हम सबमें से ज़्यादतर लोगों की आदत होती है दिन की शुरुआत एक गर्म कप चाय की प्याली से करने की। पर क्या कभी सोचा है, वो चाय जिसका आनंद हम बिस्तर में बैठ कर ले रहे हैं वो कहां से आती है? इस सवाल का जवाब शायद हम सब जानते ही हैं। हमारे कप की शोभा बढ़ाने वाली चाय आती है दूर दार्जिलिंग की पहाड़ियों से निकल कर। अपनी ठंडी वादियों और चाय के बागों के लिए मशहूर भारत के पश्चिम बंगाल का एक नगर है दार्जिलिंग। अगर आप घूमने के शौकीन हैं और इन गर्मियों में सफर का मज़ा लेने किसी हिल स्टेशन पर जाना चाहते हैं, तो दार्जिलिंग आपके लिए ही है।
वो कहते है न पहाड़ों में हरियाली और ठंडे वातावरण के बीच गर्मी की छुट्टियां मनाने का मज़ा ही अलग है। इसके लिए हर साल लोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशनों पर जाते हैं। लेकिन, अगर इस बार शिमला मनाली, देहरादून और मसूरी के अलावा आप किसी अलग जगह जाना चाहते हैं, तो दार्जिलिंग बेहतरीन विकल्प है। यहां परिवार, दोस्तों के साथ तो जा ही सकते हैं, वहीं अगर सोलो ट्रिप पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो भी दार्जिलिंग में वक्त बिताना आपको ज़रूर पसंद आएगा। दार्जिलिंग को हम सब अब तक सिर्फ चाय के बागों के लिए ही जानते हैं पर दार्जिलिंग में अपनी इस खासियत के अलावा भी बहुत कुछ है।
तो चलिए हम सोलवेदा के साथ जानते हैं कि दार्जिलिंग में हम और कहां-कहां घूम सकते हैं और अपनी छुट्टियों का पूरा मज़ा कैसे ले सकते हैं। लेकिन, इससे पहले थोड़ी बात दार्जिलिंग की खासियत पर भी कर लेते हैं।
दिल छू जाएगा दार्जिलिंग का मौसम (Dil chhoo jayega Darjeeling ka mausam)
गर्मियों में दार्जिलिंग का मौसम हल्का ठंडा और सुहाना होता है। इस मौसम में आप दार्जिलिंग में सुकून भरी छुट्टियां बिता सकते हैं। दार्जिलिंग में पर्यटकों के आने का कारण यहां का मौसम भी है। दार्जिलिंग में कभी भी तेज़ गर्मी नहीं पड़ती। यहां गर्मियां हल्की और सुखद होती हैं। वसंत और शरद ऋतु घूमने के लिए सबसे अच्छे मौसम हैं। इन दो मौसमों में अद्भुत दर्शनीय स्थलों की यात्रा करना बहुत खास अनुभव देता है।
क्यों है दार्जिलिंग इतना खास? (Kyun hai Darjeeling itna khas?)
लघु हिमालय पर्वतमाला में 6,710 फीट की ऊंचाई पर स्थित दार्जिलिंग पर्यटकों को स्वर्ग का अनुभव कराता है। दार्जिलिंग में पर्यटक चाय बागानों और विशाल मठों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। जबकि चाय के बाग सांस्कृतिक व्यवसाय है और मठ बौद्ध धार्मिक महत्व के हैं। वसंत और शरद मौसम में पूरी तरह से खिले हुए रोडोडेंड्रोन के फूल और साफ नीले आसमान के साथ, दार्जिलिंग निश्चित रूप से ‘पहाड़ियों की रानी’ के अपने लेबल पर कायम नज़र आता है। आइए अब जानते हैं दार्जिलिंग के टूरिस्ट प्लेस के बारे में।
दार्जिलिंग के चाय के बागान
एक समय दार्जिलिंग अपने मसालों के लिए जाना जाता था और अब चाय के लिए ही दार्जिलिंग विश्व स्तर पर जाना जाता है। यहां मौजूद हर एक चाय उद्यान का अपना-अपना इतिहास है। इसी तरह हर एक चाय उद्यान की चाय की किस्म भी अलग-अलग होती है। दूर-दूर तक फैले हरी चाय के खेत ऐसे लगते हैं जैसे ज़मीन पर हरी चादर फैली हो। दार्जिलिंग की खूबसूरत वादियों की स्वच्छ हवा और साफ आसमान के सुंदर दृश्य देखकर सैलानियों का मन गदगद हो जाता है।
टाइगर हिल
दार्जिलिंग में टाइगर हिल से क्षितिज पर उगते सूरज को देखना, आपके लिए एक ऐसी याद छोड़ जाएगा जो आपके मन में हमेशा बनी रहेगी। उगते सूरज की खूबसूरत नारंगी छटा के साथ-साथ, आप राजसी कंचनजंगा की मनोरम तस्वीर भी देख सकते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ों पर पड़ती गुलाबी धूप बहुत मनमोहक लगती है और धरती पर स्वर्ग का एहसास कराती है। टाइगर हिल दार्जिलिंग से लगभग 11 किलोमीटर दूर है और समुद्र तल से 8482 फीट की ऊंचाई पर है। आस-पास के क्षेत्र प्राकृतिक वन भंडार हैं।
दार्जिलिंग रॉक गार्डन
दार्जिलिंग के मुख्य शहर से लगभग 10 किमी दूर एक रॉक गार्डन है जो चुन्नू समर फॉल्स के आस-पास बनाया गया है। इसमें कई स्तर हैं और पूरी तस्वीर दूर से बिल्कुल अद्भुत दिखती है। झरना चट्टानी ढलानों से नीचे गिरता है जो देखने में किसी फिल्म के सुंदर दृश्य की तरह लगता है। यहां हर स्तर पर अच्छी तरह से रख-रखाव किए हुए बगीचे और बेंच भी हैं।
बतासिया लूप या टॉय ट्रेन
दार्जिलिंग टॉय ट्रेन के बारे में तो आपने भी सुना होगा। दार्जिलिंग से लगभग 5 किमी दूर, बतासिया लूप एक अच्छे और सुंदर बगीचे के चारों ओर एक गोलाकार रेलवे ट्रैक है। यह उद्यान 50,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें फूलों वाले कई पौधे लगे हुए हैं। यह ‘घूम स्टेशन’ के बेस पर स्थित है। इस ट्रैक पर दार्जिलिंग टॉय ट्रेन एक लूप पर चलती है और इसी से इस जगह का नाम पड़ा। टॉय ट्रेन की सवारी सच में बहुत मनमोहक होती है और यही दार्जिलिंग में पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थान है।
इस जगह के पीछे एक ऐतिहासिक तथ्य है। बतासिया लूप विशेष रूप से ‘घूम स्टेशन’ पर पहुंचने के बाद टॉय ट्रेन को धीरे-धीरे नीचे उतरने के लिए एक नरम ढलान के रूप में काम करने के लिए बनाया गया था। पहले, ढलान 100 फीट थी और इतनी खड़ी थी कि टॉय ट्रेन आराम से नहीं चढ़ पाती थी। आज यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक केंद्र है। टॉय ट्रेन के बगीचे से माउंट कंचनजंगा और अन्य हिमालय पर्वतमाला के अविश्वसनीय दृश्यों की वजह से यह पर्यटकों की रुचि का स्थान है। टॉय ट्रेन को उभरते बादलों के बीच से निकलते हुए और इलाके के कोमल मोड़ों पर जाते हुए देखना भी एक शानदार दृश्य है।
इसके अलावा दार्जिलिंग में ढेरों ऐसी जगह हैं यहां जाकर आप दार्जिलिंग के खुमार को सिर से उतार नहीं पायेंगे। तो फिर देर किस बात की? चलिए इन गर्मियों को दार्जिलिंग की ठंडी वादियों में गुज़ारे।
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