काम को कल पर टालने की आदत कैसे है बुरे मानसिक स्वास्थ्य की ओर इशारा?

काम में टालमटोल की आदत हमें हमारे खराब आत्मविश्वास के बारे में बताती है। यानी अगर हम काम को कल पर टाल रहें हैं तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं हमें खुद पर विश्वास नहीं करते हैं।

आपने वो मुहावरा तो ज़रूर सुना होगा कि “कल करे सो आज कर, आज करे सो अब…” ये पंक्ति हमें समय का महत्व तो बताती ही है, साथ ही, टालमटोल की बुरी आदत को छोड़कर वक्त पर काम निपटा देने की सलाह भी देती है। हम में से ऐसे बहुत से लोग हैं जो आलस की वजह से अपने काम में टालमटोल करते रहते हैं और जब काम खत्म करने की डेडलाइन नज़दीक आ जाती है तो घबराहट में आकर जैसा तैसा काम करके काम को जल्द खत्म करने की कोशिश करते हैं।

टालमटोल करके जल्दबाज़ी में किया गया काम न केवल मानसिक दबाब देता है, बल्कि खराब प्रदर्शन भी दिखाता है। क्या आप भी टाल देते हैं कामों को कल के भरोसे? अगर हां तो ये आर्टिकल आपके लिए है है। आलस में पड़कर काम को डाल देना बिल्कुल सही नहीं है। क्या आप ये जानते हैं कि टालमटोल करने की आदत हमारे खराब मानसिक स्वास्थ्य की तरफ इशारा करती है? अगर नहीं तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

काम का आलस कैसे भगायें? (Kaam ka aalas kaise bhagayein?)

काम में थोड़ा टालमटोल तो हर कोई करता है, पर अगर आपको हर बार हर काम को करने में आलस आता है और ये टालमटोल आपके लिए नुक्सान खड़े कर सकती है। तो आज ही जान लीजिये काम के आलस को भगाने के तरीके। काम का आलस दूर करने के लिए सबसे पहले हर रोज़ अपना लक्ष्य याद करें और सोचें कि इस काम का आपके जीवन में क्या महत्व है या ये काम आपकी कैसे मदद कर रहा है। जब आप अपने मकसद को समझ लेते हैं, तो काम करने की इच्छा बढ़ती है।

बड़े काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें, ताकि एक साथ सारा काम बोझ जैसा न लगे। शुरुआत में हल्के और आसान काम से शुरुआत करनी चाहिए, इससे आपका मन काम में लगेगा और धीरे-धीरे सब काम निपट जायेंगे। इसके अलावा, काम करते वक्त बीच-बीच में छोटे-छोटे ब्रेक लें। इससे आपका दिमाग तरोताज़ा रहेगा और थकान भी कम महसूस होगी।

एक काम खत्म होने पर खुद को शाबाशी दें जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, और आगे के कामों में मन लगेगा।

खुद को धीरे-धीरे हर दिन आदत डलवाएं कि थोड़ी देर के लिए सही लेकिन फोकस से काम करें। जब आप ऐसा लगातार करेंगे, तो काम में मन लगने लगेगा और आलस कम होता जाएगा।

बुरे मानसिक स्वास्थ्य की ओर इशारा करती है काम को टालने की आदत (Bure mansik swasthya ki our isara karti hai kaam ko taalne ki aadat)

काम को बार-बार कल पर टालने की आदत अक्सर बुरे मानसिक स्वास्थ्य (Mental wellbeing) की ओर इशारा करती है, चलिए जानें कैसे।

डिप्रेशन या स्ट्रेस

जब हम किसी काम को टालते हैं, तो उसके पीछे कई बार मानसिक थकान, तनाव, या आत्म-संदेह जैसी वजहें होती हैं। लगातार ऐसा होने पर डॉक्टर से ज़रूर मिलें।

खुद को कम आंकना

काम में टालमटोल की आदत हमें हमारे खराब आत्मविश्वास के बारे में बताती है। यानी अगर हम काम को कल पर टाल रहें हैं तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं हमें खुद पर विश्वास नहीं है।

मानसिक बोझ बढ़ता है

यह आदत मानसिक बोझ को भी बढ़ाती है, क्योंकि टाले गए काम की चिंता हमारे दिमाग पर बनी रहती है। जिससे हम न खुद पर ध्यान दे पाते हैं और न अपने करिबियों पर।

गुस्सा और झुंझलाहट

काम को कल पर टालने से, जब काम करने की बारी आती है तब हमें वक्त की कमी लगती है, जिससे हमें गुस्सा आता है, और हम झुंझला जाते हैं। ऐसे में हम खुद पर नियंत्रण भी खोने जैसा महसूस करने लगते हैं और धीरे-धीरे उदासी, चिंता, और नकारात्मकता की ओर बढ़ जाते हैं।

इसलिए, हमें अपने काम कल पर नहीं टालने चाहिए। टालमटोल की इस आदत को पहचानना और इससे बाहर निकलने की कोशिश करना बहुत ज़रूरी है।

योग और मेडिटेशन फोकस रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। इससे धीरे-धीरे आप अनुशासित भी होंगे। समय पर काम पूरा करने की कोशिश मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार हो सकती है, क्योंकि इससे आत्म-विश्वास बढ़ता है और तनाव भी कम होता है।

आर्टिकल पर अपना फीडबैक कमेंट में ज़रूर दें। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।