एंग्जायटी

स्ट्रेस और एंग्जायटी को आसानी से मैनेज करने के 10 तरीके

स्ट्रेस की हालत में बैठकर सोचते रहना ज़्यादा नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में बस जूते पहनिए और 10-15 मिनट वॉक पर निकल जाइए।

आज कल की ज़िंदगी दौड़-भाग वाली हो गई है। इसमें हम इतने ज़्यादा उलझ गए हैं कि स्ट्रेस और एंग्जायटी हमारी रोज़मर्रा की साथी बन गई है। छोटी-छोटी चीज़ों पर घबराहट होना, दिल का तेज़ धड़कना, या बार-बार नेगेटिव सोच आना अब आम बात हो गई है।

ऑफिस का प्रेशर हो, रिश्तों की टेंशन या फिर भविष्य की चिंता, हर किसी को किसी न किसी रूप में ये महसूस होता है। पर सोचिए, अगर आपको कुछ आसान और असरदार तरीके मिल जाएं, जिनसे आप इस स्ट्रेस और एंग्जायटी को खुद से दूर रख सकें, तो कितना अच्छा हो? ज़रूरी नहीं कि हर बार दवाओं का सहारा लिया जाए या किसी बड़े एक्सपर्ट के पास जाया जाए। कभी-कभी छोटी-छोटी आदतें और सिंपल टेक्नीक्स ही बड़ा असर दिखाती हैं।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको स्ट्रेस और एंग्जायटी को आसानी से कैसे मैनेज कर सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे।

स्ट्रेस और एंग्जायटी को आसानी से मैनेज करने के तरीके (Stress aur anxiety ko aasani se manage karne ke tareeke)

सांसों पर ध्यान दें

जब भी बहुत टेंशन में हों, तो एक पल के लिए रुकें और गहरी सांस लें। नाक से धीरे-धीरे सांस अंदर लें, 4 सेकंड रोकें और फिर मुंह से धीरे-धीरे बाहर निकालें। ये आसान सी प्रक्रिया है, लेकिन इसका असर बहुत बड़ा होता है। शरीर और दिमाग दोनों शांत होने लगते हैं।

वॉक करें और घर से बाहर निकलें

स्ट्रेस की हालत में बैठकर सोचते रहना ज़्यादा नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में बस जूते पहनिए और 10-15 मिनट वॉक पर निकल जाइए। अगर म्यूजिक के साथ वॉक करें तो और अच्छा। चलने से शरीर एक्टिव होता है और दिमाग का भारीपन भी कम हो जाता है।

जो चीज़ काबू में नहीं, उसे जाने देना सीखिए

कई बार हम उन चीज़ों को लेकर परेशान रहते हैं जिन पर हमारा कोई कंट्रोल ही नहीं होता। जैसे, लोग क्या सोचते हैं, भविष्य में क्या होगा वगैरह। ऐसे में खुद से एक सवाल पूछिए, क्या मैं इसे बदल सकता हूं? अगर जवाब नहीं है, तो उसे छोड़ना ही बेहतर है।

ना कहना शुरू करें

कभी-कभी हम दूसरों को खुश करने के चक्कर में खुद पर ज़रूरत से ज़्यादा बोझ ले लेते हैं। अगर आप थके हुए हैं या किसी चीज़ को करने का मन नहीं है, तो ना कहने में कोई बुराई नहीं। ये सेल्फ-केयर का एक अहम हिस्सा है।

पूरी नींद लें

नींद पूरी नहीं होने पर दिमाग खुद-ब-खुद चिड़चिड़ा और परेशान हो जाता है। हर दिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद ज़रूरी है। सोने से पहले फोन और टीवी से दूरी बना लें और कोई हल्की किताब पढ़ें या म्यूजिक सुनें। इससे नींद भी अच्छी आएगी।

डिजिटल डिटॉक्स करें

फोन, सोशल मीडिया हमेशा चलाने से आपके दिमाग को कभी आराम नहीं मिलता। हफ्ते में एक दिन या दिन में कुछ घंटे फोन से दूरी बना लें। बाहर देखें, अपनों से बात करें या अपने मन की कोई चीज करें।

डायरी लिखें

कभी-कभी मन में इतना कुछ होता है कि बस उसे बाहर निकालना ज़रूरी होता है। आप चाहें तो डायरी में सब कुछ लिख सकते हैं, क्या महसूस हो रहा है, क्या सोच रहे हैं। या फिर किसी भरोसेमंद दोस्त से बात कर सकते हैं। मन हल्का हो जाएगा।

छोटी-छोटी चीज़ों के लिए शुक्रगुज़ार बनें

हर दिन खुद से पूछिए, आज कौन सी 3 चीजों के लिए मैं शुक्रगुज़ार हूं। ये आदत धीरे-धीरे आपकी सोच को पॉजिटिव बनाएगी। जितना ज़्यादा आप अच्छी चीज़ों पर ध्यान देंगे, उतना कम स्ट्रेस होगा।

कुछ नया सीखने की कोशिश करें

जब हम कुछ नया सीखते हैं, जैसे गिटार, पेंटिंग, खाना बनाना या कोई कोर्स, तो हमारा ध्यान नेगेटिव बातों से हटता है। साथ ही, हमें एक नई खुशी मिलती है। कुछ बनाने या सीखने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है और दिमाग फ्रेश हो जाता है।

मदद लेने में शर्म ना करें

अगर स्ट्रेस और एंग्जायटी लंबे समय से बनी हुई है और खुद से संभालना मुश्किल हो रहा है, तो किसी थेरेपिस्ट या काउंसलर से बात करना बिल्कुल ठीक है। ये कोई कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है। जैसे बुखार होने पर डॉक्टर के पास जाते हैं, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य (Mental Wellbeing) का भी इलाज होता है।

इस आर्टिकल में हमने आपको स्ट्रेस और एंग्जायटी को मैनेज करने के तरीके बताए। यह आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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