सोते समय बच्चों को कहानियां सुनना कितना है फायदेमंद, जानें

हम सभी ने बचपन में अपने माता-पिता और दादा-दादी से कहानियां सुनने की ज़िद की है। सोते समय की कहानी सुनने का वो दौर हर किसी के लाइफ में काफी यादगार लम्हा होता है। पर शायद तब हमें यह पता नहीं था कि इन कहानियों ने हमारे दिमाग में क्या असर डाला और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण कैसे किया।

सोते समय की कहानी बच्चों पर काफी असर डालती है। राजीव ने अपने चार साल के बच्चे को सोते समय जो कहानियां सुनाई उनमें से खासकर एक कहानी बाकियों से ज़रा हटकर थी। यह कहानी उस वीर योद्धा की थी, जिसने उस सुंदर राजकुमारी को बचाया था, जिसे पहाड़ियों पर स्थित किले में बंदी बनाकर रखा गया था। आज जब उसने अपने बेटे को समुद्र तट पर रेत के किले बनाते देखा, तो उसे  अपने बेटे की नीली आंखों में वही साल भर पहले की चमक नज़र आई, जब राजीव ने उसे राजकुमारी की कहानी सुनाते हुए देखी थी।यह देखते ही राजीव भी अपनी पुरानी यादों में खो गया। जब राजीव छोटा था, तो उसके पिताजी उसे परियों, देवताओं, सभ्यताओं, राजाओं और उनकी भव्य विजय यात्राओं के अलावा दूसरे आकर्षक विषयों पर भी कहानियां सुनाया करते थे। बाद में उसने यह अनुभव किया कि बतपन के उन वर्षों के दौरान सुनाई गई वे कहानियां जीवन में कितना प्रभाव डालने वाली थीं।

मूल्यों पर आधारित उन कहानियों ने केवल राजीव के व्यक्तित्व को ही आकार नहीं दिया, बल्कि उसे अधिक अभिव्यक्त करने वाला भी बनाया व उसकी अच्छी तरह से पढ़ने व लिखने की योग्यता को भी विकसित किया। अब एक पिता के रूप में राजीव अपने पिता की ही तरह सोते समय कहानी सुनाने की विरासत को आगे बढ़ाना चाहता था। वह अपने बेटे को वह सब उपहार में देना चाहता था, जो कुछ उसने वर्षों पहले अपने पिता से प्राप्त किया था। जब वह कहानी सुनाने की बारीकियों का अध्ययन करने बैठा, तो वह उन सब कहानियों के बारे में सोच रहा था, जिन्होंने कभी उसे रुलाया था, प्रेरित किया था व प्रभावित किया था। उसने निर्णय किया कि आने वाली गर्मियों का मौसम इस कार्य को प्रारम्भ करने के लिए सबसे ज़्यादा अच्छा रहेगा, जिसमें वो अपने बच्चे को रात में सोते समय कहानी सुना पाएगा।

अच्छी कहानी सभी को पसंद होती है। किसी कहानी का आनंद लेने के लिए आपको बच्चा बनने की आवश्यकता नहीं होती। हम सभी ने कभी ना कभी अपने माता-पिता अथवा दादा-दादी को कहानियां सुनाने के लिए परेशान किया होगा। पर हमें इसके बारे में बहुत थोड़ा मालूम है कि उन कहानियों ने हमारे दिमाग पर क्या प्रभाव डाला और कैसे उन्होंने हमारे व्यक्तित्व को आकार दिया। राजीव की इस खोज को और आगे बढ़ाने के लिए सोलवेदा ने कहानी सुनाने की दुनिया को खंगालने व यह जानने का निर्णय लिया कि सोते समय कहानी सुनाने का यह संसार किसी बच्चे के जीवन का अभिन्न अंग कैसे बन सकता है।

एक-दूसरे से बातचीत करने व जानने—हचानने के लिए संवाद सबसे कारगर तरीका है। सोते समय कहानी सुनना-सुनाना, अभिभावकों और उनके बच्चों के बीच संबंधों को और अधिक मज़बूत बनाने में मदद करता है। प्रसिद्ध कहानीकार जेफ गेयर ने सोलवेदा को बताया, “शुरुआत, क्लाइमेक्स और निष्कर्ष के रूप में हमारा दिमाग वास्तव में हर चीज़ को कहानी के रूप में ही प्रस्तुत करता है। इसी तरह हम अपने रोज़मर्रा के काम करते हैं।” गेयर इस बात पर ज़ोर देकर कहते हैं कि कहानियां स्थानीय होती हैं। हम हर जगह कहानी की तलाश करते हैं। अगर कहीं किसी जगह कहानी नहीं मिली, तो हम खुद ही कोई कहानी बना लेते हैं। बच्चों में तो यह और भी अधिक होता है। कहानी के रूप में हर चीज़ अधिक आनंददायक होती है और आसानी से समझ में आती है।

सोते समय कहानी सुनाकर आप इसके जरिए कई तरह के विचार उत्पन्न कर सकते हैं और बच्चे की कल्पना को पंख लगा सकते हैं। कहानी बच्चे के संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ाकर मस्तिष्क को तुरंत क्रियाशील बनाती है। उदाहरण के लिए जब आप किसी बच्चे को बताते हैं कि राजकुमार की त्वचा कोमल थी, तो बच्चा राजकुमार व उसकी कोमलता को लेकर खुद के कल्पनालोक में सोचने लगता है।

इस तरह हमारा दिमाग भी काफी तेज़ है। जब कोई किसी बच्चे को सोते समय कहानी सुनाता है, तो बच्चा उसमें अधिक गंभीर रूप से खो जाता है क्योंकि वह खुद को कहानी का हीरो समझने लगता है। काल्पनिक अवस्थाओं को हकीकत व खुद से जुड़ा हुआ समझने लगता है। फिर चाहे वे किताबें हों, चित्र हों या कविताएं – कहानी के सभी पात्र बच्चों की स्वयं को समझने में सहायता करते हैं। गेयर कहते हैं, “कहानियां बच्चों को दूसरों के कष्ट को बांटना सिखाती हैं। यह कार्य और कारण का डीएनए बंधन है। यदि हम अपने मन में कहानियों को स्थान नहीं देंगे, तो हम अपने आने वाली पीढ़ी को सोते समय कहानी कैसे सीखा पाएंगे।

इसके अलावा जब आप किसी बच्चे को सोते समय कहानी सुनाते हैं, तो वह इसमें छिपी नैतिक शिक्षा को शायद ही कभी कोई भूलता है। सोते समय कहानी सुनने से बच्चे के मस्तिष्क में वो कहानी छप सी जाती हैं। हर बार कहानी जैसी दशा में बच्चा सही तरीके से कार्य व निर्णय लेगा। गेयर कहते हैं, “बुरा आदमी अधिक समय तक नहीं ठहरता और अंत में अच्छे आदमियों की ही जीत होती है। ये शिक्षा जीवनभर के लिए हैं।“

सोते समय कहानियां सुनने से कभी-कभी बड़ी-बड़ी समस्याओं को सुलझा देती हैं, जैसे चिड़चिड़ेपन। गेयर एक शरारती बच्चे का वाक्या शेयर करते हैं, जिसने अपने अभिभावकों को कांटा (फोर्क) भोंक दिया था। इस बच्चे को एक बाल मनोविज्ञानी के पास लाया गया। मनोविज्ञानी ने उससे पूछा, तुम अपने अंदर मौजूद उस छोटे से गुस्सैल बंदर को अपना जीवन क्यों नियंत्रित करने देते हो? जब तुम्हारे अभिभावक या कोई और, कुछ ऐसा करते हैं, जो तुम्हें पागल कर देता है, तो तुम्हारे अंदर का वह गुस्सैल बंदर तुमसे मूर्खता भरे जंगली काम करवाता है। तुम उस क्रोधरूपी बंदर को दूर हटने, एक कोने में बैठने व सही समय का इंतजार करने के लिए क्यों नहीं कहते। तुमने तो बंदर के साथ बंदर जैसा व्यवहार किया। गेयर कहते हैं कि तब से मनोविज्ञानी को उस परिवार की ओर से ऐसी किसी घटना की सूचना नहीं मिली।

हमारा जीवन भी एक कहानी की तरह है। क्या तुम अपने को बदलना नहीं चाहते? क्या तुम अलग तरह से नहीं जीना चाहते? यदि तुम किसी से कहो कि आपके अंदर नए चारित्रिक पात्रों को लिखने की योग्यता है, कुछ आश्चर्यजनक करने की योग्यता है और अपनी जीवन-कथा को बदलने की योग्यता है, तो उन पर इसका स्थायी प्रभाव पड़ेगा और वे ज्यादा अच्छे के लिए परिवर्तन लाएंगे। कहानियां जीवनभर हमारे साथ रहती हैं। आइए! हम सब कुछ स्मरणीय कहानियां लिखें