ओवरथिंकिंग

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ओवरथिंकिंग के नुकसान

बहुत सोचने की आदत आपके आस-पास की दुनिया के साथ जुड़ने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। ओवरथिंकिंग आपको वर्तमान समय का आनंद लेने से भी रोकता है।

किसी घटना या किसी पुरानी बात को क्या आप बार-बार याद करते हैं? क्या आप लगातार ऐसी चीज़ों के बारे में सोचते हैं, जिन्हें आप कंट्रोल नहीं कर सकते हैं? अगर हां तो आप अकेले नहीं है। दरअसल, आजकल इस दौड़ती-भागती लाइफ में हर कोई स्ट्रेस में जी रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है ज़रूरत से ज़्यादा सोचना। हालांकि, हर इंसान का सोचना इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस बात को अधिक महत्व देता है।

क्या आपको पता है कि ओवरथिकिंग की आदत आपकी सेहत को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। बहुत सोचने की आदत आपके आस-पास की दुनिया के साथ जुड़ने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। ओवरथिंकिंग आपको वर्तमान समय का आनंद लेने से भी रोकता है।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको रोज़मर्रा की ज़िंदगी में चिंतन के नुकसान के बारे में बताते हैं। इसके अलावा आप यह भी जानेंगे कि किस तरह से आप ज़रूरत से ज़्यादा सोचने से बच सकते हैं।

ओवरथिंकिंग सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान (Overthinking sehat ko pahuncha sakti hai nuksan)

कुछ लोग हमेशा अलग-अलग बातों पर सोचते रहते हैं। दूसरों की तुलना में ऐसे लोगों का दिमाग कभी शांत नहीं रहता है। ज़्यादा सोचने से सेहत पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। हम जब भी ज़्यादा सोचते हैं, तो दिमाग पर प्रेशर बढ़ता है, जो हमारे हेल्थ को प्रभावित करता है। वहीं, ज़्यादा सोचने का असर हमारे दिमाग के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। इससे नींद की भी समस्या होती है। आइए देखते हैं ज़रूरत से अधिक सोचने से हमारी सेहत पर किस तरह से बुरा प्रभाव पड़ता है।

ओवरथिंकिंग के स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव:

डिप्रेशन का हो सकते हैं शिकार

जब भी हम ज़्यादा सोचते हैं, तो हमारे दिमाग पर इसका असर पड़ता है। यहीं से शुरू होती है डिप्रेशन की बीमारी। ज़्यादा सोचने से ब्रेन स्लो हो जाता है और इसकी सोचने की क्षमता काफी कम हो जाती है। यह हमें अकेला कर देता है और हमारे दुख को काफी बढ़ा देता है। इसके बढ़ने से हम डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।

एंग्जाइटी और पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का खतरा

कहीं न कहीं एंग्जाइटी और पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की बीमारी ओवरथिंकिंग से ही जुड़ी हुई है। हम जब भी ज़्यादा सोचते हैं, तो हमें डर लगता है और घबराहट भी होती है। ये जब गंभीर रूप ले लेता है, तो ये हमारे आज और आने वाले कल को भी प्रभावित करता है। इससे हम एंग्जाइटी और पर्सनैलिटी डिसऑडर का शिकार भी हो सकते हैं।

नींद से जुड़ी हो सकती हैं बीमारियां

हम जब भी ज़्यादा सोचते हैं तो हम नींद की बीमारियों से प्रभावित हो जाते हैं। इससे होता ये है कि हमारा दिमाग रेस्ट मोड में चला जाता है। लगातार अलग-अलग तरह के विचार आने से हम परेशान हो जाते हैं और नींद की समस्या शुरू हो जाती है। इससे नींद से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं। एक बार नींद की समस्या हो गई, फिर हर वक्त इंसान नींद लाने के उपाय तलाशता रहता है।

ज़्यादा चिंतन से हाई बीपी की भी हो सकती है समस्या

ओवरथिंकिंग से हाई बीपी की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। वहीं, तनाव में रहने के कारण शरीर में हार्मोन का प्रोडक्शन भी कम हो जाता है। इससे दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इससे धीरे-धीरे इंसान हाई बीपी का शिकार हो सकता है।

ओवरथिंकिंग से कैसे बचें? (Overthinking se kaise bachein?)

ओवरथिंकिंग एक बीमारी से ज़्यादा एक आदत है। इसे धीरे-धीरे वक्त से साथ सुधारा जा सकता है। इसके लिए आप अपनी लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लेकर आ सकते हैं। ओवरथिंकिंग से बचने के लिए आप सबसे पहले खुद को सही कामों में व्यस्त रखना शुरू करें जिससे आपको फायदा हो। काम ऐसे चुनें जिसमें दिमाग लगाना पड़े, ताकि दिमाग को ज़्यादा सोचने का वक्त न मिले। इसके अलावा आप जब भी ओवरथिंक करें, खुद को किसी चीज़ में व्यस्त कर लें, जैसे टहलने में, किताब पढ़ने में, कोई अच्छी फिल्म देखने में आदि। इन सब से बेहतर है कि आप योग का अभ्यास करना शुरू करें। खासतौर से माइंडफुल मेडिटेशन पर ध्यान दें। ये आपकी ज़रूरत से ज़्यादा सोचने की आदत को ठीक करने में आपकी मदद करेगा।

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