सच्ची दोस्ती

सच्ची दोस्ती कर सकती है अकेलेपन को दूर

अकेलेपन से निजात पाने के तरीके सबके लिए एक-जैसे ही होते हैं और इन तरीकों में सबसे पहले आता है -किसी का साथ। एक सच्चा दोस्त या साथी हमारी सौ परेशानियों का इलाज होता है। एक सच्ची दोस्ती ही हमारे अकेलेपन को दूर कर सकती है।

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत-सी घटनाएं या हालात ऐसे बन जाते हैं, जिनके चलते हम खुद को बहुत तन्हा या अकेला महसूस करने लगते हैं। ऐसी परिस्थितियां चाहे जितनी साधारण दिखे, पर हमारे दिमाग पर इनका बहुत गहरा असर पड़ता है। ऐसे ही हालात हमें गहरे अकेलेपन और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों की तरफ ले जाते हैं। हालांकि, यह ज़रूरी नहीं कि हम सबको एक जैसी ही बातें या हालात अकेलापन महसूस कराएं। ऐसा इसलिए ज़रूरी नहीं, क्योंकि हर व्यक्ति पर अलग-अलग परिस्थितियां अलग-अलग तरीके से असर करती हैं।

हालांकि, अकेलेपन से निजात पाने के तरीके सबके लिए एक-जैसे ही होते हैं और इन तरीकों में सबसे पहले आता है -किसी का साथ। एक सच्चा दोस्त या साथी हमारी सौ परेशानियों का इलाज होता है। एक सच्ची दोस्ती ही हमारे अकेलेपन को दूर कर सकती है। आइए सोलवेदा के साथ जानते हैं सच्ची दोस्ती कैसे हमारे अकेलेपन को दूर कर सकती है और अकेलेपन से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें।

अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य पर डालता है प्रभाव (Akelapan mansik swasthya par dalta hai prabhav)

बीते दिनों हम सबने भंयकर महामारी का सामना किया। उस दौर में लोग घरों में कैद हो गये थे और कुछ जो बिल्कुल ही अकेले थे। किसी का साथ न होना, कोई ऐसा व्यक्ति अपने पास न होना, जिससे हम अपना सुख-दुख बांट सकें, हमें गहरे अकेलेपन के अंधेरे में ढकेल देता है। बहुत बार दूसरों से अपने मन की न कह पाना और ऐसा महसूस करना कि जो हम पर बीत रही है, उसे कोई और नहीं समझ सकता, हमें लोगों के साथ रहकर भी अकेलेपन का शिकार बना देता है। जिससे हम धीरे-धीरे लोगों से मिलना-जुलना और बातें करना ही बंद कर देते हैं। ऐसी परिस्थिति हमें बहुत कमज़ोर और असहाय बना देती है। इससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental wellbeing) पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे हम चारों ओर से नकारात्मक विचारों और व्यवहारों से घिर जाते हैं। हमारा अकेलापन, अवसाद, चिंता और तनाव जैसी मानसिक बीमारियों का कारण बन जाता है।

ऑटोफोबिया है अकेले रहने का डर (Autophobia in Hindi)

ऑटोफोबिया को हिंदी में ‘अकेले रहने का डर’ कहा जा सकता है। एक ऐसा डर जब व्यक्ति इस बात से घबराए कि किसी दिन सब उससे दूर न हो जाएं या वो दुनिया में एक अकेला ऐसा न रह जाए जिसके पास उसका अपना कोई नहीं है।

यह एक मानसिक बीमारी है। जब इंसान के अंदर अकेले रहने का‌ डर ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाए, तो या तो व्यक्ति खुद ही दूसरों से दूरी बनाने लगता है कि उनके दूर होने से पहले ही वह खुद ही उन्हें छोड़ दें या दूसरों पर ज़रूरत से ज़्यादा हक जताने लगता है, जिससे सामने वाला व्यक्ति झुंझला जाता है। हर मानसिक विकार को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है, ऑटोफोबिया को भी। अगर आप भी अपने अंदर इस मानसिक विकार के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो अपने नज़दीकी डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं।

सच्ची दोस्ती से दूर होगा अकेले रहने का डर (Sachhi dosti se door hoga akele rahne ka dar)

अकेलेपन को दूर करना है, तो एक सच्चे दोस्त को ढूंढ लें या किसी और के अकेलेपन को दूर करने के लिए एक सच्चे दोस्त की भूमिका निभाएं। यह बात मैं नहीं कह रही, यह मनोविशेषज्ञों का मानना है कि एक सच्चा दोस्त अकेलेपन को दूर करने की सबसे बेहतर दवाई साबित हो सकता है।

जब हम किसी के साथ अपनी गहरी से गहरी बात, बिना झिझके बड़ी आसानी से कह पाते हैं, और हम उस पर पूरा भरोसा कर पाते हैं कि उस शख्स से हमें कोई नुकसान नहीं है, तो उससे हमारी गहरी दोस्ती हो जाती है। सच में! हर किसी के पास एक ऐसा सच्चा साथी ज़रूर होना चाहिए कि जब भी हम अकेला महसूस करें, तो वो आकर हमारे कंधे पर साथ और विश्वास से भरा हाथ रख दें और हमारे जीवन से अकेलेपन के गहरे बादल को हटा कर खुशियां भर दे। तो फिर चलिए कोई ऐसा दोस्त बना लेते हैं या किसी का अकेलापन दूर करने के लिए खुद ही ऐसे दोस्त बन जाते हैं।

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