सबका ध्यान रखने वाले पिता के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें?

हम अक्सर मां की थकान, उनके दर्द और उनके भावनात्मक उतार-चढ़ाव को समझने की कोशिश करते हैं और बिल्कुल करना भी चाहिए, लेकिन वही संवेदनशीलता हम पापा के लिए क्यों नहीं दिखा पाते?

पिता, एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही ज़िम्मेदारियों की एक लंबी फेहरिस्त आंखों के सामने घूमने लगती है। सुबह सबसे पहले उठना, सबकी ज़रूरतें पूरी करना, ऑफिस की भाग–दौड़, बच्चों की पढ़ाई की चिंता, घर का खर्चा, बुजुर्गों की सेहत और हर छोटे-बड़े फैसले की ज़िम्मेदारी। ये सारा बोझ सिर पर लिए पिता डटे रहते हैं। लेकिन क्या कभी हमने सोचा कि इन सब के बीच, पिता को घबराहट, चिंता, अकेलापन का सामना भी करना पड़ता है?

हम अक्सर मां की थकान, उनके दर्द और उनके भावनात्मक उतार-चढ़ाव को समझने की कोशिश करते हैं और बिल्कुल करना भी चाहिए। लेकिन वही संवेदनशीलता हम पापा के लिए क्यों नहीं दिखा पाते? वो जो हमेशा “मैं ठीक हूं” कहकर मुस्कुरा देते हैं, क्या वाकई वो ठीक होते हैं? कोई ये नहीं पूछता कि उनकी नींद पूरी हो रही है या नहीं, दिल की बातें किससे करते हैं या क्या उन्हें भी कभी मदद की ज़रूरत पड़ती है?

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस (International Father’s Day) के अवसर पर हम पिता के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रख सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे। साथ ही पापा को खुश करने का तरीका भी जानेंगे।

कैसे रखें पापा को खुश और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान (Kaise rakhein Papa ko khush aur unke maansik swasthya ka dhyan)

बात करके

पिता को सिर्फ हुक्म देने वाला या सिर्फ कमाने वाला न समझें। कभी बैठकर बस उनसे बात करें। उनसे उनके बारे में पूछें। उनकी परेशानियों के बारे में बात करें, जिससे उनके मन का बोझ हल्का हो। पापा का मानसिक स्वास्थ्य इस तरीके से बेहतर रखा जा सकता है।

अकेले न छोड़ें

पिता अक्सर परिवार के लिए इतना व्यस्त हो जाते हैं कि खुद अकेले पड़ जाते हैं। यह उनके मेंटल हेल्थ के लिए सही नहीं है। कोशिश करें कि फैमिली डिस्कशन में, बाहर घूमने में, त्योहारों की प्लानिंग में, उन्हें शामिल करें। उन्हें लगे कि वो सिर्फ कमाने वाले नहीं हैं बल्कि घर की खुशी का भी हिस्सा हैं।

उनके शौक को दोबारा ज़िंदा करें

क्या बचपन में उन्हें गाना पसंद था? क्रिकेट या पेंटिंग? थोड़ा वक्त निकालकर उनके पुराने शौक दोबारा जगाएं। हफ्ते में एक दिन उनके साथ कुछ ऐसा करें, जो उन्हें अच्छा लगे। बचपन की अच्छी यादें हमारे मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखती हैं।

उनकी ना को समझें

कई बार पिता मना करते हैं, पैसे के लिए, बाहर जाने के लिए या किसी फैसले के लिए। उस ना के पीछे सिर्फ ज़िम्मेदारी नहीं, मन का तनाव भी हो सकता है। उन्हें सुनें और समझने की कोशिश करें।

थैंक्यू बोलें

थैंक्यू बोलना थोड़ा फिल्मी लगता है, लेकिन असर करता है। एक बार दिल से कहकर देखें, आपका एक शब्द उनकी सालों की दिमागी थकान को मिटा सकता है।

समझें पापा की वो बातें जो अक्सर वे कहते नहीं (Samjhein papa ki wo baatein jo wo aksar kahte nahi)

14 जून को अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस मनाया जाता है। लेकिन पिता के लिए सिर्फ एक दिन सीमित नहीं है। हालांकि, इस एक दिन पर उनके बारे में और उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में गहराई से सोचा ज़रूर जा सकता है। पापा को खुश करना सीधे तौर पर उनके बेहतर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़ा हुआ है। उन्हें खुश रखना मुश्किल नहीं है, बस हमें यह समझना होगा कि उनकी खुशी दिखावे या बड़े तोहफों में नहीं छुपी होती, वो छुपी होती है हमारी छोटी-छोटी बातों, समझदारी और अपनेपन में।

उन्हें समय देकर भी आप उन्हें अच्छा महसूस करा सकते हैं। अक्सर हम सब अपने-अपने काम में इतने बिजी हो जाते हैं कि पापा के साथ बैठकर बात करना भी कम हो जाता है। उन्हें तो बस इतना चाहिए कि आप उनके पास बैठें, हालचाल पूछें, दो बातें करें, यही उनके लिए सबसे बड़ी खुशी होती है।

वहीं, उनपर ध्यान देना भी बहुत ही ज़रूरी है। कभी अगर वो चुप हो जाएं, तो उनसे पूछें कि वो क्या चाहते हैं। कभी उनकी पुरानी यादों को ताज़ा करें। कभी कोई पुरानी फोटो दिखाएं या उनके बचपन के किस्से सुनें। कभी सरप्राइज दें। कभी कोई गिफ्ट, कभी एक छोटा-सा थैंक्यू नोट या उनका फेवरेट खाना बना दें या फिर उनकी पसंद की मूवी लगाकर उनके साथ बैठ जाएं।

आर्टिकल पर अपना फीडबैक कमेंट में ज़रूर दें। इसी तरह की और भी जानकारी और सुझाव के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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