मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग

आज के समय में 5 आदतें बिगाड़ रही हैं मानसिक स्वास्थ्य, जानें उपाय

मोबाइल पर घंटों स्क्रॉल करना, नींद की बलि चढ़ाकर ओटीटी की बिंज-वॉचिंग, हर वक्त खुद की तुलना दूसरों से करना ये सब मेंटल हेल्थ के लिए ये नुकसानदायक है।

आज की भाग–दौड़ वाले जीवन में सबसे ज़्यादा नुकसान हमारे मानसिक स्वास्थ्य को हो रहा है। शरीर की थकान हम सभी को महसूस होती है, लेकिन दिमाग की थकान महसूस होने के बाद भी हम इसे महत्व नहीं देते। अक्सर हम इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

मोबाइल पर घंटों स्क्रॉल करना, नींद की बलि चढ़ाकर ओटीटी की बिंज-वॉचिंग, हर वक्त खुद की तुलना दूसरों से करना ये सब मेंटल हेल्थ के लिए ये नुकसानदायक है। सुबह उठते ही मोबाइल चेक करना और रात को उसी के साथ सोना, ये आदत नहीं एक तरह का डिजिटल ज़हर है। ऊपर से सोशल मीडिया पर हर किसी की परफेक्ट लाइफ देखकर अपना मन और भी बोझिल हो जाता है। फिर चाहे वो रिलेशनशिप्स हों या करियर, हर मायने में हम खुद को दूसरों से पीछे समझने लगते हैं। धीरे-धीरे ये छोटी-छोटी बातें हमारे दिमाग पर इतना भारी पड़ने लगती हैं कि न मन खुश रहता है, न किसी काम पर फोकस रहता है। सबसे बुरा ये है कि हम इसे ‘नॉर्मल’ मान लेते हैं। लेकिन सच तो ये है कि अगर हम अभी से नहीं संभले, तो आने वाले वक्त में तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसे शब्द हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाएंगे।

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको आज के समय में कौन सी ऐसी आदतें हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रही है, इसके बारे में बतांएगे। साथ ही इससे बचने के भी उपाय बताएंगे।

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह कब और क्यों मनाया जाता है? (Mansik Swasthya Jagrukta saptah kab aur kyun manaya jata hai?)

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह (Mental Health Awareness Week) हर साल मई महीने के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है लोगों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाना, मानसिक बीमारियों को समझना और समाज में इसके प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करना। हमारे समाज में मानसिक समस्याओं को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। लोग डिप्रेशन, चिंता, स्ट्रेस जैसी परेशानियों को कमजोरी मान लेते हैं, जबकि ये भी एक बीमारी है, जिनका इलाज संभव है। इसी सोच को बदलने और लोगों को सही जानकारी देने के लिए यह सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान कई जगहों पर सेमिनार, वर्कशॉप, काउंसलिंग कैंप और सोशल मीडिया अभियानों के ज़रिए लोगों को जागरूक किया जाता है।

5 आदतें, जो बिगाड़ रही हैं आपका मानसिक स्वास्थ्य (Wo 5 aadatein, jo bigad rahi hain aapka mansik swasthya)

नींद की अनदेखी करना

अक्सर हम लोग काम के चक्कर में देर रात तक जगते हैं, लेकिन नींद पूरी न होना मानसिक थकान, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है। इससे बचने के उपाय यही है कि हम हर दिन 7-8 घंटे की नींद लें और सोने-जागने का सही समय फिक्स करें।

हर वक्त मोबाइल चलाना या सोशल मीडिया चेक करना

फोन की स्क्रीन लगातार देखना दिमाग को थका देता है और आत्म-संदेह, ईर्ष्या, अकेलापन जैसे भाव बढ़ाता है। इससे बचने का यही उपाय है कि दिन में कुछ घंटे डिजिटल डिटॉक्स करें, फोन को साइलेंट रखकर खुद से जुड़ें, परिवार से बात करें या फिर किताब पढ़ें।

खुद का दूसरों से तुलना करना

वो कहां पहुंच गया, मैं कहां रह गया! इस तरह की सोच से आत्मविश्वास खत्म हो जाता है। हर इंसान का सफर अलग–अलग होता है। इससे बचने के लिए खुद की तरक्की को पहचाने और छोटे–छोटे लक्ष्यों को पूरा करने पर खुद को सराहें।

नियमित एक्सरसाइज न करना

शरीर की तरह दिमाग को भी मूवमेंट की ज़रूरत होती है। अगर आप पूरा दिन बैठे रहते हैं, तो दिमाग सुस्त पड़ सकता है। इसलिए हर दिन 20-30 मिनट टहलें, योग करें या कोई गेम खेलें। इससे मूड अच्छा होता है और तनाव भी कम होता है।

अपनी भावनाएं दबाना

ये सोच बहुत ही नुकसानदायक है कि क्या फर्क पड़ता है, किसको बताऊं? अगर आप लगातार अपने जज़्बात को दबाते हैं, तो अंदर ही अंदर घुटन बढ़ती है। इससे बचने का यही उपाय है कि किसी भरोसेमंद दोस्त या परिवारजन से बात करें। ज़रूरत हो तो काउंसलर से मदद लें।

यही जानकारी आपको कैसी लगी, हमें कमेंट करके बताएं। साथ ही इसी तरह की जानकारी के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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