आपकी एक कॉल रख सकती है आपके किसी अपने को मानसिक रूप से स्वस्थ: जानें कैसे?

एक बार सोच कर देखिए आपके किसी अपने के चेहरे पर ज़बरदस्ती की मुस्कान हो, वो हर दिन अंदर से परेशान रह रहा हो और बस किसी अपने की कॉल का इंतज़ार कर रहा हो।

ज़िंदगी की भाग–दौड़ में हम इतने ज़्यादा व्यस्त हो गए हैं कि हम यह भूल जा रहे हैं कि हमारे आस-पास के लोग सही मायने में कैसे हैं। सिर्फ सब कुछ ठीक है बोल देना लोगों की आदत सी बन गई है, लेकिन सही तरीके से देखा जाए, तो क्या ऐसा है? इसका जवाब है नहीं!

एक बार सोच कर देखिए आपके किसी अपने के चेहरे पर ज़बरदस्ती की मुस्कान हो, वो हर दिन अंदर से परेशान रह रहा हो और बस किसी अपने की कॉल का इंतज़ार कर रहा हो।

आज के समय में हर कोई मानसिक स्वास्थ्य की बातें तो कर रहा है, लेकिन क्या लोग उसको लेकर जागरूक हैं या फिर इससे अपनापन बढ़ा है? डिप्रेशन, चिंता या अकेलापन दिखता नहीं, बल्कि महसूस होता है। और अगर आप अपने किसी करीबी को हर दिन नहीं, तो सप्ताह में एक बार भी फोन करके हाल-चाल पूछ लें, तो यकीन मानिए आपके दो शब्द किसी के लिए जीवनदायिनी बन सकते हैं।

आपकी एक सच्ची, दिल से की गई बातचीत बिना जजमेंट के, बिना सलाह दिए, बस उन्हें सुनने के लिए, किसी के दिल का बोझ हल्का कर सकती है। हो सकता है उन्हें कोई और समझ ना रहा हो, लेकिन आपका साथ उन्हें टूटने से बचा सकता है।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम इसी पर बात करेंगे और बताएंगे कि आपकी एक कॉल कैसे आपके अपनों को मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकती है।

आपकी एक कॉल क्यों है ज़रूरी? (Aapki ek call kyun hai zaroori?)

आज की दुनिया में लोग बहुत कुछ फेस कर रहे हैं, जैसे–डिप्रेशन, अकेलापन, स्ट्रेस, रिश्तों में दूरी, करियर का प्रेशर, सोशल मीडिया का दबाव। हर कोई बाहर से ‘ऑल ओके’ दिखता है, लेकिन अंदर से? बहुत से लोग सिर्फ जी रहे हैं, लेकिन खुलकर नहीं जी पा रहे हैं। और जब कोई पूछता भी नहीं, तो वो चुपचाप उस दर्द के साथ जीना सीख जाते हैं। इसलिए जब आप फोन करके पूछते हैं कि “क्या हाल–चाल है? सब सही चल रहा है? क्या तुम खुश हो?” तो ये एक छोटी सी लाइन नहीं रह जाती, बल्कि दिल को छूने वाली उम्मीद होती है।

फोन करने पर क्या करें? (Phone karne par kya karein?)

सबसे ज़रूरी बात है कि सामने वाले को सुनिए और समझिए। जब कोई बोलना शुरू करे तो बीच में न टोकें, बस सुनिए। कई बार लोग खुद को हल्का महसूस करने के लिए अपनी बात किसी को सिर्फ सुनाना चाहते हैं। अगर वो कुछ ऐसा कहें, जो आपको अजीब लगे, तो तुरंत राय न दें। बल्कि कहिए “जो भी हो, मैं तुम्हारे साथ हूं।” वहीं कई लोग सोचते हैं कि उनकी तकलीफ कोई समझ नहीं सकता। आपकी बात उन्हें ये भरोसा दिला सकती है कि हां, कोई है जो उनके साथ खड़ा है।

आपकी एक फोन कॉल का क्या हो सकता है असर? (Aapke ek phone call ka kya ho sakta hai asar?)

आपकी एक फोन कॉल किसी को अपने आप से लड़ने की ताकत दे सकती है। उन्हें ये एहसास दिला सकती है कि उनकी ज़िंदगी मायने रखती है। किसी को उस अंधेरे में रोशनी दिख सकती है, जहां से वो बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।

कभी-कभी लोग मदद नहीं मांगते, लेकिन ज़रूरत होती है (Kabhi-Kabhi log madad nahi mangte, lekin zaroorat hoti hai)

मानसिक रूप से परेशान लोग हर बार “मैं ठीक हूं” नहीं कहते हैं, कभी–कभी वो केवल मुस्कुरा देते हैं और कम बोलते हैं। लेकिन अगर आप थोड़ी देर ठहरकर पूछें कि तुम सच में कैसे हो? तो इसका मतलब है कि आप उन्हें बोलने का मौका दे रहे होते हैं। जिससे वो अपने अंदर की बात बोल सकते हैं।

तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आपकी एक फोन कॉल, एक छोटी सी मुलाकात, एक सवाल आपके किसी अपने की ज़िंदगी की एक नई शुरुआत बन सकती है।

यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। साथ ही इसी तरह की और जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।