डॉक्टर हमारी जिंदगी में बहुत ही जरूरी होते हैं। बचपन से लेकर बूढ़े होने तक, हमारी सेहत का सबसे ज्यादा ख्याल डॉक्टर ही तो रखते हैं। डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है। किसी के जन्म के लेकर, किसी के चले जाने तक, डॉक्टर जिंदगी के हर पड़ाव में हमारे साथ खड़े होते हैं, हमारा और हमारे चहेतों का ख्याल रखते हैं। हम सभी को अपने बचपन वाले वो डॉक्टर जरूर याद होंगे, जिनके पास हम अपनी हर परेशानी लेकर जाया करते थे। धीरे-धीरे डॉक्टर कब हमारे परिवार का एक खास हिस्सा बन जाते हैं, हमें पता भी नहीं चलता।
बड़ी-बड़ी बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टर, हमें स्वस्थ रखने के लिए खुद की जिंदगी में कई त्याग करते हैं। कई बड़ी-बड़ी बीमारियों की आज दवा है, इलाज है, क्योंकि न जाने कितने डॉक्टर्स ने इसके पीछे अपना खून-पसीना बहाया है। यही नहीं बल्कि कोरोना के वक्त, जब हम सब उम्मीद हारने लगे थे, तब भारत के इन्हीं जाबाज डॉक्टर्स ने अन्य देशों के डॉक्टर्स की मदद से, इस भयानक बीमारी की वैकसीन बनाई। आज भी अगर हम कोरोना से उबरकर चैन की सांस ले रहें हैं तो इसका पूरा श्रेय डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स को जाता है।
डॉक्टर्स के इसी समर्पण और मेहनत के लिए, उनके सम्मान में हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor’s Day in Hindi) मनाया जाता है। आइए जानते हैं डॉक्टर दिवस को मनाने की पीछे की कहानी क्या है, इस दिन का खास महत्व क्या है और राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस कब मनाया जाता है।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल भारत में जुलाई की पहली तारीख को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस यानि नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। हर साल इंडियन डॉक्टर एसोसिएशन, देश में इस खास दिन के लिए कार्यक्रम का आयोजन करती है। हर साल इस कार्यक्रम का थीम अलग-अलग रखा जाता है। वैसे दुनिया-भर में डॉक्टर्स के लिए एक खास दिन रखा गया है, लेकिन अलग-अलग देशों में डॉक्टर्स डे मनाए जाने की तारीख भी अलग-अलग है।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाए जाने का इतिहास क्या है?
भारत में डॉक्टर दिवस मनाने की शुरुआत बी.सी.रॉय के कारण हुई थी। बी.सी.रॉय यानि डॉ. बिधान चंद्र रॉय, का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इलाज करने के अलावा डॉक्टर बी.सी.रॉय ने चिकित्सा जगत में काफी योगदान दिया। उनके इसी योगदान को याद करते हुए देश में 1 जुलाई 1991 से राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। 4 फरवरी 1961 को उन्हें देश के बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी नवाजा गया। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के दिन चिकित्सा, विज्ञान, दर्शन, साहित्य और कला जगत में काम करने वाले लोगों को भी डॉक्टर बी.सी.रॉय पुरुस्कार से नवाजा जाता है।
डॉक्टर दिवस का महत्व है?
डॉक्टर चाहे दांत के हो या दिल के, उनका होना कितना जरूरी है, यह बीमार पड़ने वाला इंसान ही समझ सकता है। लोग अक्सर ऊपर वाले से पहले धरती के भगवान से उम्मीद करते हैं। कोरोना के वक्त न जाने कितने डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज करते-करते अपनी जान गंवा दी।
किसी भी इमरजेंसी केस में आधी रात को उठकर भी उन्हें अस्पताल भागना पड़ता है। किसी बच्चे का जन्म अच्छे से हो जाए और मां और बच्चा सुरक्षित रहे, यह पूरी तरह से डॉक्टर की जिम्मेदारी बन जाती है। उनके कंधों का बोझ हमें नजर नहीं आता, क्योंकि वे अपना काम पूरी शिद्दत से करते हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व है, उनकी इस हिम्मत, लगन, मेहनत और त्याग के प्रति संवेदनशील होना, उनका सम्मान करना और एक दिन उनके नाम कर के, उन्हें दिल से शुक्रिया कहना।
डॉक्टर्स से मिलते वक्त क्या रखें ध्यान में?
जैसे पापा हमें उंगली पकड़कर घुमाते हैं तो हम सारी चिंता उनपर छोड़ देते हैं ठीक वैसे ही जब हम अस्पताल पहुंचते हैं तो हम सारी चिंता डॉक्टर पर छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। डॉक्टर बॉर्डर पर हमारी रक्षा नहीं करते हैं, लेकिन अपनी जान की परवाह किए बगैर हमारे बीच रहकर हमारी जान बचाते हैं।
लेकिन, अक्सर कई लोग गुस्से में या दुख में डॉक्टर्स के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। इसलिए अगली बार से आप जब भी डॉक्टर से मिलें तो याद रखें कि वो भी आपकी मदद करना चाहते हैं, मगर वो भी आपकी तरह एक इंसान हैं।
डॉक्टर से न रखें कोई शर्म
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग शर्म के कारण डॉक्टर को किसी बीमारी या किसी स्थिति के बारे में पूरी जानकारी नहीं देते हैं। इसके बाद स्थिति और बिगड़ने पर डॉक्टर की गलती मान लेते हैं। याद रखें, डॉक्टर के हर सवाल का जबाव सही दें ताकि वो भी आपकी सही ढंग से मदद कर पाएं।
करें अच्छा व्यवहार
हो सकता है आप या आपका कोई अपना तकलीफ में हो, लेकिन डॉक्टर पर क्रोध में चिल्लाने और तोड़-फोड़ करने से कुछ नहीं मिलेगा। हो सकता है डॉक्टर भी आपके व्यवहार को देखकर आपकी मदद न करना चाहे। उनसे जब भी मिलें, विनम्र होकर बात करें और उनकी बात भी ध्यान से सुनें।
अगर वो करते हैं आपकी मदद तो थैंक्यू कहना न भूलें
हो सकता है आपकी मदद करने के लिए आपके डॉक्टर आधी रात को आपके पास आएं या फिर अपना कोई जरूरी काम छोड़कर आपको टाइम दें। अगर वो आपके लिए एक्स्ट्रा टाइम निकाल सकते हैं तो आप भी उन्हें दिल से शुक्रिया तो कह ही सकते हैं।
किसी भी डॉक्टर को कम न समझें
अक्सर आपको सुनने को मिलेगा कि ‘वो डॉक्टर नहीं डेन्टिस्ट है!’ यह कई लोगों के लिए एक जोक है मगर दांतों के दर्द से परेशान रहने वाला व्यक्ति ही डेन्टिस्ट की अहमियत को समझेगा। हर डॉक्टर जरूरी है चाहे वो एक जेनरल फीजीशियन हो, डेन्टिस्ट हो या फिर एक सर्जन। यहां तक की चिकित्सा जगत में काम करने वाला हर इंसान मायने रखता है। हमें सबका सम्मान करना चाहिए क्योंकि वो हमारी सेहत के लिए मेहनत कर रहे होते हैं।
आज आपने जाना राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस और समाज में चिकित्सक के अहमियत के बारे में। ऐसे ही खास दिन के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।