकलता है तो जाता कहां है? कुछ ऐसे ही सवालों का जबाव जो मुझे मेरी ट्रिप पर मिला, आज मैं इस आर्टिकल की मदद से आपको बताऊंगी। तो चलिए मायलिनोंग की स्वच्छता और इस जगह की सुंदरता के बारे में और जानते हैं।

मायलिनोंग है सबसे स्वच्छ गांव (Mawlynnong hai sabse swachh gaon)

मायलिनोंग के बारे में मुझे मेरे दोस्तों से पता चला था। जब पता चला कि ये एशिया का सबसे साफ गांव है तो फिर मैंने ठान लिया कि मुझे तो यहां जाना ही है। सबसे पहले शिलॉन्ग की फ्लाइट ली और फिर वहां से मायलिनोंग के लिए कैब। पूरा रास्ता हरा-भरा है, जैसे कोई बड़ा-सा बगीचा हो। इस गांव तक पहुंचने का रास्ता भी आपको दीवाना बना देगा। जैसे ही मैं मायलिनोंग पहुंची, मुझे ऐसा लगा कि इससे ज़्यादा हरियाली मैंने शायद सालों पहले देखी होगी। मैं गेस्ट हाउस में रूकी थी, जो देखने में लग रहा था मानो पेड़-पौधों की गोद में बसा हो। यहां के सफर ने मुझे सुकून तो दिया ही, साथ ही यह मेरे मानसिक स्वास्थ्य (Mental Wellbeing) के लिए भी बेहतरीन रहा।

एशिया का सबसे स्वच्छ गांव कहा जाने वाला मायलिनोंग पूरे भारत का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे स्वच्छ जल-वायु वाला गांव है। यहां की सिर्फ हवा ही साफ नहीं, बल्कि जल और भू भाग भी पूरी तरह से स्वस्थ और साफ हैं। यहां के घर फूस की छतों से बने हैं और हर तरफ हरा-भरा माहौल है। प्रदूषण और गंदगी को दूर रखने के लिए सभी ने कुछ अच्छे नियम या आदतें बना रखी हैं, जिससे इस गांव को साफ बनाए रखने में मदद मिलती है।

इस गांव में घूमने का सबसे अच्छा तरीका है पैदल चलना और यहां के लोकल लोगों से बात करना। यकीन करें, यहां जब आप वॉक करेंगे तो आपको लगेगा आप अपनी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत वॉक कर रहें हैं। मेरा मन तो अभी भी करता है कि मैं इस गांव में ही रहने लग जाऊं।

स्वच्छ गांव का श्रेय निवासियों को जाता है (Swachh gaon ka shrey nivashiyon ko jaata hai)

यहां पहुंचकर मैंने कई लोकल लोगों से बात की, जिससे मुझे पता चला कि आखिर ये लोग किस तरह से अपने गांव को इतना साफ रखते हैं। किसी भी जगह की रक्षा और रख-रखाव उसके मालिक पर निर्भर करती है। मायलिनोंग गांव के निवासी इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि उनका गांव किसी भी तरह की गंदगी का शिकार न हो। इसके लिए मायलिनोंग के हर घर के बाहर एक बांस का कूड़ादान रखा रहता है, जिसमें घर का पूरा वेस्ट जाता है और बाद में इस कचड़े का निस्तारण (Disposal) एक गड्ढे में किया जाता है। कुछ समय के बाद ये कचड़ा खाद बन जाता है, जिसका इस्तेमाल खेती में किया जाता है। इस तरीके से मायलिनोंग में कचड़े का ढेर जमा नहीं होता।

अब आप सोच रहें होंगे कि उन कचड़ो का क्या जो खाद नहीं बन सकते हैं, जैसे कि प्लास्टिक? तो आपको बता दें कि यहां के लोग प्लास्टिक और ऐसे रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते, जिनसे प्रकृति को कोई नुकसान हो। इस गांव में प्लास्टिक का उपयोग करना बैन है। यही नहीं बल्कि यहां खुले में शौच करना भी सख्त मना है, इसलिए हर घर में बाथरूम बने हुए हैं। इसके अलावा बारिश के पानी को यहां सभी लोग जमा करते हैं, जिससे पानी की भी बचत होती है। गांव की सफाई में हर वासी मदद करता है। नगरीय लोग अपने गांव मायलिनोंग की स्वच्छता का पूरा ख्याल रखते हैं। सभी गांववासियों की मदद से ही यह गांव एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव बन पाया है।

मायलिनोंग घूमने के हैं कुछ नियम (Mawlynnong ghumne ke hain kuch niyam)

अगर आप भी मेरी तरह मायलिनोंग घूमना चाह रहें तो हैं तो आपको कुछ बातें अपने ज़हन में डाल लेनी होंगी। मायलिनोंग, मेघालय का एक गांव है, तो ज़ाहिर सी बात है कि यहां प्रकृति की असीम सुंदरता होगी। हरे-भरे पहाड़ और झरने मायलिनोंग की स्वच्छता में चार-चांद लगाते हैं। इसकी खूबसूरती और स्वच्छता का आनंद लेने पर्यटक दुनिया भर से यहां आते हैं।

मगर मायलिनोंग में आकर, यहां कुछ दिन गुज़ारने की कुछ शर्तें भी हैं, जिसमें सबसे पहली है साफ-सफाई। इसके अलावा यहां आप प्लास्टिक बैग का उपयोग नहीं कर सकते और न ही धूम्रपान। अगर आप भी मायलिनोंग आना चाहते हैं तो बस यहां के साफ-सफाई के नियमों का पालन कीजिए और यहां की असीम सुंदरता का आनंद लीजिए।

सुकून चाहिए तो मायलिनोंग आएं (Sukoon chahiye to Mawlynnong aayein)

एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बेहद खूबसूरत है। यहां बहुत से रंग-बिरंगे फूलों से सजे बगीचे हैं। बेकार पड़ी हुई चीज़ों से बनाई गई सुंदर हस्तशिल्प कलाएं हैं, जो यहां के लोगों की रचनात्मकता और रिसाइक्लिंग (Recycling) के ज्ञान का सबूत देती हैं। बड़े सुंदर झरने और पुल हर किसी का मन मोह लेते हैं। पूरे गांव में दिल को ठंडक देने वाली शांति फैली है। अगर आप भी कुछ पल सुकून से सिर्फ प्रकृति की गोद में गुज़ारना चाहते हैं तो मायलिनोंग गांव (Mawlynnong Village) चले आइए, बस शर्त ये है कि मायलिनोंग की स्वच्छता का ख्याल रखना न भूलें।

मेरे दिल में तो ये गांव हमेशा के लिए बस गया है। आप ये ट्रिप कब प्लान कर रहें हैं हमें कमेंट में ज़रुर बताएं। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।

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