हंसना, रोना, प्यार, गुस्सा जैसे भावों को तो हम सब ही समझते हैं। हर भाव से संबंधित स्थिति पर हम वही भाव व्यक्त भी करते हैं। पता है हम ऐसा कैसे कर पाते हैं? हम सही भाव व्यक्त करने में इसलिए सफल होते हैं क्योंकि हमारे पास भावनात्मक बुद्धि या भावात्मक बुद्धि है। जी हां जैसे- दुखी होने पर रोना, गुस्सा करना, और कुछ अच्छा होने पर हंसना या खुशी महसूस करना ये सब भावात्मक बुद्धि से ही संभव हो पाता है। भावात्मक बुद्धि मानव दिमाग की सबसे ज़रूरी शक्ति है। भावात्मक बुद्धि खुद में और दूसरों में भावनाओं को पहचानने, उनके भावों को समझने और उस ज्ञान के आधार पर हमारे विचारों को व्यक्त करने की क्षमता है।
भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोग दूसरों के साथ बेहतर ढंग से घुलते-मिलते हैं और ज़्यादा हमदर्दी रखने वाले और दयालु होते हैं, इसलिए उनके सफल होने की संभावना ज़्यादा होती है। इसके साथ ही भावनात्मक बुद्धि हमें हमारे भावों पर काबू करना भी सिखाती है। एक अच्छी बुद्धि वाला व्यक्ति अच्छी सफलता पा सकता है, लेकिन उसके लिए हमें किसी एक भाव के अतिरेक में आकर सब कुछ खराब करने से बचना होता है, भावनात्मक बुद्धि यानी इमोशनल इंटेलिजेंस (emotional intelligence in hindi) इसी बचाव का काम करती है।
जब हम किसी भी भाव को बेहतर तरीके से समझ और व्यक्त कर पाते हैं, तो ये दो लोगों के बीच की बातचीत को गहराई से बांध देता है, जिससे हम दूसरों के साथ घुल-मिल कर ज़िंदगी जी सकते हैं। भावनात्मक बुद्धि हर चुनौती से लड़ने और कठिन समय में भी धैर्य रखने की समझ है। जब हम चुनौतियों का डट कर सामना करते हैं और समझदारी दिखाते हैं तो ये हमारे लिए किसी भी क्षेत्र में तरक्की के रास्ते खोल देता है।
हमारी समझदारी, भाव व्यक्त करने और समझने की क्षमता, हमें एक सफल इंसान की तरह उभरने में बहुत मदद करती है। भावनात्मक तौर पर मजबूत लोग दूसरों की तुलना में एक अच्छा जीवन जीते हैं, उनके रिश्ते मजबूत होते हैं, वो दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखते हैं। अपने विचारों को खुल कर व्यक्त कर पाते हैं और अपने जीवन में सफलता पा लेते हैं।
भावनात्मक बुद्धि का महत्व (Bhawnatmak buddhi ka mahatva)
जब जीवन में खुशी और सफलता की बात आती है, तो इक्यू (Emotional quotient) भी आईक्यू (Intelligence Quotient) जितना ही मायने रखता है। हम अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता के ज़रिए मजबूत रिश्ते बना सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता हमें समझदार इंसान बनाने, स्कूल और काम में सफलता दिलाने और अपने करियर और व्यक्तिगत लक्ष्यों को पाने में मदद कर सकती है। साथ ही, ये हमें अपनी भावनाओं से जुड़ने, अपने इरादों पर काम करने और अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों के लिए सही फैसले करने में मदद कर सकती है। इसलिए हर व्यक्ति के जीवन में भावनात्मक बुद्धि बहुत मायने रखती है।
भावनात्मक बुद्धि के प्रकार (Bhawnatmak buddhi ke prakar)
भावनात्मक बुद्धिमत्ता की आमतौर पर चार प्रकार होते हैं:
स्व-प्रबंधन (Self-management)
स्व-प्रबंधन, किसी के जीवन की ज़िम्मेदारी लेने और खुद को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने की प्रक्रिया है। यानी स्व-प्रबंधन में हम हमारी भावनाओं की ज़िम्मेदारी लेते हैं, कि जो व्यवहार हमने दिखाया है, वो हमारी खुद की इच्छा थी। इसमें हम खुद की भलाई के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। स्व-प्रबंधन में लक्ष्य तय करना, उन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काम करना और रास्ते में आगे बढ़ते रहने की कोशिश करना शामिल है। इसका मतलब फ्लेक्सिबल होना और परिस्थितियों के साथ व्यवहार करना है और अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए ज़रूरी कामों पर फोकस करना है।
आत्म-जागरूकता (Self-awarness)
जब हम आत्म-जागरूक होते हैं, तो हम अपनी ताकत और कमजोरियों की जानकारी के साथ-साथ परिस्थितियों और लोगों पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में भी जानते हैं। ये जानकारी हमें अपनी हदें तय करने और दूसरों के साथ हमारी बातचीत को इस तरह व्यवस्थित करती है, जो समाजिक नियमों के आधार पर हो। इसके अलावा, जब हम खुद को अच्छी तरह से जानते हैं, तो हम दूसरों पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकते हैं, क्योंकि हम दूसरे व्यक्ति के भावों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और हम उनकी उम्मीदों के हिसाब से ही उनसे बात करते हैं। तो आत्म-जागरूक होकर, हम अपने और अपने जीवन को उन तरीकों से बेहतर बनाने पर काम कर सकते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद हों।
सामाजिक जागरूकता (Social Awareness)
भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोग ये सामाजिक कौशल दिखाते हैं कि वे वास्तव में दूसरों की परवाह करते हैं और उनका सम्मान करते हैं और उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। हम सब एक समाज में रहते हैं, जहां के नियमों को मानना हमें बचपन से ही सिखाया जाता है। भावनात्मक बुद्धि हमारे अंदर सामाजिक जागरूकता विकसित करती है, ताकि हम दूसरों के साथ नैतिक, और सूझबूझ से भरा व्यवहार कर सकें और एक सामाजिक नागरिक के रूप में उनके बीच घुल-मिल सकें।
संबंध प्रबंधन (Relationship Management)
संबंध प्रबंधन दूसरों के साथ एक सकारात्मक संबंध बनाने और लंबे वक्त तक उस संबंध को बनाए रखने की प्रक्रिया है। दूसरों के साथ एक सकारात्मक संबंध बनाने से हम उनकी भावनाओं को समझ पाते हैं, उनके ज़रिए अपने लक्ष्यों को पा लेते हैं। सकारात्मकता संबंध, भावनात्मक बुद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि अपनी पूरी ज़िंदगी में हम अलग-अलग लोगों से मिलते हैं, दोस्ती करते हैं और कई बार तो हमें उनके साथ रहना भी पड़ता है। ऐसे में सकारात्मक रिश्ता बनाने का ये गुण हमारी ज़िंदगी को थोड़ा आसान बना देता है। इसके ज़रिए हम दूसरों को खुश रख पाते हैं।
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