आजकल योग हर किसी की जुबान पर है। लेकिन जितनी तेजी से योग लोकप्रिय हो रहा है, उतनी ही तेजी से इससे जुड़ी गलतफहमियां/मिथ भी फैल रही हैं। कई लोग सोचते हैं कि योग सिर्फ बुज़ुर्गों के लिए होता है। कुछ को लगता है कि अगर शरीर लचीला नहीं है, तो योग करने का कोई मतलब ही नहीं है। किसी के लिए योग बस एक धार्मिक गतिविधि है, तो किसी को लगता है इससे वज़न कम नहीं होता, इसलिए जिम ही बेहतर है।
योग को लेकर लोगों के मन में कई तरह के मिथ हैं और यही बातें उन्हें योग की असली ताकत से दूर रखती हैं। लेकिन सच तो यह है कि योग एक ऐसा अभ्यास है जो आपके शरीर और मन दोनों को संतुलन में लाने का काम करता है। ये किसी उम्र, धर्म या शरीर की सीमा में बंधा नहीं है।
तो आइए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Day of Yoga) के अवसर पर हम योग से जुड़े मिथ क्या हैं और उनकी सच्चाई के बारे में जानें। साथ ही हम योग के फायदे के बारे में भी बताएंगे।
योग से जुड़े मिथ और उनकी सच्चाई (Yog se jude myth aur unki sacchai)
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग सिर्फ बुज़ुर्गों के लिए है?
अक्सर हम सोचते हैं कि योग सिर्फ सिर्फ बुज़ुर्गों के लिए है। लेकिन, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। योग हर उम्र के लोगों के लिए है। बच्चे, युवा, प्रेग्नेंट महिलाएं इन सभी के लिए अलग-अलग तरह के योग अभ्यास हैं। इसे शरीर की ज़रूरत और क्षमता के अनुसार ढाला जा सकता है।
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग करने के लिए शरीर का लचीला होना ज़रूरी है?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। लचीलापन योग की शुरुआती शर्त नहीं बल्कि परिणाम होता है। जब आप योग नियमित रूप से करते हैं, तो धीरे-धीरे शरीर खुलता है, मांसपेशियां स्ट्रेच होती हैं।
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग से वज़न कम नहीं होता?
योग सिर्फ पसीना बहाने वाली एक्सरसाइज नहीं है, ये अंदर से आपके मेटाबॉलिज्म को ठीक करता है, हार्मोन्स को बैलेंस करता है और स्ट्रेस कम करता है। सही डाइट के साथ किया जाए तो योग से वज़न भी घटाया जा सकता है।
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग एक धार्मिक प्रैक्टिस है?
योग की जड़ें भारत की संस्कृति में ज़रूर हैं, लेकिन अब यह किसी एक धर्म से जुड़ा नहीं है। यह एक साइंटिफिक पद्धति है, जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। आज पूरी दुनिया धर्म से परे योग अपना रही है।
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग का मतलब बस ध्यान लगाना है?
ध्यान योग का एक हिस्सा है, लेकिन योग सिर्फ ध्यान नहीं है। इसमें शारीरिक आसन, सांस की विधियां, नैतिक मूल्यों का पालन और खुद को बेहतर समझने की यात्रा शामिल होती है।
योग से जुड़े प्रश्न – क्या योग के लिए बहुत समय चाहिए?
हर दिन 15-20 मिनट भी अगर ठीक से योग किया जाए, तो असर दिखता है। हर कला की तरह इसमें भी करने की ट्रिक मायने रखती है, लंबा समय नहीं।
योग करने के फायदे (Yog karne ke fayde)
जब भी हम फिटनेस की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में जिम, डाइट प्लान और वज़न कम करने की बातें आती हैं। लेकिन फिटनेस का असली मतलब सिर्फ शरीर नहीं होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर होना भी उतना ही ज़रूरी है। और इसी बैलेंस का नाम है योग।
योग सिर्फ आसन करने या ज़मीन पर बैठने की कोई पुरानी विधा नहीं है। ये एक जीने का तरीका है, जो आपके शरीर, दिमाग और भावनाओं, तीनों को एक साथ बेहतर बनाता है।
हर दिन की भाग–दौड़ और टेंशन भरे माहौल में योग एक ब्रेक की तरह है। सिर्फ 15-20 मिनट के आसन और प्राणायाम से दिमाग शांत होता है।
योग आपकी नींद की क्वालिटी सुधारता है। जो लोग अनिद्रा या बेचैनी से परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत असरदार होता है।
साथ ही साधारण दिखने वाले आसन धीरे-धीरे मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और शरीर को लचीला बनाते हैं। वहीं, कुछ खास योगासन जैसे वज्रासन, भुजंगासन आदि पेट और आंतों पर असर डालते हैं, जिससे पाचन अच्छा होता है। साथ ही शरीर के अंदरूनी सिस्टम बैलेंस में आते हैं।
तो इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग को अपने जीवन में नियमित रूप से शामिल ज़रूर करें। इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।