बच्चों के प्रति ये 4 रिएक्शन बन सकते हैं उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा

बच्चों की परवरिश करने के दौरान हमें अपने व्यवहार पर कंट्रोल रखना चाहिए। हो सकता है जो बातें हमारे लिए आम या मजाक की हों, वो बच्चों के लिए काफी बड़ी हों। कई बार बच्चे मां-बाप की बातों से इतने आहत हो जाते हैं कि वे मानसिक रूप से बीमार होने लगते है

एक पेरेंट्स होने के नाते हम चाहते हैं कि हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें और बिना किसी कमी के उनकी परवरिश कर पाएं। बच्चों को सही रास्ते पर चलाने के लिए हम अपनी तरफ से हर कोशिश करते हैं। इन्हीं कोशिशों के बीच हम जाने अनजाने में अपने बच्चों की तरफ ऐसे रिएक्शन दे देते हैं जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है, जैसे- बच्चों को बुरी तरह या ज़्यादा डांटना या उनकी बातों पर ध्यान न देना, सबके सामने उनकी बेइज्ज़ती करना। 

बच्चे बहुत मासूम होते हैं, और उनसे भी ज़्यादा मासूम उनका दिल होता है, जो हमारे रिएक्शन पर जाने कब और कैसे टूट जाता है, हमें पता भी नहीं चलता और हमारे बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य खतरे में आ जाता है।

बच्चों की परवरिश करने के दौरान हमें अपने व्यवहार पर कंट्रोल रखना चाहिए। हो सकता है जो बातें हमारे लिए आम या मजाक की हों, वो बच्चों के लिए काफी बड़ी हों। कई बार बच्चे मां-बाप की बातों से इतने आहत हो जाते हैं कि वे मानसिक रूप से बीमार होने लगते हैं।

बच्चों से जुड़ी ऐसी और अन्य कई तरह की समस्याओं के लिए विश्व स्तर पर बाल दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड चिल्ड्रन डे (World’s Children Day) खासतौर पर बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए मनाया जाता है।

तो चलिए सोलवेदा के साथ, विश्व बाल दिवस और कुछ ऐसी प्रतिक्रियाओं के बारे में जानते हैं, जिनका ख्याल रखकर आप बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ने से रोक सकते हैं।

कब है विश्व बाल दिवस? (Kab hai Vishv Baal Divas?)

हर साल 20 नवंबर के दिन विश्व बाल दिवस मनाया जाता है।

जानें विश्व बाल दिवस क्यों मनाया जाता है? (Jaanein Vishv Baal Divas kyun manaya jaata hai?)

विश्व बाल दिवस बच्चों के अधिकार, उनकी सुरक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देने का दिन है। 1954 में संयुक्त राष्ट्र ने इसकी घोषणा की थी। यह दिन बच्चों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है।

जब बात बच्चों की सुरक्षा की आती है तो चलिए जानते हैं पेरेंट्स के साथ बच्चे कैसे सुरक्षित और खुश महसूस कर सकते हैं। बच्चों की तरफ किन प्रतिक्रियाओं को लेकर पेरेंट्स को सचेत रहना चाहिए।

पेरेंट्स के ये 4 रिएक्शन बच्चों के लिए बन सकते हैं खतरा (Parents ke ye 4 reaction bachhon ke liye ban sakte hain khatra)

बच्चों के कोमल मन का ख्याल रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। आइये जानें हमारे कौन-से रिएक्शन बच्चों के लिए खतरा बन सकते हैं:

गुस्सा करना 

बचपन में गलतियां तो सबसे होती हैं, हमसे भी हुई होंगी पर, जब हमारे बच्चे गलती करते हैं या कोई शरारत करते हैं, तो हम अक्सर गुस्से में उन पर चिल्लाने लगते हैं। जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है और बच्चों में डर और हिंसा की भावना पैदा कर सकता है।

खासतौर पर बच्चों को सबके सामने यानी उनके दोस्तों, आपके दोस्तों या भरे-बाज़ार में डांटना सबसे अधिक बुरा होता है। इससे बच्चों में आत्मविश्वास कम होता है। अगर आप ऐसा अक्सर करते हैं तो एक समय के बाद बच्चे आपसे नफरत भी कर सकते हैं।

इसलिए हमें अपने बच्चों को डांटने की बजाय प्यार से समझाना चाहिए ताकि बच्चा हंसी खुशी (Happiness) से हमारी बात समझ सके। गलती से भी अन्य लोगों के सामने में उन्हें छोटा महसूस न कराएं।

बच्चों की आपस में तुलना करना

जाने अनजाने अक्सर हम अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करना देते हैं, जैसे- वो बच्चा तुमसे पढ़ाई में ज़्यादा अच्छा है या उसे देखो वो कितना प्यारा बच्चा है, जो उन्हें हीन भावना में डाल सकता है और उनके आत्मसम्मान को ठेस लग सकती है। इससे बच्चे खुद को दूसरों से कम मानने लगते हैं।

बच्चों को नज़रअंदाज़ करना

कई बार पेरेंट्स अपने कामों में इतने बिजी रहते हैं कि बच्चा जो भी कह रहा हो उसपर ध्यान ही नहीं देते या उनकी ज़रूरतों पर ध्यान नहीं देते। यह बच्चों को अकेलापन और गैर ज़रूरी महसूस कराता है। अगर हम अपने बच्चों की तरफ ध्यान दें तो अपने बेटे-बेटियों से रिश्ता गहरा कर सकते हैं।

ज़्यादा कायदे-कानून 

हम में से कुछ पेरेंट्स को लगता है कि हर गलती पर सज़ा देकर हम अपने बच्चों को अच्छी सीख दे रहे हैं या अपने बच्चों की परवरिश ठीक से कर रहे हैं, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा अनुशासन और सज़ा बच्चों में डर, नफरत और अकेलेपन की हीन भावनाएं पैदा कर सकती हैं।

इसलिए हमें अपने बच्चों का खास ख्याल रखना चाहिए और उनकी बातों या हरकतों पर कोई भी रिएक्शन देने से पहले बच्चे पर उसके होने वाले असर के बारे में सोच लेना चाहिए।

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