इन दिनों इंटरनेट (Internet) पर वीडियो वायरल है। यह एक ऐसे लड़के का वीडियो है, जो फर्श पर पोछा लगा रहा है। वह लड़का कुछ सुनता है और फ्रेम से बाहर हो जाता है। फिर कुछ सेकेंड के बाद एक लड़की एक अजीब-सी डरावनी आवाज़ के साथ वहां आती है। यह वीडियो क्लासिक ‘डरावनी लड़की जो चीखती है’ तकनीक के साथ आता है। यह उतना डरावना तो नहीं है पर फिर भी यह एक बार तो आपको हिलाकर रख ही देगा। कितना कुछ है जो हमें डराता है जैसे छिपकली, अंधेरा, कीड़े, ऊंचाई, अजनबी आदि। यह अंजाना डर किसी असली बात से ही उपजता है और इसे बताया जा सकता है, समझाया जा सकता है और सही भी ठहराया जा सकता है।
मगर स्थिति तब बिगड़ती और खराब होती है जब यह अंजाना डर कुछ नहीं का होता है, एक भ्रम का डर और इसे संविभ्रम या पैरानोया कहते हैं।
पैरानोया को हम चिंता के साथ जोड़कर देख सकते हैं, मगर ये दोनों चीज़ें अलग-अलग हैं, पैरानोया (paranoia) एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें परेशानी या तो किसी शक के साथ आती है, एक अंजाना डर होता है या फिर इसमें ऐसा लगता है कि कोई उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। इसके सही-सही कारण तो पता नहीं हैं, मगर डॉक्टर इसके कारणों में आनुवांशिकता, सिर पर चोट, कोई पुराने और खराब अनुभव या लगातार शोषण होना बताते हैं।
भरोसा न करना, अंजाना डर, ज्यादा संवेदनशील होना, दुश्मनी, आधारहीन संदेह और माफ करने में कठिनाई आदि इसके आम लक्षणों में शामिल हैं। यह स्थिति एक मानसिक बीमारी जैसे पैरानॉयड सिज़ोफ्रेनिया (paranoid schizophrenia), पैरानॉयड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर और भ्रम विकार का भी लक्षण होती है। पैरानोया से पीड़ित होने वाले लोग यह मानते हैं कि दूसरे आकर उन्हें निशाना बना सकते हैं और मार सकते हैं। निराशावादियों की तरह वे भी संसार को एक नकारात्मक तरीके से ही देखते हैं, पैरानोया से पीड़ित लोग दुनिया में सब बुरा ही देखते हैं, वे कल्पना करते रहते हैं और लगातार अंजाने डर से डरते रहते हैं, गुस्सा करते हैं और बस यही सोचते हैं कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है। इसके साथ ही वे अतिसंवेदनशील होते हैं, तनावग्रस्त रहते हैं और अक्सर गुस्से में रहते हैं, उदाहरण के लिए जब कुछ लोग हंस रहे होते हैं, तो पैरानोया से पीड़ित लोग यह सोच लेते हैं कि ये दुनिया वाले उन्हीं पर हंस रहे हैं।
इस बीमारी के साथ रहना सरल नहीं है। किसी भी व्यक्ति को यह बीमारी होने पर नौकरी करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, उसे समाज में रहने और रिश्ते बनाए रखने में कठिनाई आती है। जब वह लगातार गुस्से और अंजाने डर की गिरफ्त में रहता है, तो वह मानसिक रूप से और परेशान हो जाता है, हालांकि कई लोग इस स्थिति में होने के बावजूद भी अच्छा कर जाते हैं।
सही उपचार या संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी के बिना इस स्थिति से बाहर आना बहुत जटिल हो जाता है, पैरानोया को वैकल्पिक पद्धतियों के द्वारा नियंत्रण में रखा जा सकता है।
पहली स्थिति होती है, इसे स्वीकार करना। जो इससे पीड़ित हैं वे नकारात्मक विचारों के बारे में न सोचकर खुद पर ही ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।वे ऐसे विरोधी दृश्यों के बारे में सोच सकते हैं जिनमें उन्हें शिकार बनाया जा रहा है, वे जुनूनी विचारों की पुष्टि कर सकते हैं और खुद का ध्यान भंग कर सकते हैं।
अधिकतर मामलों में, जो पैरानॉयड व्यवहार से पीड़ित हैं, वे या तो अपनी स्थितियों को स्वीकारते नहीं हैं या फिर वे अनभिज्ञ होते हैं। यहीं पर परिवार और दोस्त उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं। वडोदरा की मनोवैज्ञानिक तिश्या महिन्द्रू शाहनी कहती हैं, “हालांकि इस बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से बहस करना एक बेकार का काम है, फिर भी यह सलाह दी जाती है कि मरीज़ों के विचारों को जहां तक संभव हो वहां तक दबाने एवं रोकने का प्रयास किया जाए।”
शाहनी आगे कहती हैं कि यह ज़रूरी है कि घटनाओं की श्रृंखला, अनुभव, भावनाएं और उन फ़ैसलों को देखा जाए जिनके कारण यह संदेहास्पद विचार पैदा हुए हैं। मरीज़ को यह अनुभव करने की आवश्यकता होती है कि उनकी समस्याओं को कोई गंभीरता से ले रहा है। पैरानोया से पीड़ित मरीज़ों के साथ काम करने वाले थेरेपिस्ट को अपने मरीजों को यह समझाना होगा कि इन अनुभवों के कारण होने वाले तनाव को स्वीकारें और साथ ही उन्हें यह भी समझाना होगा कि जो भी खतरा है वह असली नहीं है। जहां एक तरफ इसका बचाव संभव नहीं है, वहीं दूसरी ओर इससे निपटने के लिए कई तरीके हैं।
अंतिम सलाह है कि पैरानोया का इलाज शुरू करने से पहले, इसकी पुष्टि की जानी चाहिए।