लंबा जीवन

लंबा जीवन चाहते हैं तो नींद से जुड़े ये 9 मिथ आज ही जान लें

नींद को लेकर एक मिथ है कि हमें 8 घंटे की नींद हर हाल में लेनी चाहिए, जबकि सच ये है कि हर इंसान की नींद अलग होती है। अलग-अलग उम्र में नींद के घंटे भी अलग हो सकते हैं।

अच्छी सेहत का राज़ अच्छे खानपान के साथ, बढ़िया और गहरी नींद में भी छुपा है। हम जितना सोते हैं और जितनी शांति से सो पाते हैं, उतना ही स्वस्थ और लम्बा जीवन जी पाते हैं। हम में से बहुत से लोग जब पूरे दिन के काम से थक कर रात को अपने बिस्तर पर आते हैं तो तुरंत सो जाने की बजाय फोन पर कोई मूवी या सोशल मीडिया स्क्रॉल करने में अपना समय बिता देते हैं, देर रात तक जागने के बाद सुबह फिर से जल्दी उठ कर अपने कामों में लग जाते हैं। इससे न केवल आंखें थक जाती हैं और रात की नींद खराब होती है बल्कि शरीर को भी पूरा आराम नहीं मिल पाता।

मैंने बहुत से लोगों को कहते सुना है कि उन्हें देर रात तक जाग कर सुबह जल्दी उठने में कोई परेशानी नहीं होती, और वो फ्रेश माइंड से अपने काम को कर पाते हैं। वहीं, दूसरी ओर, कुछ लोग ये भी कहते हैं कि वो रात को जल्दी सोते हैं फिर भी सुबह उठने में उन्हें परेशानी होती है, और खुद को थका हुआ महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि नींद को लेकर एक मिथ है कि हमें 8 घंटे की नींद हर हाल में लेनी चाहिए, जबकि सच ये है कि हर इंसान की नींद अलग होती है। अलग-अलग उम्र में नींद के घंटे भी अलग हो सकते हैं। लेकिन 8 घंटे का सुझाव दिया जाता है ताकि कोई ज़रूरत से कम न सोए। यही वजह है कि कुछ लोग कम सोने पर भी फ्रेश महसूस करते हैं।

नींद से जुड़े और भी कई मिथ हैं, जिनके बारे में चलिए सोलवेदा पर जानते हैं। और साथ ही जानेंगे पर्याप्त नींद लेने के फायदे क्या हैं।

अच्छी नींद से होता है लम्बा जीवन (Achhi neend se hota hai lamba jeevan)

अच्छी नींद हमें स्वस्थ और लंबा जीवन देती है। अच्छी नींद दिल को स्वस्थ रखती है, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा कम करती है। सोते वक्त हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, जो बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी नींद ज़रूरी है, क्योंकि नींद तनाव और एंग्जायटी को कम करती है।

नींद वजन को कम रखने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाती है। यह याददाश्त को मजबूत करती है और ध्यान केंद्रित करने की ताकत बढ़ाती है। ऐसा माना जाता है कि लगातार और गहरी नींद लेने वाले लोग लम्बा जीवन जीवन जीते हैं। अच्छी नींद केवल आराम नहीं बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली की नींव है।

चलिए जानें नींद से 9 जुड़े मिथ (Chaliye janein neend se jude 9 myths)

मिथ है कि हर किसी को चाहिए 8 घंटे की नींद

नींद को लेकर ये मिथ है कि हर किसी को 8 घंटे सोना चाहिए। लेकिन सच ये है कि हर इंसान की नींद की ज़रूरत अलग होती है। किसी के लिए 6 घंटे काफी होते हैं, तो किसी को 9 घंटे की नींद चाहिए होती है। वहीं नवजात शिशु को लगभग 14 से 17 घंटों की नींद चाहिए होती है। ज़रूरी ये है कि नींद अच्छी और गहरी हो।

मिथ ये है कि सोने से पहले मोबाइल देखना बुरा नहीं है

सच ये है कि मोबाइल या टीवी की नीली रोशनी हमारी नींद खराब कर सकती है। ये हमारे दिमाग को एक्टिव रखती है, जिससे सोने में दिक्कत हो सकती है।

मिथ ये है कि दिन में सोने से रात की नींद खराब होती है

सच ये है कि अगर हम दिन में 20-30 मिनट की झपकी ले लें, तो इससे हमारे दिमाग और शरीर को ताज़गी मिलती है, और इससे रात की नींद पर कोई असर नहीं होता। हालांकि, खाना खाने के तुरंत बाद न सोएं, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता।

मिथ ये है कि सोने से पहले एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए

हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे स्ट्रेचिंग या योग हमारी नींद को बेहतर बना सकती है, और शारीरिक तौर पर हमें स्वस्थ (Wellbeing) रख सकती है।

मिथ ये है कि खर्राटे लेना नॉर्मल है

सच ये है कि लगातार खर्राटे लेना किसी बीमारी, जैसे स्लीप एपनिया का इशारा हो सकता है। इसे हल्के में न लें।

मिथ ये है कि सभी को जल्दी सो जाना चाहिए

हर व्यक्ति की नींद का पैटर्न अलग हो सकता है। कुछ लोग जल्दी सोने और जल्दी उठने में आराम महसूस करते हैं, और कुछ देर से सोते और जागते हैं। लेकिन एक रूटीन फॉलो करना और थोड़ा जल्दी सोना फायदेमंद हो सकता है।

मिथ ये है कि जब तक थकान न हो, तब तक सोना मुश्किल होता है

सच ये है कि हर व्यक्ति को सोने के लिए अपना एक रूटीन बनाना चाहिए, और उसी को रोज़ लागू करना चाहिए। भले ही तुरंत नींद न आए, पर ऐसा करने से दिमाग और शरीर को आराम मिलता है।

मिथ ये है कि बुजुर्गों को कम नींद की ज़रूरत होती है

जबकि सच ये है कि उम्र बढ़ने के साथ सोने का समय नहीं, बल्कि आराम से सोना मुश्किल होता है। बुजुर्गों को भी उतनी ही नींद चाहिए जितनी एक युवा व्यक्ति को। आमतौर पर एक बुजुर्ग को भी 7 से 8 घंटे की नींद चाहिए होती है।

मिथ ये है कि वीकेंड पर ज़्यादा सोने से नींद की कमी पूरी हो जाती है

सही समय पर सोना और जागना बेहतर है। वीकेंड पर ज़्यादा सोने से हमारी नींद का रूटीन बिगड़ सकता है। हमें रोज़ ही आराम की ज़रूरत होती है, एक दिन सोकर बाकी दिनों की थकान नहीं मिटाई जा सकती।

नींद से जुड़े इन मिथ की सच्चाई पर अपना फीडबैक हमें ज़रूर दें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।

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