प्रकृति से जुड़ाव

बच्चों की परवरिश का अहम हिस्सा: प्रकृति से जुड़ाव

आज जहां काफी कम उम्र से ही बच्चे स्मार्टफोन और अलग-अलग गैजेट्स को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लेते हैं, वहीं हमारी प्रकृति, जिससे हमारा अस्तित्व है, उसी के महत्व से हमारे बच्चे जुदा कैसे रह सकते हैं?

दिन-प्रतिदिन बढ़ती तकनीक और नये-नये गैजेट्स के बीच कहीं आपका बच्चा भी तो प्रकृति से जुड़ पाने में पीछे नहीं रह गया। सोच कर जवाब दीजिए, क्या आपका बच्चा प्रकृति का महत्व और उससे जुड़ाव महसूस करता है? अगर नहीं, तो फिर यह सच में चिंता का विषय है कि हम अपने बच्चों को प्रकृति से नहीं मिलवा पाएं। 

अपने बच्चों की परवरिश में, हमसे उनकी ज़िंदगी को बेहतर करने वाला सबसे अहम हिस्सा कैसे छूट गया? आज जहां काफी कम उम्र से ही बच्चे स्मार्टफोन और अलग-अलग गैजेट्स को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लेते हैं, वहीं हमारी प्रकृति, जिससे हमारा अस्तित्व है, जिसकी सुरक्षा करना हमारा काम है, उसी के महत्व से हमारे बच्चे जुदा कैसे रह सकते हैं?

इसलिए सभी पेरेंट्स को चाहिए कि हम अपने बच्चों की परवरिश के दौरान उन्हें प्रकृति के महत्व के बारे में बताएं और उन्हें अपनी प्रकृति से जुड़ाव महसूस करना सिखाएं। आइए जानते है बच्चों की परवरिश में यह पहलू कितना ज़रूरी है।

हमारा बीता बचपन और प्रकृति (Humara beeta bachpan aur prakriti)

मेरे बचपन का एक हिस्सा गांव और खेत-खलिहानों में भी बीता है। मैंने पेड़ पर चढ़कर अमरूद तोड़े भी हैं और अमरूद के बीजों को बोया भी है। जब गांव लौटती हूं तो उस बड़े से अमरूद के पेड़ को देखकर ना सिर्फ मुझे मेरा बचपन याद आता है बल्कि ऐसा लगता है कि वो पेड़ मुझे देखकर खुश होता है, वो मुझे पहचानता है। लेकिन, क्या आज बच्चे ऐसा महसूस कर पा रहें हैं? इसका जवाब है नहीं। 

नई-नई स्किल बच्चे तेजी से सीख रहें हैं, लेकिन मिट्टी से दूर रहकर। वो किस मिट्टी का हिस्सा यह वो मिट्टी से जुड़कर ही सीख पाएंगे। आज ही शुरू कर दीजिए अपने बच्चों के दिलों में प्रकृति के लिए प्यार का बीज बोना, ताकि वो बीज उनके बड़े होने पर एक विशाल पेड़ बन जाए और कई अन्यों को भी प्रकृति की रक्षा करने का संदेश दे पाए।

बच्चों को सिखाएं प्रकृति संरक्षण महत्व (Bachhon ko sikhayein prakriti sanrakshan ka mahatv)

हमारा पर्यावरण या प्रकृति हमारे चारों ओर फैली हुई है। हवा, पानी, पेड़-पौधे और जीव-जंतु इस प्रकृति का हिस्सा हैं। हम जीवन जीने के लिए प्रकृति पर आश्रित हैं, और प्रकृति की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी हमारी है। इसलिए हमें बच्चों की परवरिश के दौरान ही उन्हें प्रकृति संरक्षण करना सीखा देना चाहिए।

बच्चों का ये जानना बहुत ज़रूरी है कि प्रकृति हमारे जीवन पर कैसे असर डालती है? बच्चों को ये बताना बहुत ज़रूरी है कि हम सब का अस्तित्व प्रकृति से ही है, और उनकी सुरक्षा और संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है। अपनी प्रकृति का संरक्षण करके, ही हम स्वस्थ और लम्बा जीवन जी सकते हैं। 

बच्चों की परवरिश में प्रकृति से जुड़ाव है ज़रूरी (Bachhon ki parwarish mein prakrati se judav hai zaroori)

मां-बाप हमेशा ही अपने बच्चों का भला चाहते हैं। मां-बाप किसी माली की तरह अपनी बगिया के फूलों को यानी बच्चों को हमेशा खिलता और मुस्कुराता हुआ देखना चाहते हैं। बच्चों की परवरिश में कोई कमी न रह जाए इसके लिए, वो हर तरह की सुविधाएं उनको देते हैं।

आज के ज़माने को देखते हुए, उन्हें महंगे वीडियो गेम्स और मोबाइल भी खरीद कर देते हैं। बच्चों की परवरिश के लिए किया गया हर काम, वो बहुत सोच समझ कर करते हैं। लेकिन क्या बच्चे मोबाइल में उलझकर कभी प्रकृति का महत्व समझ पाएंगे? नहीं, इसलिए ज़रूरी है कि मां-बाप अपने बच्चों की परवरिश में प्रकृति से जुड़ाव जोड़ दें। बच्चों को शुरू से ही प्रकृति का महत्व बताएं। उन्हें पानी का महत्व बताएं। जब वो खेलते वक्त पानी की बर्बादी कर रहे हों, तो उन्हें प्यार से समझाएं। उनके साथ मिलकर गार्डेनिंग करें। उन नन्हे-नन्हे हाथों को एक पौधा लगाने दें और उनकी देखभाल करने दें। इससे उनमें सब्र, ज़िम्मेदारी और प्यार की भावना पनपेगी।

डिजिटल युग में डिजिटल होना अच्छी बात है, पर बच्चों की परवरिश करते वक्त, उन्हें डिजिटल उपकरणों से प्रकृति को होने वाले नुकसानों के बारे में बताएं। उन्हें उनकी साफ-सफाई के बारे में बताते वक्त प्रकृति को साफ और स्वच्छ रखना भी सिखाएं। पढ़ाई और मौज-मस्ती के बाद कुछ देर उन्हें प्रकृति के बीच हरियाली में रहने की आदत डालें। ये सब कुछ अच्छी आदतें सीखकर, आप अपने बच्चे को प्रकृति से जोड़ सकते हैं, और अपने बच्चों की परवरिश बेहतर ढंग से कर सकते हैं।

क्या आपने अपने बचपन में पेड़ से फल तोड़कर खाएं हैं, हमें कमेंट में ज़रूर बताएं। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी पर बने रहें।

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