खुश रहने की दवा

एक चम्मच खुशी सुबह, दोपहर, शाम: कैसे रखेगी आपके तन और मन का ध्यान?

सुबह की चाय की पहली घूंट, बच्चे की हंसी, खिड़की से आती ठंडी हवा, ये सब आपके दिन की ‘पहली चम्मच खुशी’ बन सकते हैं।

सुबह की शुरुआत अगर मुस्कान से हो, तो दिन का आधा बोझ वैसे ही हल्का हो जाता है। सोचिए, अगर हर सुबह आपको थोड़ी सी खुशी मिल जाए, वो भी बिना कोई कीमत चुकाए हुए, तो कितना अच्छा रहेगा। खुशी आपके आस-पास की छोटी-छोटी बातों में छिपी हुई है।

सुबह की चाय की पहली घूंट, बच्चे की हंसी, खिड़की से आती ठंडी हवा, ये सब आपके दिन की ‘पहली चम्मच खुशी’ बन सकते हैं। दोपहर में थकान ज़्यादा हो, दिमाग उलझन में हो, तो एक छोटा-सा ब्रेक लेकर किसी दोस्त से हंसी-मज़ाक कर लेना या अपना पसंदीदा गाना सुन लेना, ये आपकी ‘दूसरी चम्मच खुशी’ बन सकती है। ये छोटी-छोटी चीज़ें दिमाग को फिर से रिचार्ज कर देती हैं, जैसे हम मोबाइल को चार्ज करते हैं।

शाम को जब दिन भर की थकान के बाद आप खुद को समय देते हैं, परिवार के साथ बैठकर हंसते-खेलते हैं या बालकनी में बैठकर चाय की चुसकी के साथ सूरज ढलते देखते हैं, तो यह ‘तीसरी चम्मच खुशी’ हो सकती है। ये छोटी-छोटी चीज़ें खुश रहने की दवा की तरह है, जो आपके तन और मन को वो ताकत देती है, जो कई मायने में असरदार होती है।

असल में खुशी कोई मेहनत से मिलने वाली चीज़ नहीं होती; ये हर रोज़ के उन पलों में होती है, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। अगर हमें सुबह, दोपहर और शाम एक-एक चम्मच खुशी मिल जाए, तो तन स्वस्थ और मन हल्का रहेगा। यही लंबी और स्वस्थ ज़िंदगी जीने का सबसे आसान और सस्ता नुस्खा है।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको हैप्पीनेस हैपेन्स डे (Happiness Happens Day) के अवसर पर एक चम्मच खुशी सुबह, दोपहर, शाम: कैसे रखेगी आपके तन और मन का ध्यान, इसके बारे में बताएंगे। साथ ही दिन भर खुश रहने का तरीका क्या–क्या है, इसके बारे में भी जानकारी देंगे।

सुबह की एक चम्मच खुशी तय करती है दिन की दिशा (Subah ki ek chammach khushi tay karti hai din ki disha)

हम में से ज़्यादातर लोग सुबह नींद खुलते ही मोबाइल उठाते हैं। न्यूज, नोटिफिकेशन, चिंता, इसके साथ ही दिमाग में पहुंच जाती है। इसके बाद हमारा पूरा दिन स्ट्रेस में बीतता है। लेकिन एक बार सोच कर देखिए कि अगर आप सुबह की शुरुआत किसी खुशनुमे पल से करें, जैसे खिड़की से झांकती धूप को महसूस करना, अपने पालतू जानवर को प्यार करना या एक प्याली चाय के साथ मां–पिताजी से दो मिनट की बातचीत करना तो मन सुबह-सुबह बेहतर रहेगा। ये छोटे-छोटे पल ही हैं खुश रहने की दवा। इससे ना सिर्फ आपका मूड ठीक होता है, बल्कि आपका दिमाग पूरे दिन के लिए पॉजिटिव और शांत रहता है।

दोपहर की एक चम्मच खुशी दूर करती है थकावट (Dopahar ki ek chammach khushi door karti hai thakawat)

दोपहर आते-आते दिन की भागदौड़ हमें थका देती है। तब ज़रूरत होती है और एक चम्मच खुशी की, जो हमें फिर रिचार्ज कर दे। शायद वो आपकी पसंदीदा म्यूजिक प्लेलिस्ट हो, किसी दोस्त को बिना वजह कॉल करना या दोपहर के खाने में मां के हाथ का बना कुछ स्पेशल खाना। यह पल हमें याद दिलाते हैं कि ज़िंदगी सिर्फ काम और तनाव नहीं है, बल्कि खुशियों का इंवेस्टमेंट करना भी है।

शाम की एक चम्मच खुशी से मिटती है दिन की थकान (Shaam ki ek chammach khushi se mitati hai din ki thakan)

जब सूरज ढलता है और हम घर लौटते हैं, तब हमारे पास होता है दिन का जमा हुआ अनुभव, जो थोड़ा अच्छा भी होता है, तो थोड़ा बुरा भी। ऐसे में अगर आप खुद को थोड़ा समय दें, जैसे बच्चों के साथ खेलें, बालकनी में बैठकर चाय पिएं, अपनी डायरी में दिन की बातें लिखें, तो वो आपकी शाम की एक चम्मच खुशी बन सकती है। शाम को खुशी से गुज़ारने का मतलब है कि रात में बढ़िया नींद और अगली सुबह सुबह पॉजिटिव एनर्जी के साथ उठना।

आर्टिकल आपको कैसी लगा हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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